प्रथम श्रेणी क्रिकेट की कमी से खिलाड़ियों का कौशल प्रभावित हो रहा है: जयदेव उनादकट

Jaydev Unadkat

सौराष्ट्र के कप्तान जयदेव उनादकट को लगता है कि लाल गेंद प्रारूप (प्रथम श्रेणी या टेस्ट) में खेल की कमी के कारण खिलाड़ियों का कौशल प्रभावित होना शुरू हो गया है और लगातार दूसरी बार रणजी ट्रॉफी सत्र को रद्द करना भारत में घरेलू क्रिकेट के लिए एक ‘बड़ी क्षति’ होगी।

नयी दिल्ली। सौराष्ट्र के कप्तान जयदेव उनादकट को लगता है कि लाल गेंद प्रारूप (प्रथम श्रेणी या टेस्ट) में खेल की कमी के कारण खिलाड़ियों का कौशल प्रभावित होना शुरू हो गया है और लगातार दूसरी बार रणजी ट्रॉफी सत्र को रद्द करना भारत में घरेलू क्रिकेट के लिए एक ‘बड़ी क्षति’ होगी। पिछले साल कोरोना वायरस के कारण पहली बार इस शीर्ष घरेलू प्रतियोगिता को रद्द करना पड़ा था। महामारी की तीसरी लहर के कारण मौजूदा सत्र के स्थगित होने से कई खिलाड़ी चिंतित हैं। इस सत्र में टूर्नामेंट को 13 जनवरी से खेला जाना था जिसके लिए प्रमुख तेज गेंदबाज उनादकट और सौराष्ट्र के बाकी खिलाड़ियों ने मार्च 2020 में जीते हुए अपने पहले खिताब के बचाव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी थी।

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उनादकट ने पीटीआई-से कहा, ‘‘ लगातार दो साल तक टूर्नामेंट के रद्द होने से बड़ा नुकसान होगा। पहले एक साल के लिए रद्द होना अपने आप में बहुत बड़ा नुकसान था। जब हमने इस सत्र के स्थगित होने से पहले अपना शिविर शुरू किया था तब यह एक नये खेल की तरह लगा रहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ गेंद को छोड़ना, तेज गेंदबाजी करना और लंबी स्पैल में गेंदबाजी करना। वह सब फिलहाल खेल से बाहर हो गया। अगर इस साल भी रणजी ट्रॉफी नहीं हुई तो यह खिलाड़ियों के लिए मुश्किल होगा।’’ बायें हाथ के इस गेंदबाज ने 2020 सत्र में रिकॉर्ड 67 विकेट लिये थे।

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उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सुना है कि बीसीसीआई इसका आयोजन करने का इच्छुक है। अगर वायरस की स्थिति खतरनाक नहीं होती है, तो हम इसे फरवरी में और सख्त बायो-बबल (जैव-सुरक्षित) और अधिक सतर्कता के साथ कर सकते हैं।’’ भारत के लिए एक टेस्ट, सात एकदिवसीय और 10 टी20 अंतरराष्ट्रीय खेलने वाले इस खिलाड़ी ने कहा कि अगर फरवरी में इसका आयोजन नहीं हुआ तो बीसीसीआई को आगामी सत्र का आगाज रणजी ट्रॉफी से करना चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘ बल्लेबाजों के लिए भी यह काफी अलग हो रहा है। जब मैं बल्लेबाजी कर रहा था तब मैंने पहली गेंद विकेट के पीछे जाने दी और ईमानदारी से कहूं तो यह काफी अलग लग रहा था। मुझे लगता है कि सलामी बल्लेबाजों के अलावा सभी के साथ ऐसा हो रहा है।

सलामी बल्लेबाज एकदिवसीय में पारी की शुरुआत में ऐसा करने के आदी होते है।’’ उन्होंने अभ्यास सत्र के अनुभव को साझा करते हुए कहा, ‘‘गेंदबाज भी ऐसी गेंदबाजी कर रहे थे जो सीमित ओवरों के मुताबिक थी। वे एक जगह गेंद को टप्पा खिलाने की जगह कुछ गेंदों के बाद बदलाव करते थे।’’ यह अनुभवी क्रिकेटर हालांकि इस बात को समझता है कि महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बीच 38-टीमों के टूर्नामेंट को आयोजित करना बीसीसीआई के लिए काफी कठिन काम है। उन्होंने कहा, ‘‘यह निराशाजनक है लेकिन मुझे लगता है कि कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए ऐसा होना ही था और सही फैसला लिया गया। उम्मीद है कि चीजें बेहतर होंगी और हम इसका आधा हिस्सा या आईपीएल से पहले लीग चरण को खेल सकेंगे।’’ उन्होंने कहा कि इस मुश्किल समय में खिलाड़ियों की वित्तीय सुरक्षा के लिए केंद्रीय अनुबंध जरूरी है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह बीसीसीआई ने खिलाड़ियों की आर्थिक मदद की उसी तरह की पहल राज्यों को उन शीर्ष खिलाड़ियों के लिए पहल करना चाहिये जिसे बीसीसीआई से वित्तीय लाभ नहीं मिल सका। उन्होंने कहा, ‘‘बीसीसीआई फिर से पिछले साल की तरह एक सत्र पहले टीम का हिस्सा रहे खिलाड़ियों की मदद कर सकता है लेकिन जो खिलाड़ी टीम में जगह बनाने से चूक गये थे उन्हें कुछ नहीं मिला था। अगर बीसीसीआई शीर्ष 20 खिलाड़ियों को मदद मुहैया करा रहा है तो राज्य संघ उसके बाद के शीर्ष 20 खिलाड़ियों की मदद कर सकते है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ दो साल पहले मेरी पहल पर बोर्ड (सौराष्ट्र) ने केंद्रीय अनुबंध पर कदम उठाना शुरू किया था लेकिन कोविड-19 के कारण बात आगे नहीं बढ़ी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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