तिल की खेती को प्रोत्साहन दे रही योगी सरकार, बीज पर 95 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी

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बयान में कहा गया है कि परंपरागत विधि से तिल की खेती करने पर चार से छह क्विंटल प्रति हेक्टेयर, जबकि वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर लगभग आठ से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है।

छोटे और सीमांत किसानों को सहयोग करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह तिल की खेती करने वाले किसानों को बीज पर 95 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सब्सिडी की पेशकश कर रही है।

सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि खरीफ में प्रदेश में लगभग पांच लाख हेक्टेयर में तिल की खेती की जाती है। कृषि विभाग तिल के बीजों पर 95 रुपये प्रति किग्रा की दर से सब्सिडी उपलब्ध करा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर तिल की खेती के लिए कृषि विभाग किसानों को वैज्ञानिक विधि भी सिखा रहा है। तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 9,846 रुपये प्रति क्विंटल है।

बयान के मुताबिक, तिल की प्रमुख प्रजातियां आरटी-346 और आरटी-351, गुजरात तिल-6, आरटी-372, एमटी-2013-3 और बीयूएटी तिल-1 हैं। कृषि विभाग इनके बीजों पर 95 रुपये प्रति किग्रा की दर पर सब्सिडी उपलब्ध करा रहा है।

कृषि विभाग का मानना है कि वर्तमान में किसानों के पास कृषि जोत के रूप में बहुत सी ऐसी भूमि बुवाई से खाली पड़ी रहती है, जिसका उपयोग सूक्ष्म सिंचाई साधनों का प्रयोग कर तिल की खेती के रूप में किया जा सकता है। इससे किसान अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकते हैं।

बयान में कहा गया है कि परंपरागत विधि से तिल की खेती करने पर चार से छह क्विंटल प्रति हेक्टेयर, जबकि वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर लगभग आठ से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है। वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर किसानों को कम लागत में लगभग एक लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक आय प्राप्त हो सकती है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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