योगी के चुनाव लड़ने के लिए संघ परिवार ने ऐसी सीट चुनी है जो वर्षों तक बड़ा राजनीतिक लाभ देगी

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अब जब यह तय हो चुका है कि योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ेंगे तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह सीट कौन-सी होगी। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर लोकसभा सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में गोरखपुर की एक विधानसभा सीट छोड़कर बाकी पर भाजपा का ही कब्जा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे लेकिन अभी तक यह खुलासा नहीं किया है कि वह प्रदेश की कौन-सी सीट से चुनाव लड़ेंगे। हाल ही में उनसे पूछा गया था कि क्या वह चुनाव लड़ेंगे तो इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा था कि मेरे चुनाव लड़ने पर कोई संशय नहीं है। लेकिन मैं चुनाव कहां से लड़ूंगा इस बात का फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा। यह पूछे जाने पर कि वह अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे या मथुरा से या गोरखपुर से, तो उन्होंने कहा था कि पार्टी जहां से कहेगी, मैं वहां से चुनाव लड़ूंगा। हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी इस समय उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं। उनसे पहले मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव भी विधान परिषद के ही सदस्य थे। अखिलेश यादव से पहले मुख्यमंत्री रहीं मायावती भी विधान परिषद की ही सदस्य थीं। यानि 15 साल बाद उत्तर प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहा है।

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क्या गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे योगी?

अब जब यह तय हो चुका है कि योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ेंगे तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह सीट कौन-सी होगी। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर लोकसभा सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में गोरखपुर की एक विधानसभा सीट छोड़कर बाकी पर भाजपा का ही कब्जा है। योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर में जो प्रभाव है उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि वह यहां की जिस भी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे उनके लिए जीत बड़ी आसान रहेगी लेकिन सवाल यह है कि क्या सबसे आसान सीट से योगी चुनाव लड़ेंगे? सवाल यह भी है कि क्या सबसे आसान सीट से चुनाव लड़कर योगी कोई बड़ा संदेश दे सकेंगे? इसीलिए माना जा रहा है कि योगी गोरखपुर से चुनाव नहीं लड़ेंगे।

क्या अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे योगी?

तो क्या ऐसे में योगी की नजर अयोध्या विधानसभा सीट पर है? इस सवाल का जवाब खोजें उससे पहले यह जान लें कि अयोध्या की लोकसभा समेत सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। यहां श्रीरामजन्मभूमि पर राममंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। अयोध्या में विकास के जितने कार्य चल रहे हैं और उन कार्यों की प्रगति की समीक्षा के लिए योगी जिस प्रकार नियमित यहाँ आते रहते हैं उसको देखते हुए अटकलें हैं कि वह यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे भी अयोध्या साधु-संतों की ही नगरी है। योगी खुद भी संत हैं। योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या में रामायण मेले और दीपोत्सव को जो विराट स्वरूप प्रदान किया है उससे यहां उनकी लोकप्रियता भी बहुत है। ऐसे में अयोध्या से चुनाव लड़ने पर योगी आदित्यनाथ को शानदार जीत मिल सकती है। लेकिन संघ परिवार की योजना अयोध्या मुद्दे का राजनीतिक लाभ अभी नहीं बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों में लेने की है। माना जा रहा है कि साल 2023 के अंत तक राममंदिर निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा और 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा अपने पूरे हुए चुनावी वादों की सूची में राममंदिर को भी रखेगी इसलिए इस बात की उम्मीद कम ही है कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से विधानसभा का चुनाव लड़ें।

क्या बनारस से चुनाव लड़ेंगे योगी?

योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री रहते काशी के विकास और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के प्रति भी गहन रुचि लेते रहे और यह उनकी अथक मेहनत का भी नतीजा है कि काशी का स्वरूप एकदम बदल गया है और वहां विकास कार्य तेज गति से चल रहे हैं। ऐसे में अटकलें इस बात की भी शुरू हुईं कि योगी आदित्यनाथ वाराणसी की किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। देखा जाये तो वाराणसी संसदीय सीट के साथ ही यहां की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा का ही कब्जा है। यहां से यदि योगी चुनाव लड़ते हैं तो बड़ी जीत मिलना तय है लेकिन चूँकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से खुद सांसद हैं इसलिए भाजपा एक ही क्षेत्र में दो पावर सेंटर बनाने से बचना चाहेगी। इसलिए योगी बनारस से शायद ही चुनाव लड़ें।

क्या मथुरा से चुनाव लड़ेंगे योगी?

योगी आदित्यनाथ मथुरा के विकास को लेकर भी काफी सक्रिय रहे हैं और यहां उन्होंने लगातार दौरे भी किये हैं। उनके कार्यकाल में मथुरा को विकास की कई परियोजनाएं भी मिली हैं। मथुरा संसदीय सीट भाजपा के पास है और यहां की एक विधानसभा सीट को छोड़कर बाकी पर भाजपा का ही कब्जा है। भाजपा नेता जिस तरह लगातार अपने भाषणों में मथुरा का जिक्र कर रहे हैं उससे लगता है कि संघ परिवार कम से कम अगले पांच से दस सालों तक इस मुद्दे के जरिये राजनीति को गर्माये रखना चाहता है। यदि योगी आदित्यनाथ मथुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़ा मुद्दा तूल पकड़ेगा और जिस तरह अयोध्या और काशी से जुड़े मुद्दों ने भाजपा को राजनीतिक लाभ पहुँचाया उसी तरह का लाभ मथुरा से भी पार्टी को मिल सकता है। योगी को मथुरा से चुनाव लड़ाने की संभावनाएं इसलिए भी बलवती नजर आ रही हैं क्योंकि मथुरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आता है। हाल में चले किसान आंदोलन के कारण भाजपा के लिए सबसे ज्यादा मुश्किलें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही खड़ी हुई थीं। इसके अलावा जाटों की भी नाराजगी सामने आई थी। यदि योगी आदित्यनाथ जाट बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो पूरे क्षेत्र में इसका प्रभाव पड़ेगा। जो जाट आरएलडी और सपा के गठबंधन के चलते उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं वह भाजपा की तरफ भी आ सकते हैं।

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मथुरा से योगी के चुनाव लड़ने की संभावनाएं बढ़ रही हैं

यही नहीं, योगी को मथुरा से चुनाव लड़ाने की भूमिका बनाने की शुरुआत भी कर दी गयी है। भाजपा के राज्यसभा सांसद हरनाथ यादव ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मथुरा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारने का अनुरोध किया है। हरनाथ यादव ने अपने पत्र में लिखा है कि ''वैसे तो प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की इच्छा होगी कि योगी आदित्यनाथ उनकी विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ें लेकिन मैं बहुत विनम्र शब्दों में निवेदन करता हूं कि ब्रज क्षेत्र की जनता की विशेष इच्छा है कि योगी भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा से चुनाव लड़ें।’’ भाजपा सांसद हरनाथ यादव ने अपने पत्र में लिखा है कि ‘‘स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने मुझे यह पत्र लिखने के लिए प्रेरित किया है। अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि ब्रज क्षेत्र की जनता की भावनाओं का ख्याल रखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संपूर्ण कलाधारी भगवान श्रीकृष्ण की नगरी से प्रत्याशी घोषित करने पर विचार करें।’’

बहरहाल, हम आपको बता दें कि फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा मथुरा से विधायक हैं। मथुरा मुद्दे को सबसे पहले प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उठाते हुए कहा था कि अयोध्या और काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है और मथुरा में मंदिर निर्माण की तैयारी की जा रही है। इसके बाद खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे को उठाते हुए आगे के संकेत दे दिये थे। उन्होंने कहा था कि अयोध्या और काशी में जब भव्य धाम बन रहे हैं तो ऐसे में मथुरा वृंदावन कैसे छूट जाएगा।

-नीरज कुमार दुबे

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