अब पश्चिम बंगाल में गूंजेगा जंगलराज का मुद्दा

कांग्रेस से निकलीं ममता बनर्जी ने साल 1998 में तृणमूल कांग्रेस का गठन किया। 13 साल बाद 2011 में ममता बनर्जी ने पहली बार पश्चिम बंगाल की सत्ता हासिल की। टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में 34 साल पुराने लेफ्ट के किले को ढहाया था। इस चुनाव में टीएमसी को 184 सीटें मिली थीं।
बिहार में 1990-2005 के दौरान लालू यादव-राबड़ी देवी का शासन था। उनके ही शासन को जंगल राज कहा गया। दरअसल 5 अगस्त 1997 को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने पहली बार बिहार में जंगलराज कहा था। पटना हाईकोर्ट ने तब कहा था- 'बिहार में सरकार नहीं है, बिहार में जंगलराज कायम हो गया है। उस दौर में अपराध के बढ़ते ग्राफ और बाहुबलियों के दबदबे के कारण हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की थी। तब से समय-समय पर बिहार में यह गूंजता रहता है। बिहार में तो जंगल राज अब तकिया कलाम बन गया है। बात-बात में लोग जंगल राज का जिक्र करते हैं।
पटना हाईकोर्ट की टिप्पणी के 25 वर्ष बाद वर्ष 2023 में पश्चिम बंगाल के लिए पहली बार इसका प्रयोग हुआ है। संयोगवश बिहार के लिए इसका प्रयोग भी हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने ही किया था और अब बंगाल के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट ने ही इसका प्रयोग किया है। कलकत्ता हाईकोर्ट में 13 जनवरी 2023 को जस्टिस विश्वजीत बोस के सामने एक शिक्षक के तबादले का मामला सुनवाई के लिए आया। जस्टिस ने कहा कि यह जंगलराज ही होगा कि जिसकी जो मर्जी, उसी के मुताबिक काम होने लगे। ऐसा नहीं चलेगा। जिस स्कूल में शिक्षक नहीं हैं, वहीं तबादला होगा। तबादले के बाद हफ्ते भर में शिक्षकों को ज्वाइनिंग देनी होगी।
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जंगलराज पर बात करने का ताजा संदर्भ यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली प्रचण्ड जीत के बाद नई दिल्ली में पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने बिहार की ऐतिहासिक जीत को बंगाल में भाजपा की सफलता का मार्ग बताया। उन्होंने पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव में जंगलराज समाप्त करने का संकल्प व्यक्त किया है। पीएम मोदी के इस बयान के बड़े मायने हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव सभाओं में जंगल राज का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। अब बारी पश्चिम बंगाल की है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अगले साल मार्च-अप्रैल में प्रस्तावित है।
कांग्रेस से निकलीं ममता बनर्जी ने साल 1998 में तृणमूल कांग्रेस का गठन किया। 13 साल बाद 2011 में ममता बनर्जी ने पहली बार पश्चिम बंगाल की सत्ता हासिल की। टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में 34 साल पुराने लेफ्ट के किले को ढहाया था। इस चुनाव में टीएमसी को 184 सीटें मिली थीं। ममता बनर्जी पहली बार राज्य की सीएम बनी। 2016 में फिर से ममता ने जीत हासिल की। तब पार्टी को 211 सीटों के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुई। 2021 में लगातार तीसरी बार टीएमसी ने जीत हासिल की थी। टीएमसी ने 215 सीटें जीती थीं। ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी राज्य में जीत की हैट्रिक जड़ चुकी है। 2026 के चुनावों में टीएमसी का मुकाबला बीजेपी से होगा।
पिछले डेढ दशक के टीएमसी के शासन में चुनावी हिंसा से लेकर, विपक्ष खासकर बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ हिंसा और हत्या, महिला शोषण व अत्याचार के साथ भ्रष्टाचार के गंभीर मामले प्रकाश में आए हैं। ममता सरकार संवैधानिक संस्थाओं पर लगातार निशाना साधती रही है। ममता सरकार के कई मंत्री भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे हुए हें। पश्चिम बंगाल में सीबीआई ने शिक्षक नियुक्ति में महा घोटाले को उजागर किया है। इसी मामले में राज्य के शिक्षा मंत्री समेत कई अधिकारी आरोपी हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट ने तो सैकड़ों नियुक्तियां रद्द भी की हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट