वाकई, निर्मलाजी ने अमृत काल का 'अमृत बजट' प्रस्तुत किया है

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इस बार के बजट को देखें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सराहना की जानी चाहिए कि तमाम वैश्विक चुनौतियों के बीच उन्होंने विकास को गति प्रदान करने वाला बजट बनाया और हर वर्ग की उम्मीदों को कहीं ना कहीं पूरा किया।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट भारत की प्रगति को बढ़ाने वाला है। खासतौर पर अगले 25 वर्षों के लिए इसमें जो संकल्प प्रदर्शित किये गये हैं वह सरकार की दूरगामी सोच को प्रदर्शित करते हैं। वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी की सोच सिर्फ बजट के समय घोषणाएं करने वाले नेता की नहीं है बल्कि वह साल भर अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए फैसले करते रहते हैं और उन पर अमल भी करके अपने सभी संकल्पों को सिद्ध भी करते हैं। तभी आज जब विश्व तमाम तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है और कई बड़े देश आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं और कई देश कंगाली के रास्ते पर हैं, ऐसे समय में भी भारत ना सिर्फ तेज तरक्की कर रहा है बल्कि आगे आने वाले समय में भी भारत की ही सर्वाधिक तीव्र तरक्की की घोषणाएं विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी संस्थाएं कर रही हैं।

इस बार के बजट को देखें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सराहना की जानी चाहिए कि तमाम वैश्विक चुनौतियों के बीच उन्होंने विकास को गति प्रदान करने वाला बजट बनाया और हर वर्ग की उम्मीदों को कहीं ना कहीं पूरा किया। आम बजट दूरदर्शी सोच वाला, वृद्धि और समावेशन को बढ़ाने वाला है जिससे भारत ‘विश्व गुरु’ बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा। खासतौर पर भारत सरकार ने लोक लुभावन घोषणाओं से बचते हुए जिस तरह वित्तीय अनुशासन कायम किया है वह बेहद सराहनीय है।

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आम बजट से आय अर्जित करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को तत्काल लाभ मिलेगा और वित्तीय समावेशन भी बढ़ सकेगा। यह हर भारतीय की प्रति व्यक्ति आय को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने की नींव भी रखेगा। सरकार ने यदि इसे अमृत काल का पहला बजट बताया है तो इसमें कहीं कोई अतिश्योक्ति नहीं है। घरेलू विनिर्माण, रोजगार सृजन और कारोबारी सुगमता, डिजिटल इंडिया को बढ़ावा, करों का सरलीकरण, सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाले एमएसएमई और कृषि क्षेत्र को राहत प्रदान करना, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, रक्षा आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन दर्शाता है कि किस तरह भारत के हर वर्ग और क्षेत्र की उम्मीदों को बरकरार रखा गया है। यह बजट आत्मनिर्भर भारत को भी बढ़ावा देगा क्योंकि घरेलू कंपनियों को काफी प्रोत्साहन दिया गया है।

साथ ही मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10 लाख करोड़ रुपये और रेलवे के लिए 2.40 लाख करोड़ रुपये की पूंजीगत व्यय का बजट प्रस्ताव किया है जिससे निश्चित रूप से देश के औद्योगिक विकास को पंख लगेंगे। एमएसएमई के लिए 9,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय के साथ संशोधित ऋण गारंटी योजना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स व थ्रीडी प्रिंटिंग सरीखी आधुनिक तकनीकों में युवाओं के कौशल विकास को बढ़ावा देने के बजट प्रस्ताव भी सराहनीय हैं। इसके अलावा बजट प्रावधानों के जरिये देश को हरित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाना भी सरकार का स्वागतयोग्य कदम है। बजट में छोटे उद्योगों के लिए ऋण और कार्यशील पूंजी के पर्याप्त इंतजाम पर खास ध्यान देकर सरकार ने इस क्षेत्र की एक बड़ी चिंता को भी दूर किया है।

-गौतम मोरारका

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