दिल्ली में मुफ्त चुनावी उपहारों के शोर में असल मुद्दे दब कर रह गये हैं

आम आदमी पार्टी ने मुफ्त योजनाओं की जो आदत जनता को लगाई है उसको देखते हुए अन्य पार्टियां भी इसी नीति पर चलती नजर आ रही हैं। यह नीति राजनीतिक दलों को सत्ता तो दिला देगी लेकिन सरकारी खजाने को और राज्य की आर्थिक सेहत को खासा नुकसान पहुँचाएगी।
अक्सर आपने देखा होगा कि किसी राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक और सामाजिक समीकरण हावी हो जाते हैं लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में हालात एकदम अलग हैं। विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली में राजनीतिक चर्चा में ‘‘मुफ्त उपहारों’’ की चर्चा हावी है जिससे प्रदूषण, कानून व्यवस्था, महिलाओं के खिलाफ अपराध और बुनियादी ढांचा सहित अन्य प्रमुख मुद्दे पीछे रह गए हैं। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी मुफ्त बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और महिलाओं के लिए नि:शुल्क सार्वजनिक परिवहन पहल पर जोर देते हुए ‘‘रेवड़ी पर चर्चा’’ जैसे अभियानों का नेतृत्व कर रही है। इसने नयी योजनाओं की भी घोषणा की है, जिनमें महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये देने के वादे के साथ मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना और बुजुर्गों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल संबंधी संजीवनी योजना शामिल है।
कांग्रेस ने जवाब में ‘प्यारी दीदी योजना’ की घोषणा की है जिसके तहत महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये देने की बात कही गई है। इसने 25 लाख रुपये तक की बीमा कवरेज का वादा करते हुए ‘जीवन रक्षा योजना’ की घोषणा भी की है। वहीं भाजपा ने भी अपने संकल्प पत्र के दो चरण अब तक जारी किये हैं जिनमें हर वर्ग के लिए योजनाओं की भरमार है। देखा जाये तो इन मुफ्त योजनाओं को एक बार ‘मुफ्त की रेवड़ी’ करार देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी दिल्ली के लोगों को आश्वस्त करना पड़ा है कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो इस तरह की योजनाएं जारी रखी जाएंगी।
इसे भी पढ़ें: रेबड़ियों पर केंद्रित होता दिल्ली विधानसभा चुनाव
इस बीच, मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहारों की घोषणाओं के चलते दिल्ली में वायु प्रदूषण जैसा महत्वपूर्ण मुद्दा गौण हो गया है। हालांकि राजधानी के ज्यादातर निवासियों ने गंभीर स्वास्थ्य खतरा बने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ठोस कार्य योजनाओं की कमी पर चिंता जताई है। हम आपको बता दें कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) पिछले साल नवंबर में 490 के अंक को पार कर गया, जो ‘‘अत्यंत गंभीर’’ श्रेणी में आता है। जहरीली हवा के कारण अनेक लोगों को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, यमुना नदी में अमोनिया के उच्च स्तर के कारण पूरे शहर में पानी की कमी भी देखी गई क्योंकि जलशोधन संयंत्र पानी का शोधन करने में असमर्थ थे। यही नहीं, खराब जल निकासी के चलते दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर में तीन यूपीएससी अभ्यर्थियों की डूबने से मौत को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में आक्रोश देखा गया था।
बहरहाल, देखा जाये तो मुफ्तखोरी की संस्कृति को बढ़ावा देने की वजह से शासन एवं नीति-निर्माण पंगु हो गये हैं। अपने अब तक के कार्यकाल में आम आदमी पार्टी की सरकार ने रोजगार सृजन और संविदा कर्मचारियों के लिए समाधान खोजने जैसे अन्य प्रमुख मुद्दों की अनदेखी की है। आम आदमी पार्टी ने मुफ्त योजनाओं की जो आदत जनता को लगाई है उसको देखते हुए अन्य पार्टियां भी इसी नीति पर चलती नजर आ रही हैं। यह नीति राजनीतिक दलों को सत्ता तो दिला देगी लेकिन सरकारी खजाने को और राज्य की आर्थिक सेहत को खासा नुकसान पहुँचाएगी। यहां सवाल यह भी उठता है कि हम 2047 तक भारत को विकसित बनाने की बात कर रहे हैं लेकिन जब देश की राजधानी ही विकसित नहीं होगी तो यह लक्ष्य आखिर कैसे हासिल होगा?
-नीरज कुमार दुबे
अन्य न्यूज़