भी ममता सरकार के खिलाफ लगातार सख्त रुख अपनाए हुए हैं। संदेशखाली हो या फिर अभी हाल ही में मेडिकल कॉलेज की छात्रा से बलात्कार का मामला प्रदेश सरकार के उदासीन रवैये और बयानबाजी से आमजन अंदर ही अंदर बेहद नाराज है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि चुनाव के वक्त सबसे ज्यादा हिंसा पश्चिम बंगाल में ही होती है। दरअसल, इस राज्य में दंभ के स्वरों की गिनती में हिंसा का शीर्ष स्थान है और हिंसा को हमेशा शक्ति प्रदर्शन की श्रेणी में रखा गया। चाहे वह लोकसभा चुनाव हो या पंचायत चुनाव हो! चाहे आम चुनाव हो या उप चुनाव ही क्यों न हो! चाहे वह प्री पोल वायलेंस हो या पोस्ट पोल वायलेंस! पश्चिम बंगाल में चुनाव और हिंसा की गठरी हमेशा बंधी रही।
एनसीआरबी की उसी रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 1999 से 2016 के बीच पश्चिम बंगाल में हर साल औसतन 20 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 50 हत्याएं 2009 में हुईं। जबकि, उस साल अगस्त में सीपीएम ने एक पर्चा जारी कर दावा किया था कि 2 मार्च से 21 जुलाई के बीच तृणमूल कांग्रेस ने 62 काडरों की हत्या कर दी। हिंसा का जहां तक सवाल है, खासकर 2018 पंचायत चुनाव से 2021 के विधानसभा चुनाव तक राज्य में काफी हिंसा देखने को मिलीं। खासकर विधानसभा चुनाव के बाद होने वाली हिंसा और कथित राजनीतिक हत्याओं की घटनाओं ने तो काफी सुर्खियां बटोरी थी। फिलहाल पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी का राज है और विपक्ष की भूमिका में बीजेपी है।
पश्चिम बंगाल में 2018 के पंचायत चुनाव के दौरान 23 राजनीतिक हत्याएं हुई थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़े प्रमाण के तौर पर पेश किए जाते हैं। एनसीआरबी ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि साल 2010 से 2019 के बीच राज्य में 161 राजनीतिक हत्याएं हुई और देश में बंगाल इस मामले में पहले स्थान पर था।
2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की दो लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी ने राज्य में ममता बनर्जी को चुनौती देना शुरू कर दिया। 2016 के चुनाव में हालांकि बीजेपी को महज तीन सीटें मिलीं, लेकिन उसका वोट शेयर 4 फीसदी से बढ़कर 10 फ़ीसदी पर पहुंच गया। बीजेपी को पश्चिम बंगाल में असल कामयाबी 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली जब वो राज्य की 42 में 18 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं। लेकिन 2021 में ममता बनर्जी ने अपना किला बचाए रखा और राज्य की 294 विधानसभा सीटों में से 215 पर जीत दर्ज की. हालांकि लेफ्ट और कांग्रेस को पछाड़ते हुए बीजेपी 77 सीटें जीतकर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत की और 42 में से 29 सीटों पर जीत दर्ज की। बीजेपी को 6 सीटों का नुकसान हुआ और वह 12 सीटों पर सिमट गई।
2011 में लेफ्ट सरकार के पतन के बाद लोगों को उम्मीद जगी कि अब सरकार बदलने के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पंचायत चुनाव हो या विधानसभा-लोकसभा चुनाव, पश्चिम बंगाल में हिंसा कम नहीं हुई। अब तो बिना किसी चुनाव के भी राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या और उन पर हमला आम बात हो गई है। जबकि 1977 में कांग्रेस और 2011 में लेफ्ट फ्रंट सरकार की विदाई के पीछे कई वजहों में मुख्य वजह राजनीतिक हिंसा भी थी। ऐसे में आखिर कैसे बदलेगी यह तस्वीर!
बीजेपी पिछले लंबे समय से पश्चिम बंगाल में जंगलराज का मुद्दा उठाती रही है। पीएम के बयान के बाद ये बात साफ हो गई है कि 2026 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी जंगलराज का मुद्दा जोर शोर से उठाएगी। जिस तरह की गंभीर घटनाएं पिछले डेढ़ दशक में पश्चिम बंगाल में घटी हैं, उसके चलते टीएमसी के लिए पलटवार करना आसान नहीं होगा। 2026 में ममता पश्चिम बंगाल की सत्ता से बेदखल होंगी या बीजेपी सरकार बनाएंगी ये तो आने वाले समय ही बताएगा। फिलहाल पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल चुनाव की टोन सेट कर दी है।
- डॉ. आशीष वशिष्ठ,
-स्वतंत्र पत्रकार
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