देश को सिर्फ पांच नहीं, बल्कि 500 कारोबारी घरानों की जरूरत: चिदंबरम

Chidambaram

क्रोनी कैपिटलिज्म पूंजीवादी व्यवस्था की ऐसी अवस्था को कहा जाता है, जिसमें सरकारें गिने-चुने कारोबारी घरानों को तरजीह देती हैं। इस स्थिति में जो पूंजीपति सरकार के पसंदीदा होते हैं, उन्हें सरकार का क्रोनी कहा जाता है।

नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ‘‘क्रोनी कैपिटलिज्म’’ पर शनिवार को चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि देश को सिर्फ पांच नहीं, बल्कि 500 कारोबारी घरानों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार को एक ऐसा माहौल बनाने पर ध्यान देना चाहिये, जो सभी को बराबर मौके मुहैया कराता हो। चिदंबरम ने कहा, ‘‘आज हमारे यहां क्रोनी कैपिटलिज्म है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। मैं आपको क्रोनी कैपिटलिज्म के उदाहरण दे सकता हूं। आप भी यह उतना ही जानते हैं, जितना कि मैं जानता हूं। जब तक आपके यहां क्रोनी कैपिटलिज्म हावी रहेगा, जो आपके क्रोनी (पसंदीदा) नहीं हैं, वे व्यवसाय शुरू करने में हिचकेंगे।’’ 

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क्रोनी कैपिटलिज्म पूंजीवादी व्यवस्था की ऐसी अवस्था को कहा जाता है, जिसमें सरकारें गिने-चुने कारोबारी घरानों को तरजीह देती हैं। इस स्थिति में जो पूंजीपति सरकार के पसंदीदा होते हैं, उन्हें सरकार का क्रोनी कहा जाता है। पूर्व वित्त मंत्री ने 25वें व्हार्टन इंडिया इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ सरकार को एक ऐसा माहौल बनाना होगा, जहां हर किसी को यह विश्वास हो कि उसके साथ समान व्यवहार किया जायेगा और उसके पास एक समान अवसर होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘महज पांच व्यापारिक घरानों का फलना-फूलना पर्याप्त नहीं है। हमें 500 व्यावसायिक घरानों के फलने-फूलने की आवश्यकता है। हमें इंफोसिस, विप्रो और फ्लिपकार्ट शुरू करने वाले युवक जैसे नये व्यवसाय व उद्यमी चाहिये। हमें नये की जरूरत है लेकिन नये लोगों को इस बात का भय है कि यदि उन्होंने सरकार के हिसाब से काम नहीं किया तो उन्हें बाहर कर दिया जायेगा।’’ अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में चिदंबरम ने कहा कि बहुत सारी नकारात्मक चीजें हैं, कई सारे विरोधाभास हैं। 

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उन्होंने कहा, ‘‘हमारी वृद्धि दर अभी भी शून्य से नीचे है, भले ही गिरावट की दर कुछ कम हुई हो। इसके बावजदू भी शेयर बाजार उड़ान भर रहा है। भारी मात्रा में विदेशी निवेश आ रहे हैं। हमारे पास विदेशी मुद्रा का भंडार जमा हो रहा है। हालांकि जमीनी स्थिति यह है कि मांग बेहद कम है और नीचे की एक-तिहाई आबादी के पास खर्च करने के लिये पैसे नहीं हैं। बीच की एक तिहाई आबादी सिर्फ जरूरी चीजों पर खर्च कर पा रही है। ऊपर की एक तिहाई आबादी निवेश करने के बजाय बचत कर रही है।’’ पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि भले ही भारी निवेश होने के दावे किये जा रहे हों, लेकिन हकीकत में निवेश काफी कम है। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के बारे में उन्होंने कहा कि देश में अभी ऐसे कई सारे कारक हैं, जो सामाजिक व आर्थिक व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। चिदंबरम ने बेरोजगारी की स्थिति को विस्फोटक करार दिया। उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की स्थिति को बेहद दयनीय बताया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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