चुनाव बाद और जटिल हो गये अफगानिस्तान के हालात, ऐसे कैसे कायम होगी शांति

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डॉ. संजीव राय । Feb 26, 2020 2:55PM
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अब्दुल गनी अपने नए कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी कर रहे हैं तो वहीँ अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने का ऐलान किया है। दोनों ही प्रतिद्वंद्वियों ने शपथ ग्रहण के लिए अलग-अलग आयोग बनाये हैं।

अफ़ग़ानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव के घोषित परिणाम को लेकर राजनीतिक गुटों के बीच शक्ति प्रदर्शन का दौर जारी है। पचास प्रतिसत से अधिक मत पाने वाले वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल गनी को सितम्बर माह में  हुए चुनाव में विजयी घोषित किया गया है। वर्तमान में देश के सीईओ के पद पर आसीन अब्दुल्ला अब्दुल्ला लगभग 39 प्रतिशत मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और पुराने मुजाहिद्दीन नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। अब्दुल्ला अब्दुल्ला और गुलबुद्दीन हिकमतयार दोनों ने ही चुनाव परिणाम को खारिज़ किया है। उनका कहना है कि चुनाव परिणाम निष्पक्ष नहीं हैं।

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अब राष्ट्रपति अब्दुल गनी अपने नए कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी कर रहे हैं तो वहीँ अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने का ऐलान किया है। दोनों ही प्रतिद्वंद्वियों ने शपथ ग्रहण के लिए अलग-अलग आयोग बनाये हैं। यही नहीं अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने तो जाऊ जान और सरे ए पुल जैसे प्रांतों में अपने गवर्नर नियुक्त कर दिये हैं। ऐसी उम्मीद है कि वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल गनी आने वाले बृहस्पतिवार को शपथ लेंगे। अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने एक एकीकृत (इंक्लूसिव) सरकार के गठन का ऐलान किया है जिसमें अनेक राजनीतिक और सामाजिक घटक शामिल होंगे।

यह राजनीतिक गतिरोध ऐसे समय हो रहा है जब शांति समझौते को लेकर तालिबान और अमेरिका के बीच बातचीत एक बार फिर से निर्णायक दौर में है। अमेरिकी सेना, अफगानी सेना और तालिबान ने 22  फरवरी से एक सप्ताह तक हिंसा में कमी की घोषणा की है। साल 2019 में अफ़ग़ानिस्तान में मरने और घायल होने वालों की संख्या 10000 से अधिक रही है। अमेरिका और तालिबान के मध्य शांति प्रस्ताव पर औपचारिक हस्ताक्षर होने से पूर्व दोनों पक्षों और आम अवाम के बीच आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अगर इस हफ्ते हिंसक घटनाओं में कमी होती है तो 29 फरवरी को शांति प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। अगर   अमेरिकी सेना और तालिबान के बीच बातचीत सकारात्मक रहती है तो अमेरिका अपनी सेना के 13000 सैनिकों की वापसी सुनिश्चित कर सकता है।

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लेकिन अमेरिका और तालिबान की सहमति से पहले यह तय होना होगा कि वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल गनी और वर्तमान सीईओ अब्दुल्ला अब्दुल्ला में से अफ़ग़ानिस्तान सरकार का मुखिया कौन होगा। जब तक अफ़ग़ानिस्तान में एक निर्वाचित और स्थिर सरकार नहीं होगी तब तक कोई भी शांति प्रस्ताव ज़मीन पर उतारना बेहद चुनौती पूर्ण होगा। हो सकता है एक बार फिर अमेरिका के हस्तक्षेप से अफ़ग़ानिस्तान में एक संयुक्त सरकार का गठन हो और अमेरिका 19 वर्षों के बाद देश से अपनी सेना की वापसी की योजना पर आगे बढ़े।

-डॉ. संजीव राय

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