डायटीशियन की खूब है डिमांड, सैलरी भी होती है आकर्षक

मंजू गोपालन । Nov 1 2017 4:48PM

डायटीशियन संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर उपयुक्त आहार सम्बन्धी परामर्श देने के साथ−साथ मोटापे से परेशान लोगों को राहत देने का और सही जीवन शैली अपनाने को प्रेरित करने का काम भी करता है।

बदलते समय ने हमारी दिनचर्या और खानपान की आदतों में काफी बदलाव ला दिया है। जंक फूड के नाम से सुपरिचित अनेक खाद्य पदार्थ और शीतल पेय अनगिनत लोगों की जीवन शैली का महत्वपूर्ण अंग बन चुके हैं। इस तरह उपयुक्त पौष्टिक व सुपाच्य आहार के अभाव में लोग पाचन सम्बन्धी व अन्य शारीरिक परेशानियों का सामना करने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में खानपान सम्बन्धी सही जानकारी देने के लिए योग्य व्यक्ति की आवश्यकता पड़ती है। यह कार्य निःसन्देह आहार विशेषज्ञ या डायटीशियन ही बेहतर ढंग से कर सकता है।

डायटीशियन संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर उपयुक्त आहार सम्बन्धी परामर्श देने के साथ−साथ मोटापे से परेशान लोगों को राहत देने का और सही जीवन शैली अपनाने को प्रेरित करने का काम भी करता है। तन और मन को स्वस्थ रखने वाले सही भोजन, एकाधिक बेमेल खाद्य पदार्थों से बचने, विभिन्न साध्य−असाध्य रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के उचित आहार का विवरण तैयार करना, विभिन्न कार्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों का ऊर्जा की आवश्यकता के अनुसार सही आहार तय करना आदि मामलों में प्रशिक्षित डायटीशियन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। सुडौल और आकर्षक देहयष्टि की अभिलाषी जागरूक युवतियां और महिलाएं भी डायटीशियन का नियमित मार्गदर्शन प्राप्त कर लाभान्वित होती हैं। आम युवती, मॉडल, अभिनेता−अभिनेत्री, व्यवसायी, कामकाजी और घरेलू महिलाएं यानी विभिन्न वर्गों के लोग प्रायः नियमित रूप से डायटीशियन से परामर्श प्राप्त करते हैं। 

डायटीशियन का कार्यक्षेत्र काफी सम्भावनाओं से भरा होता है। चिकित्सा के क्षेत्र में एक डायटीशियन को पर्याप्त महत्व मिलता है। मरीज की उम्र, रोग, क्षमता, खानपान की आदतों, जीवन शैली, पाचन तन्त्र आदि के अनुरूप चिकित्सा के दौरान और उसके बाद आहार विशेषज्ञ द्वारा दिए गये परामर्श की आवश्यकता होती है। अधिकांश छोटे−बड़े अस्पताल, हॉस्टल, शिक्षण संस्थान, विभिन्न प्रतिष्ठानों की कैन्टीनों, भोजनालयों, होटलों, फिटनेस केन्द्रों, फूड प्रोसेसिंग केन्द्रों, यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन संचालित विभिन्न संस्थानों आदि में डायटीशियन की सेवाएं ली जाती हैं। टीवी चैनलों और पत्र−पत्रिकाओं में नियमित रूप से आहार संबन्धी जानकारी देने का काम डायटीशियन ही करता है।

पाठ्यक्रम

स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर आहार विशेषज्ञ या डायटीशियन के पाठ्यक्रम में भोजन, जैव रसायन, शरीर विज्ञान, जैव सांख्यिकी, शोध पद्धति, सूक्ष्म भोजन जैविकी, संस्थागत प्रबन्धन आदि शामिल हैं। बीए व बीएससी पाठ्यक्रम में भी पोषण विज्ञान एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। एमएससी में पोषण विज्ञान के रूप में यह एक पूर्ण विषय है। गृह विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, रसायन व औषधि विज्ञान में इसके लिए स्नातक होना चाहिए।

कुछ पाठ्यक्रमों में होटल प्रबन्धन तथा कैटरिंग विषयों के छात्रों को भी प्रवेश दिया जाता है। शिक्षण−प्रशिक्षण और परामर्श को अपना कॅरियर बनाने वाले छात्र इस क्षेत्र में पीएचडी भी कर सकते हैं। न्यूट्रीशन, डायटेटिक्स एवं फूड टेक्नोलॉजी में 3 वर्षीय पाठ्यक्रम अनेक विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं। दिल्ली के लक्ष्मी बाई कॉलेज, विवेकानन्द कॉलेज, अदिति महिला कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज में फूड टेक्नोलॉजी में बीए (पास) पाठ्यक्रम भी है। अनेक विश्वविद्यालयों में एमएससी गृह विज्ञान में फूड एंड न्यूट्रीशन पाठ्यक्रम है।

पाठ्यक्रम पूरा करने पर किसी अस्पताल या नर्सिंग होम में इंटर्नशिप करने के बाद प्रशिक्षु डायटीशियन के रूप में कॅरियर की शुरुआत होती है। इसके लिए गृह विज्ञान में बीएससी व खाद्य विज्ञान में डिप्लोमा न्यूनतम योग्यता है। किसी डायटीशियन या न्यूट्रीशनिस्ट के अधीन 1 वर्ष कार्य करने का अनुभव भी होना चाहिए। स्वतन्त्र रूप से डायटीशियन का कार्य करने के लिए पंजीकरण कराने हेतु एक परीक्षा भी उत्तीर्ण करनी पड़ती है।

प्रशिक्षु डायटीशियन को आरम्भ में 3000−4000 रुपये और 3 माह बाद 5000−6000 रुपये प्रति माह मिलते हैं। डायटीशियन और न्यूट्रीशनिस्ट की तमाम संस्थानों में काफी मांग है। यहां वेतन के रूप में 12000−15000 रुपयों से भी अधिक मिलते हैं।

प्रशिक्षण संस्थान

− नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन, जमात−ए−उस्मानिया, हैदराबाद, आन्ध्र प्रदेश

− इंस्टीट्यूट ऑफ इकॉनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय

− लेडी इर्विन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय

− गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर (पाठ्यक्रम− फूड एंड फर्मेंटेशन एंड प्रिजर्वेशन)

− अविनाशलिंगम् इंस्टीटयूट फॉर होम साइंस, कोयम्बटूर (पाठ्यक्रम− फूड साइंस एंड प्रिजर्वेशन)

− रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर

− डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा, उत्तर प्रदेश (पाठ्यक्रम− एमएचएससी)

पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पाठ्यक्रम न्यूट्रीशन व डायटेटिक्स

− इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकॉनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय (पाठ्यक्रम− डिप्लोमा इन डाइटेटिक्स एंड पब्लिक हैल्थ)

− श्री पद्मावती महिला विश्वविद्यालय, तिरुपति (पाठ्यक्रम− बीएससी, गृह विज्ञान के बाद न्यूट्रीशन व डाइटेटिक्स में 1 वर्षीय डिप्लोमा)

− मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै, तमिलनाडु (पाठ्यक्रम− एप्लाइड न्यूट्रीशन व डाइटेटिक्स में 1 वर्षीय स्नातकोलर डिप्लोमा)

- मंजू गोपालन

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