इजराइल से अच्छे संबंध भारत की सैन्य रक्षा प्रणाली के लिए मददगार

Good relationship with Israel is helpful for India''s military defense system
विजय शर्मा । Jan 16 2018 12:54PM

इजरायल के साथ भारत के संबंध मजबूत होने से भारत को अपनी सैन्य रक्षा प्रणाली मजबूत करने में सहायता मिलेगी। इजरायल की खासियत यह है कि वह हथियारों और रक्षा प्रणाली के लिए मशहूर है।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत की 6 दिन की यात्रा पर नई दिल्ली पहुंच चुके हैं और उम्मीद के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी की। उनके साथ करीब 130 सदस्यीय व्यापारिक मंडल भी आया है जो विदेशी निवेश सहित अन्य व्यापारिक मुद्दों पर भारतीय व्यापारिक मंडलों तथा व्यापारियों से बातचीत कर भारत-इजरायल व्यापार सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेगा। मुख्य रूप से इस दौरे का उद्देश्य भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजरायल यात्रा के बाद दोनों देशों के संबंधों में प्रगति को आकार देना और दोनों देशों के सामरिक व व्यापारिक सम्बन्धों को बढ़ाना है। 

नेतन्याहू अपनी 6 दिवसीय यात्रा में देश के विभिन्न हिस्सों में जायेंगे और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होकर 19 जनवरी को मुंबई से अपने देश के लिए रवाना होंगे। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी और नेतन्याहू गुजरात में वदराद गांव में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का दौरा करेंगे और भुज में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डेट पाल्म का उद्घाटन करेंगे। दोनों नेता आईक्रिएट इन्नोवेशन कैंपस और सेंटर का भी दौरा करेंगे। मुंबई में नेतन्याहू यहूदी समुदाय और भारतीय व्यापारी समुदाय के कुछ लोगों से मुलाकात करेंगे। वह वहां 'शालोम बॉलिवुड' समारोह में भी शिरकत करेंगे।

इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की यह यात्रा इसलिए अहम है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली जुलाई में ही इजरायल की ऐतिहासिक यात्रा की थी। लेकिन हाल में यरुशलम के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का रूख इजरायल के खिलाफ था। संयुक्त राष्ट्र ने हाल में उस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसमें यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिकी फैसले का विरोध किया था। भारत इस प्रस्ताव के समर्थन में था और उसके अमेरिका और इजरायल के साथ न जाने पर सवाल खड़े हुए हैं। इजरायल का पड़ोसी देश फिलिस्तीन चाहता है कि भारत यह माने कि ईस्ट यरुशलम फिलिस्तीन की राजधानी है। अगले कुछ महीनों में मोदी की फिलिस्तीन यात्रा संभावित है। इसलिए माना जा रहा है कि फिलिस्तीन का मुद्दा बातचीत में उठ सकता है।

नेतन्याहू 17 जनवरी को गुजरात जाएंगे तथा 18 जनवरी को मुंबई में निजी व्यापारिक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत होगी। इसके अलावा नेतन्याहू मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री को इजरायल में शूटिंग तथा फिल्मोत्सव आयोजित करने के लिए आमंत्रित करेंगे। इजरायल के प्रधानमंत्री की यात्रा से ठीक पहले इजरायली कंपनी के साथ मिलकर भारत में स्पाइक नाममक ऐंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) बनाने की योजना वापस ले ली गई है। इसे भारत और इजरायल के रक्षा संबंधों के लिए बड़े झटके के तौर पर माना जा रहा है।

इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपने देश से रवाना होने से पहले बयान दिया था कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा मील का पत्थर थी। भारत की मेरी यात्रा एक और मील का पत्थर साबित होगी।" यह पूछे जाने पर कि टैंक रोधी निर्देशित मिसाइलों को विकसित करने से संबंधित लाखों डॉलर का रक्षा सौदा रद्द करने के भारत के हालिया फैसले का क्या असर होगा, इस पर इजराइली नेता ने कहा, "मुझे लगता है कि इस सौदे पर ध्यान दिए बिना आप आर्थिक या अन्य संबंधों का विस्तार देखने जा रहे हैं।" सभी मोर्चों पर रिश्तों को मजबूत करने पर जोर देते हुए नेतन्याहू ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि '‘कुछ समय बाद मैं उम्मीद करता हूं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के वोट में बदलाव देखूंगा।" इजराइली प्रधानमंत्री ने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इजरायल के भारत के साथ, लातिन अमेरिका और अफ्रीका में अन्य देशों के साथ संबंध सभी मोर्चों पर मजबूत हुए हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर अभी इसमें समय लगेगा।" नेतन्याहू ने कहा है कि वह यरुशलम के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत द्वारा इस्राइल के खिलाफ वोट देने से निराश नहीं हैं और उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत की यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे। भारत ने दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया था जिसमें यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिका के फैसले की आलोचना की गई थी।

