आपका वोट और आपकी जागरूकता- दोनों हैं जरूरी, इस तरह निभाएं अपनी जिम्मेदारी

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इस बार सभी उम्मीदवारों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि यदि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामले हैं तो उसे उन मामलों की जानकारी तीन बार विज्ञापन देकर अखबार में प्रकाशित करानी होगी।

7 चरणों में होने वाले भारतीय आम चुनाव की तारीखों का ऐलान निर्वाचन आयोग कर चुका है और इसी के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। लेकिन तैयारी क्या सिर्फ राजनीतिक दल ही करेंगे और मतदाता का काम सबकुछ देखते रहने का है ? जी नहीं। इस बार के चुनाव में आप सब की भी बड़ी भागीदारी रहने वाली है। आइए जानते हैं कैसे-

cVIGILएप से दिखाएं अपनी शक्ति

चुनाव के दौरान अकसर यह देखने में आता है कि कहीं शराब बंट रही है या कहीं पैसे बांटे जा रहे हैं। कोई प्रत्याशी हथियारों का प्रदर्शन कर रहा है तो कोई जरूरी सामान आदि मतदाताओं को लुभाने के लिए वितरित कर रहा है। यही नहीं प्रत्याशियों के बैनर पोस्टर भी कई बार मनाही के बावजूद लगाये जाते हैं। ऐसा भी कई बार देखने को मिलता है कि चुनावों के दौरान नफरत फैलाने वाले भाषण दिये जाते हैं या फिर आदर्श आचार संहिता का किसी ना किसी प्रकार उल्लंघन किया जाता है। ऐसी स्थितियों में जागरूक नागरिक अपने कर्तव्य निभा सकें इसके लिए निर्वाचन आयोग ने कुछ व्यवस्थाएं की हैं। आप ऐसी घटनाओं का वीडियो बना लें और उसे चुनाव आयोग द्वारा जारी किये गये cVIGIL एप पर अपलोड कर दें। यहां हम आपको यह बताना चाहते हैं कि आपने जो वीडियो बनाया है उसे पांच मिनट के अंदर ही इस एप पर अपलोड करना होगा यदि उससे ज्यादा समय लेंगे तो यह वीडियो अपलोड ही नहीं होगा। चुनाव आयोग ने ऐसी व्यवस्था की है कि वीडियो अपलोड होने के 100 मिनट के भीतर ही फ्लाइंग स्कवॉयड उसकी जांच करेगा और अगर शिकायत सही है तो उस पर कार्रवाई भी होगी।

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उम्मीदवारों के लिए न्यू सुविधा एप

यही नहीं, चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों की सहुलियत का भी ध्यान रखा है। अगर आप चुनाव लड़ रहे हैं तो आपको चुनाव आयोग से कई तरह की मंजूरियां लेनी पड़ती हैं और प्रत्याशियों द्वारा अधिकृत व्यक्तियों को अकसर रिटर्निंग अफसर के दफ्तर के चक्कर काटते हुए देखा जा सकता है। इस दिक्कत को दूर करने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग न्यू सुविधा एप लेकर आया है। इस एप की खासियत यह है कि प्रत्याशी चाहे तो वह इसके जरिये नामांकन भी दाखिल कर सकता है लेकिन उसे कुछ अन्य व्यवहार्य कार्यवाहियों के लिए निर्वाचन आयोग के दफ्तर आना ही होगा। इस एप की एक अन्य सुविधा यह है कि प्रत्याशियों को अपने प्रचार के लिए जिन गाड़ियों के इस्तेमाल की मंजूरी लेनी है वह इस ऐप के जरिये ली जा सकती है। जुलूस या सभा आदि की अनुमति के लिए भी उम्मीदवार को न्यू सुविधा एप पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। निर्वाचन आयोग ने यह व्यवस्था की है कि मांगी गयी अनुमतियों पर निर्णय 24 घंटे के भीतर कर लिया जाये। इस एप के माध्यम से उम्मीदवारों को विभिन्न सेवाओं के लिए ई-भुगतान की सुविधा भी मिलेगी। यही नहीं इसी एप के माध्यम से कोई भी मतदान केंद्रों की वेब कास्टिंग देख सकता है।

आइए अब जानते हैं इस बार के चुनाव में नया क्या होने वाला है ?

