आतंकियों का गढ़ बना हुआ है दक्षिण कश्मीर, अमरनाथ यात्रा को लेकर चिंता बढ़ी

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दक्षिण कश्मीर को आतंकवादियों का गढ़ माना जाता है। एक अधिकारी के बकौल, अमरनाथ यात्रा को क्षति पहुंचाने की खातिर आतंकी इस इलाके में एकत्र हो रहे थे। पिछले साल भी ऑपरेशन ऑल आउट का जोर दक्षिण कश्मीर में ही था।

अनंतनाग में बुर्का पहने मोटरसाइकिल सवार दो आतंकियों ने बीच बाजार CRPF के दल पर हमला कर 5 जानें लेकर इसे जरूर स्पष्ट कर दिया है कि उन पर फिलहाल ऑपरेशन ऑल आउट का कोई असर नहीं है और वे अभी भी जहां चाहें वहां मार करने की क्षमता रखते हैं। पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद हुए सबसे बड़े आतंकी हमले ने खासकर उन अधिकारियों के पांव तले जमीं खिसकाई है जो लगातार दावा कर रहे थे कि दक्षिण कश्मीर को आतंकियों से मुक्त करवा लिया गया है। उनका दावा इस इलाके में मारे जाने वाले आतंकियों की संख्या पर निर्भर था।

इस साल अभी तक कश्मीर में मारे गए कुल 112 आतंकियों में से आधे के करीब दक्षिण कश्मीर में ही मारे गए हैं। दरअसल दक्षिण कश्मीर को आतंकवादियों का गढ़ माना जाता है। एक अधिकारी के बकौल, अमरनाथ यात्रा को क्षति पहुंचाने की खातिर आतंकी इस इलाके में एकत्र हो रहे थे। पिछले साल भी ऑपरेशन ऑल आउट का जोर दक्षिण कश्मीर में ही था। बावजूद इसके दक्षिण कश्मीर से आतंकवादियों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही। गंभीर स्थिति यह है कि इनमें अच्छी खासी संख्या में विदेशी नागरिक हैं। हालिया हमले में भी विदेशी आतंकी ही शामिल रहे थे।

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हिज्बुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी की मौत के बाद से ही दक्षिण कश्मीर खासकर अनंतनाग में सुरक्षा बलों ने दबाव बनाया हुआ है। कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता जिस दिन आतंकियों को मौत के घाट नहीं उतारा जाता पर चिंता का विषय दक्षिण कश्मीर में फैले आतंकवाद का यह है कि जितने आतंकी मरते हैं उससे आधी संख्या में नए पैदा जाते हैं और 90 प्रतिशत दक्षिण कश्मीर के दो जिलों पुलवामा और अनंतनाग के रहने वाले ही होते हैं।

अब सेना ने अमरनाथ यात्रा से पहले आतंकियों के खिलाफ अभियान तेज करते हुए सारा जोर लगाने का फैसला किया है। इसमें सेना व अन्य सुरक्षा बलों के अतिरिक्त वायुसेना की भी मदद लेने का निर्णय हुआ है जिसके तहत जंगलों में छुपे हुए आतंकियों को लड़ाकू हेलिकाप्टरों से मारा गिराया जाएगा।

ऐसे में अनंतनाग में हुए फिदायीन हमले के बाद खुफिया अधिकारियों के इस रहस्योद्घाटन के पश्चात कि अमरनाथ यात्रा इस बार आतंकी हमलों से दो-चार हो सकती है, यह यात्रा सभी के लिए अग्नि परीक्षा साबित होने जा रही है। उनके मुताबिक, कई आतंकी इसके लिए कश्मीर के भीतर घुस चुके हैं और वे यात्रा मार्गों के आसपास के इलाकों में डेरा जमाए हुए हैं। अधिकारियों का यहां तक कहना है कि आतंकी आईएस टाइप वोल्फ हमले भी कर सकते हैं।

दरअसल 2017 में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा पर हमला बोल कर 9 श्रद्धालुओं की जान ले ली थी और अब हुआ फिदायीन हमला भी ठीक वैसा ही था। ऐसे में अधिकारी कहते हैं कि हमले को देख लगता था कि यह अमरनाथ यात्रा पर हमले की प्रेक्टिस हो सकती है। दरअसल सीमा पार रची जा रही साजिशों से सुरक्षा एजेंसियों को पुख्ता संकेत मिल रहे हैं कि ऐसा हमला करने की फिर कोशिशें हो सकती हैं। ऐसे में जम्मू में भी सेना, बीएसएफ, पुलिस, सीआरपीएफ के शिविरों के आसपास भी सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है। इसके साथ ही अपने अपने स्तर पर बैठकें कर वरिष्ठ अधिकारियों ने सुरक्षा के हर पहलू पर गौर कर यहां ऐसे हमले नाकाम बनाने की रणनीति पर गौर किया।

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जम्मू शहर में पहले भी आतंकी फिदायीन हमलों को अंजाम दे चुके हैं लेकिन अधिकतर हमले आतंकी सैन्य शिविरों में घुसकर ही अंजाम दिये गये हैं। ऐसे हालात में जम्मू में भी सुरक्षा बल चौकस हो गए हैं। सेना और सुरक्षा बलों की पूरी कोशिश है कि खुफिया एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय से आतंकवादियों के मसूंबे नाकाम कर दिये जाएं। यात्री निवास को अगले सप्ताह तक सीआरपीएफ अपने घेरे में ले लेगी। राज्य पुलिस भी सुरक्षा में सहयोग देगी। श्रद्धालुओं की चेकिंग, सामान की जांच का जिम्मा पुलिस पर होगा। श्रद्धालुओं को यात्रा से एक दिन पहले ही यात्री निवास में प्रवेश करने की इजाजत होगी, ताकि अधिक भीड़ न हो।

अमरनाथ यात्रा के शुरू होने में अब 17 दिनों का समय बचा है। सुरक्षाबल कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते इसलिए एक माह पूर्व सभी तैयारियां आरंभ तो की गई थीं पर वे अभी तक अधबीच में ही हैं। एक रहस्योदघाटन के मुताबिक, यात्रा मार्ग के आसपास के कई क्षेत्रों की साफ सफाई, उन्हें बारूदी सुरंगों तथा आतंकियों से मुक्त करवाने का अभियान अभी भी अधबीच में है। स्थिति यह है कि खुफिया अधिकारियों के रहस्योद्घाटन के बाद यात्रियों की सुरक्षा कैसे होगी, कोई नहीं जानता है और सब भोलेनाथ पर छोड़ दिया गया है।

-सुरेश एस डुग्गर

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