इजरायल के साथ भारत के संबंध मजबूत होने से भारत को अपनी सैन्य रक्षा प्रणाली मजबूत करने में सहायता मिलेगी। इजरायल की खासियत यह है कि वह हथियारों और रक्षा प्रणाली के लिए मशहूर है। अमेरिका सहित कई बड़े देशों को वह हथियारबंद सहित रक्षा प्रणाली बेचता है। इजरायल की सेना इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) दुनिया की बेहद ताकतवर सेना है। छोटा देश होने के बावजूद इजरायल अपनी सेना को लेकर बेहद सतर्क है। इजरायल चारों तरफ से एंटी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस है, इसलिए कोई भी देश उस पर हमला करने का साहस नहीं कर सकता।

विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि भारत इजराइल से पानी सफाई की तकनीक भी लेना चाहता है ताकि गंगा की सफाई में मदद मिल सके। पिछले वर्ष जब प्रधानमंत्री मोदी इजराइल गए थे, तब बेंजामिन नेतन्याहू ने मोदी को नदी तट पर ले जाकर पानी सफाई की तकनीक दिखाई थी। भारत हथियारों के साथ-साथ डिफेन्स टेक्नोलॉजी भी इजराइल से खरीदने पर चर्चा कर सकता है। इससे भारत की रक्षा नीति और डिफेंस सिस्टम को मजबूती मिलेगी।

इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू भारत दौरे से दुनिया के समस्त विरोधी देशों को यह बताना चाहते हैं कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत उसका सबसे अच्छा दोस्त है। इजरायल भारत की दोस्ती का इस्तेमाल मिडिल-ईस्ट व एशिया के अन्य देशों के साथ डिप्लोमेसी बढ़ाने में कर सकता है, ताकि दुनिया के ज्यादातर देशों में उसकी स्वीकार्यता बढ़े और उसे मान्यता मिले। इसके अलावा इजराइल भारत के साथ कई अरब डॉलर के रक्षा सौदों की उम्मीद लगाये है। कृषि और आईटी समझौते रोजगार बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। भारत दुनिया की सबसे बड़ी उभरती हुई इकॉनोमी है, जिसका फ़ायदा इजरायल उसके वायु शक्ति एवं रक्षा सौदे से उठाना चाहता है।

मोदी पिछले साल जुलाई में इजरायल के दौरे पर गए थे जहां दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतन्याहू को तथा नेतन्याहू ने मोदी को अपना मित्र कहा था। कहा जा रहा है कि मोदी नेतन्याहू को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम भी ले जाएंगे और इस बीच खबर है कि जापान को प्रधानमंत्री शिंजो आबे की तरह ही इस बार भी अहमदाबाद हवाई अड्डे से लेकर साबरमती आश्रम तक एक रोड शो होने की भी संभावना है, जिसमें दोनों नेता खुली गाड़ी में सफर कर सकते हैं।

मोदी की इजरायल यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने बार-बार एक-दूसरे को गले लगाया और एक दूसरे को कई बार 'दोस्त' कह कर संबोधित किया था। नेतन्याहू तेल अवीव हवाई अड्डे पर व्यक्तिगत रूप से मोदी की आगवानी के लिए आए थे। यह सम्मान इससे पहले केवल पोप और अमेरिकी राष्ट्रपति को ही मिला था। भारत और इजरायल के बीच गहरे रक्षा और सुरक्षा संबंध हैं और नेतन्याहू के भारत दौरे के दौरान संभावत: उन्हें और मजबूत किया जाएगा।

- विजय शर्मा

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