-21वीं सदी में जो लोग जन्मे हैं वह पहली बार मतदान करेंगे। इस बार की मतदाता सूची पर नजर डालें तो लगभग डेढ़ करोड़ लोग पहली बार मतदान करने जा रहे हैं।

-2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बनाये गये पोलिंग स्टेशनों की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत का इजाफा करते हुए चुनाव आयोग ने इस बार 10 लाख 35 हजार के करीब पोलिंग स्टेशन बनाये हैं।

-ईवीएम में उम्मीदवारों की तसवीर भी होगी जिससे मतदाता एक जैसे नाम वाले उम्मीदवारों के नामों को लेकर भ्रमित नहीं हों। इसके साथ ही सभी पोलिंग बूथों पर वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल होगा।

-सभी पोलिंग स्टेशन सीसीटीवी से लैस होंगे और पोलिंग स्टेशनों की वीडियोग्राफी भी कराई जायेगी।

-नामांकन के दौरान उम्मीदवारों को अपने या अपने किसी परिजन के विदेशों में स्थित बैंक खातों का ब्यौरा भी देना होगा।

-आप सही उम्मीदवार चुनें और आपराधिक छवि वाले लोगों को खारिज कर सकें इसके लिए निर्वाचन आयोग ने राह आसान कर दी है। इस बार सभी उम्मीदवारों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि यदि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामले हैं तो उसे उन मामलों की जानकारी तीन बार विज्ञापन देकर अखबार में प्रकाशित करानी होगी। और यह विज्ञापन व्यापक प्रसार वाले समाचार पत्रों में ही देने होंगे। निश्चित ही इससे मतदाता सही उम्मीदवार का चयन कर सकेंगे। भारतीय निर्वाचन आयोग का यह निर्देश माननीय उच्चतम न्यायालय के सितंबर 2018 के संविधान पीठ के फैसले को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। 

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-सोशल मीडिया का इस समय जबरदस्त प्रभाव है और राजनीतिक दलों की ओर से इसका दुरुपयोग नहीं हो इसके लिए निर्वाचन आयोग ने भी कमर कस ली है। फेक न्यूज, पेड न्यूज के साथ ही सोशल मीडिया पर चल रहे कंटेंट पर चुनाव आयोग की कड़ी नजर रहेगी। राजनीतिक दल सोशल मीडिया पर प्रचार तो कर सकेंगे लेकिन इसके लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी। यही नहीं उम्मीदवारों के सोशल मीडिया अकांउट पर दिये गये विज्ञापनों का खर्च उस उम्मीदवार के कुल चुनावी खर्च में भी जोड़ा जायेगा। इस काम में पारदर्शिता लाने के लिए फेसबुक और गूगल भी साफ कर चुके हैं कि वह राजनीतिक विज्ञापनों को प्रमाणित करने के बाद ही उसे पोस्ट करने की इजाजत देंगे।

-मतदान के दिन मतदाता आसानी से मतदान कर सकें इसके लिए मतदाता पहचान-पत्र के अलावा अपनी पहचान साबित करने के लिए लोगों को 11 विकल्प दिये गये हैं। आइए डालते हैं उन पर एक नजर-

-पासपोर्ट

-ड्राइविंग लाइसेंस

-केंद्र सरकार, राज्य सरकार या फिर पब्लिक लिमिटेड कंपनी की ओर से जारी किया गया सर्विस कार्ड।

-बैंक या पोस्ट ऑफिस से जारी की गयी फोटोयुक्त पासबुक

-पैन कार्ड

-श्रम मंत्रालय द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड

-मनरेगा जॉब कार्ड

-पेंशन दस्तावेज फोटोयुक्त

-सांसद, विधायक, विधान परिषद को जारी सरकारी परिचय-पत्र

-आधार कार्ड

- नीरज कुमार दुबे

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