पुतिन ने ट्रंप को सबक सिखाया, अब समझौते के लिए मॉस्को ही जाना पड़ेगा

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इस बातचीत में दुनिया भर के देशों को परेशान करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को एक बड़ा सबक भी सिखा दिया कि आप बातचीत से पहले ही बार-बार धमकाने वाला बयान देकर किसी देश को झुका नहीं सकते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बहुप्रतीक्षित बैठक बेनतीजा रही। अमेरिकी राज्य अलास्का के एंकोरेज में डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की आमने-सामने हुई मुलाक़ात तीन घंटे के लगभग चली। लेकिन दोनों नेताओं के बीच न तो युद्धविराम को लेकर कोई सहमति बन पाई और न ही कोई ठोस समझौता हो पाया।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इस बातचीत में दुनिया भर के देशों को परेशान करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को एक बड़ा सबक भी सिखा दिया कि आप बातचीत से पहले ही बार-बार धमकाने वाला बयान देकर किसी देश को झुका नहीं सकते हैं। दोनों नेताओं के बीच लगभग तीन घंटे तक चली मुलाकात के बाद एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस का भी आयोजन किया गया लेकिन यह प्रेस कांफ्रेंस भी सिर्फ 12 मिनट तक ही चली। ट्रंप और पुतिन ने इस संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में सिर्फ अपनी-अपनी बातें रखी और दोनों नेताओं ने पत्रकारों के किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
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बैठक से पहले ही ट्रंप लगातार रूस को चेतावनी भरे बयान जारी कर रहे थे। लेकिन बैठक के दौरान और बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पुतिन ने ट्रंप को बुरी तरह से बेनकाब कर दिया। उन्होंने साबित कर दिया कि शांति का मसीहा बनकर नोबेल पुरस्कार हासिल करने में जुटे ट्रंप में वास्तव में इस तरह की काबलियत है ही नहीं। अमेरिकी प्रोटोकॉल के मुताबिक, उनकी धरती पर जब कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करते हैं तो उसमें पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बोलते हैं और इसके बाद मेहमान नेता बोलते हैं। लेकिन इस बार संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत ट्रंप ने नहीं बल्कि पुतिन ने की।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पहली बार अंग्रेजी में बोलते हुए एक ऐसा बड़ा कूटनीतिक दांव चल दिया, जिसने ट्रंप को बुरी तरह से फंसा दिया। प्रेस कांफ्रेंस के अंत में ट्रंप ने जैसे ही पुतिन से कहा, 'जल्द मिलेंगे' वैसे ही तुरंत पहली बार अंग्रेजी में बोलते हुए पुतिन ने कहा, 'नेक्स्ट टाइम इन मॉस्को'। यानी यूक्रेन सहित अन्य मुद्दों पर रूस को मनाने के लिए अब डोनाल्ड ट्रंप को उनकी राजधानी मॉस्को की धरती पर जाना पड़ेगा।
इससे पहले बातचीत के दौरान भी अंतिम समय पर कई ऐसे बदलाव किए गए जिससे रूस कूटनीतिक तौर पर ट्रंप पर भारी पड़ते नजर आए।पहले यह तय किया गया था कि दोनों नेताओं- ट्रंप और पुतिन के बीच अकेले में मुलाकात और बातचीत होगी जिसे कूटनीतिक भाषा में वन-ऑन-वन मीटिंग कहा जाता है लेकिन अंतिम समय पर इस पैटर्न को बदलकर थ्री-ऑन-थ्री कर दिया गया यानी बातचीत के दौरान दोनों नेताओं के साथ दो-दो सलाहकार भी मौजूद रहे। अमेरिका की तरफ़ से विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ बैठक में शामिल हुए वहीं रूस की तरफ़ से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव बैठक में मौजूद रहे। यह बैठक रूस-यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई को रोकने के मुख्य मकसद से बुलाया गया था लेकिन इस वार्ता में यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की या यूक्रेन के किसी भी प्रतिनिधि को नहीं बुलाया गया था।
शांति का मसीहा होने का दावा करते घूम रहे ट्रंप को बड़ा झटका देते हुए पुतिन ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, रूस यूक्रेन में चल रहे संघर्ष (युद्ध) को खत्म करने में ईमानदारी से रुचि रखता है लेकिन किसी टिकाऊ समझौते के लिए पहले इस संघर्ष के मूल कारणों को समझना होगा। उन्होंने युद्ध को एक त्रासदी भी बताया। रूसी राष्ट्रपति ने ट्रंप की मौजूदगी में पश्चिमी देशों को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि शांति प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा या नुकसान न पहुंचाया जाए। व्हाइट हाउस में कई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को अपने बगल में बैठाकर बेइज्जत करने वाले ट्रंप के लिए पुतिन के ये तेवर किसी बड़े झटके से कम नहीं थे। पुतिन ने अपने बयानों से ट्रंप सहित पूरी दुनिया को बता दिया कि रूस-यूक्रेन लड़ाई का मूल कारण अमेरिका और नाटो देशों द्वारा यूक्रेन को भड़का कर उसका इस्तेमाल रूस के खिलाफ करने की साजिश है। उन्होंने अपने बयानों से यह स्पष्ट कर दिया कि लड़ाई रोकने के लिए अमेरिका को हर हाल में रूस के खिलाफ रचे जा रहे षड्यंत्रों को रोकना ही होगा। आखिर में ट्रंप को भी यह कहना पड़ा कि, "कोई समझौता तब तक नहीं होता, जब तक असल में समझौता नहीं हो जाता और हम वहां तक नहीं पहुंचे"।
- संतोष कुमार पाठक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।
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