टीवी चैनलों की बहसों में युद्ध उन्माद क्यों फैलाया जा रहा है ?

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चैनलों पर बोलने वाले फौजियों और पत्रकारों के दिल का दर्द मैं समझता हूं लेकिन उन्हें पता नहीं है कि उनकी भड़काऊ टिप्पणियों से दोनों देश कितनी भयंकर खाई में गिर सकते हैं। अब जबकि इमरान खान बार-बार शांति की अपील कर रहे हैं तो हमें उनकी सुननी चाहिए।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान हमारे फौजी पायलट अभिनंदन को सुरक्षित वापस लौटा रहे हैं तो यह उनकी जबर्दस्त कूटनीतिक विजय होगी, हालांकि इमरान यह इसलिए भी कर रहे हैं कि उन्हें पता है कि भारत सरकार इस समय किसी भी हद तक जा सकती है। दूसरे शब्दों में भारत की फौज ने पाकिस्तानी फौज को यह संदेश अपने बालाकोट हमले से दे दिया है। पुलवामा में हमारे 40 जवानों की कुर्बानी ने पूरे देश को इतने जोश-खरोश से भर दिया है कि यदि भारत सरकार पूर्ण युद्ध भी छेड़ दे तो लोग जमकर उसका साथ देंगे। भारत के कुछ अखबार और ज्यादातर टीवी चैनल भी युद्ध के नगाड़े बजाने में जुटे हुए हैं। पाकिस्तान में भी यही हो रहा है।

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अब इंटरनेट की सुविधा के कारण एक-दूसरे के चैनलों को लोग देख रहे हैं और अपनी बाहें चढ़ा रहे हैं। इन चैनलों पर बोलने वाले फौजियों और पत्रकारों के दिल का दर्द मैं समझता हूं लेकिन उन्हें पता नहीं है कि उनकी भड़काऊ टिप्पणियों से दोनों देश कितनी भयंकर खाई में गिर सकते हैं। अब जबकि इमरान खान बार-बार शांति की अपील कर रहे हैं तो हमें उनकी सुननी चाहिए। मैंने कल लिखा था कि यह अपील काफी नहीं है। इसके साथ उन्हें कुछ ठोस कदम भी उठाने चाहिए थे। मुझे खुशी है कि हमारे पायलट के लौटाने की घोषणा उसी दिशा में सही कदम है। हालांकि मैं आशा करता था कि वे वर्तमान विवाद की जड़ तक पहुंचेंगे याने आतंकवादियों के विरुद्ध कुछ ठोस कदम उठाएंगे।

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यह ठीक है कि इमरान के इस कदम की तारीफ सारी दुनिया में होगी और उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि काफी चमक उठेगी लेकिन वे यदि चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच बात चले तो बात का असली मुद्दा तो तय हो। दोनों तरफ से लात तो चल चुकी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपनी नाक तो बचा ली लेकिन जरूरी यह है कि अब बात भी चले। इमरान ने बार-बार यह कहकर कि भारतीय विमान अपने बम जंगल में पटक गए, भारत सरकार पर यह बोझा भी डाल दिया है कि उसने आतंकी तबाही का जो दृश्य खींचा था, उसके प्रमाण भी दे। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इमरान ने मोदी से बात करने की कोशिश भी की। मैंने तीन-चार दिन पहले पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर यही सुझाव भी दिया था। क्या ही अच्छा हो कि इमरान मोदी को फिर फोन करें और आतंकवाद को खत्म करने का काम दोनों मुल्क मिलकर करें।

- डॉ. वेदप्रताप वैदिक

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