वीर्य से भरा गुब्बारा फेंकने से दिल्ली वालों की मानसिकता उजागर

Throwing a semen filled balloon reveals the mentality of the people of Delhi
मनोज झा । Mar 3 2018 2:16PM

होली से दो दिन पहले देश के टॉप कॉलेज में शुमार लेडी श्रीराम कॉलेज के दो छात्राओं के साथ जो घटना हुई उसने दिल्ली के लोगों की मानसिकता को जगजाहिर कर दिया है।

कोई भी समाज तभी सभ्य कहलाता है जब उसमें महिलाओं के लिए सम्मान हो। दिल्ली देश की राजधानी है लेकिन क्या यहां रहने वाले लोग सभ्य की श्रेणी में आते हैं? हरगिज नहीं.. होली से दो दिन पहले देश के टॉप कॉलेज में शुमार लेडी श्रीराम कॉलेज के दो छात्राओं के साथ जो घटना हुई उसने दिल्ली के लोगों की मानसिकता को जगजाहिर कर दिया है। ये बात सही है कि चंद लोगों की करतूत के चलते पूरे शहर को कसूरवार नहीं ठहराया जा सकता...लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध के चलते दिल्ली पहले से बदनाम रही है।

जिस शहर में अपनी सहेली के साथ रिक्शे पर जा रही लड़की पर वीर्य से भरा गुब्बारा फेंका जाए तो समझ लीजिए हम किन लोगों के बीच रह रहे हैं। सीमन से भरा बैलून एक नहीं दो-दो लड़कियों पर फेंका गया...इस घटना का खुलासा तब हुआ जब फर्स्ट ईयर की छात्रा ने इंस्टाग्राम पर अपना दर्द बयां किया। पीड़ित छात्रा ने अपने पोस्ट में लिखा..."मैं अपनी सहेली के साथ रिक्शे से मार्केट से लौट रही थी। तभी मेरे ऊपर किसी ने गुब्बारा फेंका। पायजामे पर जहां गुब्बारा लगा वहां से अजीब दुर्गंध आ रही थी। ये तो साफ था कि ये पानी नहीं था। जब मैं अपने हॉस्टल वापस पहुंची तब मेरी एक क्लासमेट ने बताया कि उसके ऊपर किसी ने गुब्बारे में स्पर्म भरकर फेंक दिया तब मुझे एहसास हुआ कि ये क्या है।"

पीड़ित छात्रा ने आगे लिखा "इस तरह से होली के नाम पर मेरे साथ जिस तरह की हरकत की गई उसने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया है" पीड़ित की शिकायत पर अमर कॉलोनी थाने में शिकायत तो दर्ज कर ली गई लेकिन आरोपियों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला। डीयू की दो छात्राओं के साथ हुई इस हरकत ने दिल्ली में रह रहे उन लाखों लोगों को डरा दिया है जिनकी पत्नी या बेटी घर के काम से बाहर निकलतीं हैं। घटना के विरोध में डीयू की छात्राओं ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर मोर्चा तो खोल दिया लेकिन उससे कुछ हासिल होने वाला नहीं।

निर्भया कांड को लेकर दिल्ली में किस कदर कोहराम मचा था इससे सभी वाकिफ हैं...देश के दूसरे शहरों की तुलना में दिल्ली में लड़कियां कितनी सुरक्षित हैं ये सभी जानते हैं। मैं 1995 से दिल्ली में रह रहा हूं और इतने सालों के बाद आज भी मैं दिल्ली को शहर की श्रेणी में नहीं रखता। ऐसा नहीं है कि दूसरे शहरों में महिलाओं से रेप नहीं होता...छेड़खानी नहीं होती...लेकिन दिल्ली-एनसीआर में जिस तरह महिलाओं पर अपराध होते हैं वैसा कहीं नहीं होता।

दिल्ली की रहने वाली अभिनेत्री गुल पनाग ने तो यहां तक कह डाला था कि "दिल्ली के मर्द बेहद कमीने हैं और अश्लीलता उनके डीएनए में रची-बसी है"। कुछ साल पहले हाफ मैराथन में दिल्ली पहुंची गुल पनाग के साथ छेड़खानी की घटना हुई थी। गुल पनाग के मुताबिक हाफ मैराथन के दौरान उन्हें 5-6 बार छूने और छेड़ने की कोशिश की गई। अपने साथ हुई इस घटना से दुखी होकर गुल पनाग ने कहा था कि अश्लीलता दिल्ली के मर्दों में इतनी गहराई तक बैठी हुई है कि उसका खत्म होना आसान नहीं।

आखिर दिल्ली के लोग कब सुधरेंगे....उत्तर भारतीय खासकर दिल्लीवालों के स्वभाव को लेकर कई लोग अपनी राय जाहिर कर चुके हैं। दिल्ली के लोग आक्रामक होते हैं...उन्हें जल्द गुस्सा आता है ये सभी को मालूम है लेकिन महिलाओं को लेकर उनकी मानसिकता इतनी गंदी होगी ये सोच कर अब घिन आने लगी है। होली पर शराब के नशे में हुड़दंग मचाना आम बात है...लेकिन आप किसी महिला के साथ इस तरह की नीच हरकत करेंगे इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दिल्ली पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है...हो सकता है आरोपी पकड़े भी जाएं...लेकिन इस तरह की घटना दोबारा ना हो इसके लिए पूरे समाज को उठ खड़ा होना होगा। हमें ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए जो महिलाओं को लेकर इतनी गंदी सोच रखते हैं...हमें ऐसे लोगों को चिन्हित करना होगा जिनकी नजर में महिलाओं के लिए कोई सम्मान नहीं। अब दिल्ली को दिलवालों की दिल्ली कहने से पहले हमें सोचना पड़ेगा...हमें अपने अंदर झांकना होगा कि क्या वाकई हम दिलवाले हैं।

मनोज झा

(लेखक टीवी चैनल में वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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