गिलगित बाल्टिस्तान समेत PoK में अत्याचारों की जो बात राजनाथ सिंह ने कही है, वह एकदम सही है

Rajnath Singh
ANI

यह भी ध्यान रखना होगा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का जम्मू-कश्मीर से पीओके के बारे में चार महीने के भीतर दिया गया यह दूसरा बयान है। जब जुलाई में रक्षा मंत्री जम्मू-कश्मीर गये थे तब भी उन्होंने पीओके को फिर से हासिल करने की वकालत करते हुए कहा था कि यह भारत का हिस्सा है और रहेगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत की उत्तर में विकास यात्रा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के गिलगित और बाल्टिस्तान के हिस्सों में पहुंचने के बाद पूरी होगी। साथ ही उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लोगों पर जो अत्याचार किये जा रहे हैं उसके अंजाम पाकिस्तान को भुगतने होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि गिलगित और बाल्टिस्तान के बारे में बात करके भारत क्या संदेश देना चाहता है और वो कौन-से अत्याचार हैं जो पीओके के लोगों पर किये जा रहे हैं। साथ ही हमें यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का जम्मू-कश्मीर से पीओके के बारे में चार महीने के भीतर दिया गया यह दूसरा बयान है। हम आपको याद दिला दें कि इससे पहले जब जुलाई में रक्षा मंत्री जम्मू-कश्मीर गये थे तब भी उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को फिर से हासिल करने की वकालत करते हुए कहा था कि यह भारत का हिस्सा है और रहेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा था कि हम पर बुरी नजर डालने वाला कोई भी हो, भारत मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।

गिलगित-बाल्टिस्तान का हाल बेहद बुरा कर दिया है पाकिस्तान ने

जहां तक पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र की बात है तो आपको बता दें कि पाकिस्तान ने कश्मीर के जिस भाग पर अवैध कब्जा किया हुआ है उसके उत्तरी क्षेत्र को गिलगित-बाल्टिस्तान के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान सरकार ने कुछ समय पहले इस क्षेत्र को अपना पांचवां प्रांत भी घोषित किया था। गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में चल रही चीनी परियोजनाओं को लेकर स्थानीय लोग नाराज चल रहे हैं और यहां अक्सर विरोध प्रदर्शन और दंगे होते रहते हैं। हाल में इस तरह की खबरें भी आई थीं कि पाकिस्तान सरकार इस क्षेत्र को चीन को पट्टे पर देना चाहती है। दरअसल दक्षिण एशिया में अपना दबदबा बनाने और भारतीय सीमाओं के निकट पहुँचने को आतुर दिख रहा चीन गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके पर बहुत समय से नजरें गड़ाये है। इसके अलावा चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर भी इसी क्षेत्र से गुजरता है इसलिए चीन के लिए यह क्षेत्र महत्वपूर्ण कड़ी है। इसलिए जब भारत गिलगित-बाल्टिस्तान की बात कर रहा है तो वह सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि चीन पर भी निशाना साध रहा है।

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जहां तक गिलगित-बाल्टिस्तान के वर्तमान परिदृश्य की बात है तो आपको बता दें कि इस क्षेत्र के लोगों के साथ पाकिस्तान सरकार की बेरुखी और भेदभाव की वजह से ही यहां के स्थानीय प्रशासन को कम अधिकार दिये गये हैं। यहां साल 2020 में पाकिस्तान ने भारत को चिढ़ाने के लिए जबरन विधानसभा चुनाव करा दिये थे लेकिन स्थानीय सरकार के पास ज्यादा अधिकार नहीं हैं। 20 लाख की आबादी वाले इस शिया-सुन्नी क्षेत्र के लोगों का पाकिस्तान की सरकार में भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं है। पाकिस्तान सरकार इस इलाके के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन तो खूब करती है लेकिन इसके बदले में देती कुछ नहीं है। यही नहीं बिजली जैसी बुनियादी जरूरत से इस क्षेत्र को दूर रखा गया है। गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र पाकिस्तान के राष्ट्रीय ग्रिड का हिस्सा नहीं है इसीलिए यहां 24 घंटे में मात्र दो-तीन घंटे ही बिजली आती है। यही नहीं किसी भी विद्युत या अन्य परियोजना पर भी इस क्षेत्र का अपना नियंत्रण नहीं है। गिलगित-बालिटस्तान क्षेत्र के लोग बेरोजगारी, बिजली की कमी, शिक्षा का अभाव और अन्य बुनियादी सुविधाओं की बड़ी कमी के चलते पहले ही परेशान चल रहे हैं और सर्वाधिक पलायन की खबरें भी यहीं से आती हैं। इस क्षेत्र में बेहाली का क्या आलम है यह इसी बात से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं इसी इलाके में होती हैं।

गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग अक्सर इस क्षेत्र के साथ सौतेलापन और बर्बरता बंद करने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हैं और पूर्ण स्वायत्तता की मांग करते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा रहे गिलगित-बाल्टिस्तान के दर्जे को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समझौते का सम्मान करना चाहिए। कई बार यह भी देखने में आया है कि पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान के राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर मांग की है कि वहां हो रहे अमानवीय अत्याचार बंद करवाये जायें। लेकिन उसके बावजूद हालात में कोई बदलाव नहीं आया है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपनी आंखें मूंदे हुए है। पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान के राजनीतिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यहां के लोगों को प्रताड़ित किया जाता है, उन पर देशद्रोह और आतंकवाद के आरोप लगाकर जीवन भर के लिए जेलों में ठूंस दिया जाता है और इस क्षेत्र के लोगों की सांस्कृतिक विरासत को भी नष्ट किया जा रहा है। इन लोगों का यह भी कहना है कि चीन पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर के चलते स्थानीय लोगों को अपनी जमीनों से भी हाथ धोना पड़ रहा है।

पीओके में हो रहे अन्याय के बारे में जानिये

जहां तक पीओके के लोगों के साथ हो रहे अन्याय की बात है तो आपको बता दें कि पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ यहां के लोगों के मन में गहरा आक्रोश है। पिछले कुछ समय से यहां के लोग चीन की ओर से क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के किये जा रहे दोहन के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं। मुजफ्फराबाद में नीलम-झेलम जल विद्युत परियोजना के खिलाफ जो व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ था उसको देखकर पाकिस्तान सरकार हिल गयी थी इसलिए उस प्रदर्शन का बलपूर्वक दमन किया गया था। यही नहीं पीओके की जनता पाकिस्तानी सेना की ओर से जबरन भूमि कब्जे के खिलाफ भी आवाज उठाती रही है। साथ ही बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार की समस्या से इस समय पीओके का हर आदमी परेशान है। इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव तो है ही साथ ही बेरोजगारी और कमीशनखोरी ने हर आदमी का जीना मुहाल कर रखा है। यही नहीं आईएसआई की ओर से अकसर लोगों पर की जाने वाली छापेमारी भी यहां बड़ा मुद्दा है। साथ ही लोगों का आरोप है कि यहां पर सर्वाधिक बिजली बनने के बावजूद लोगों को पूरे समय बिजली सप्लाई नहीं की जाती और उसे बाहर बेच दिया जाता है। हालिया समय में कई बार यहाँ खुलकर पाकिस्तानी सरकार और सेना के खिलाफ प्रदर्शन होते रहे हैं और सामाजिक कार्यकर्ता भारत तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की माँग करते रहे हैं।

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पीओके में महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और पाकिस्तान से आजादी के नारे तो लगाये ही जाते रहते हैं साथ ही कुछ समय पहले एक ऐसी घटना हुई थी जिसने पाक हुक्मरानों के होश उड़ गये थे। पीओके के ददयाल शहर में एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार तनवीर अहमद ने पाकिस्तानी झंडा उतार दिया था जिसके बाद उसे सुरक्षा एजेंसियां उठा कर ले गयी थीं। यही नहीं महँगाई के आसमान पर पहुँच जाने के खिलाफ हाल में स्थानीय नेताओं का विरोध प्रदर्शन इतना व्यापक हो गया था कि हालात बिगड़ते नजर आ रहे थे। पुलिस ने जब कुछ स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार किया तो महंगाई के खिलाफ आंदोलन हिंसक हो उठा और पीओके में नागरिकों और पुलिस के बीच झड़पों में कई नागरिक मारे गये। देखा जाये तो पीओके के लोग इस्लामाबाद की मनमानी से तंग आ चुके हैं और लोगों को अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

पीओके के स्थानीय लोगों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार उनका विभिन्न तरह से शोषण कर रही है। पीओके के लोगों का यह भी कहना है कि पाकिस्तान सरकार ने इस इलाके में आतंकी प्रशिक्षण कैम्प बनाकर इस क्षेत्र को बदनाम कर दिया है और यहां के युवाओं की गरीबी का फायदा उठाकर उन्हें बहकाया जाता है और भारत विरोधी अभियानों में लगाया जाता है।

बहरहाल, जहां तक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र तक भारत के पहुँचने संबंधी बयान की बात है तो हम आपको बता दें कि उन्होंने 22 फरवरी 1994 को भारतीय संसद में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव का जिक्र करते हुए यह बात कही थी। हम आपको यह भी याद दिलाना चाहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2016 में अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों के हालात की बात की थी और कहा था कि बलूचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने उनके मुद्दे उठाने के लिए उनका शुक्रिया अदा किया।

-नीरज कुमार दुबे

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