दीपावली- सनातन धर्म-संस्कृति व परंपराओं का गौरवशाली पर्व

Diwali 2025
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दीपावली का पर्व हर वर्ष शरद ऋतू की शुरुआत में आता है। यह पावन त्योहार भारतीय संस्कृति का प्रमुख पर्व है और इसको प्रतिवर्ष पवित्र कार्तिक मास की अमावस्या को बहुत ही जोशोखरोश के साथ देश व विदेशों तक में मनाया जाता है।

विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म, संस्कृति की विविध प्रकार की परंपराओं के अनुसार हम सभी सनातनियों के जीवन में त्योहारों का विशेष स्थान है। हम  सनातनियों के यहां पर त्योहारों की एक पूरी लंबी श्रृंखला मनायी जाती है, हर माह कोई ना कोई त्योहार हम सबकी झोलियों को खुशियों से भरने का काम करता है, इन त्योहारों के दम पर अगर हम भारत को त्योहारों की अद्भुत संस्कृति के महाकुंभ से संपन्न देश कहें तो यह कहना भी गलत नहीं होगा, क्योंकि हमारे प्यारे देश में वर्ष भर तिथि व वार के अनुसार आयेदिन कोई न कोई पर्व या उत्सव लगातार चलते ही रहते है। हालांकि कुछ उत्सव केवल देश के किसी क्षेत्र विशेष में मनाए जाते हैं तो कुछ उत्सव सम्पूर्ण देश में अलग-अलग नाम व तौर-तरीकों से मनाये जाते हैं। वैसे भी विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म की गौरवशाली परंपराओं के अनुसार शायद ही कोई माह या ॠतु ऐसी होगी, जिसमें हम लोग कोई त्योहार ना मनाये, यही हमारी संस्कृति का गौरवशाली इतिहास व आज रहा है। वैसे भी देखा जाए तो त्योहार या उत्सव के महत्वपूर्ण अवसर हमारे जीवन में एक नया उत्साह संचार करने के बेहद आवश्यक कारक बनते हैं, पर्व या उत्सव जीवन पथ में आपसी भाईचारा, प्यार-मौहब्बत, ख़ुशी और हर्षोल्लास का एक अद्भुत नया पुट लाते हैं।

वैसे तो हम भारतीय अपनी मान्यताओं व परम्पराओं के अनुसार रोज ही सर्वशक्तिमान ईश्वर की आराधना करते रहते हैं, लेकिन प्रभु की अर्चना के सभी उत्सवों में दीपावली का अपना एक अहम ही स्थान है, जितने भी त्योहार हैं, उनमें दीपावली सर्वाधिक आम लोगों से लेकर के खास लोगों तक के बीच में बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है। क्योंकि यह त्योहार जन-जन के मन में हर्षोल्लास पैदा करने वाला दिव्य पर्व है। सनातन धर्म में प्रार्थना की जाती है कि- 'तमसो मा ज्योतिर्गमय:' अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला, दीपावली वही पावन पर्व है जो जीवन में एक नई राह दिखाता है। दीपावली के पावन पर्व की इस श्रृंखला पर हम धन्वंतरि, यमदेवता, माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश, माँ काली, भगवान श्रीराम, गोवर्धन, भगवान कृष्ण आदि की विशेष प्रकार से पूजा करते हैं। लेकिन अधिकांश लोग माता लक्ष्मी व भगवान गणेश की विशेष पूजा अवश्य करते हैं। वैसे भी अधिकांश लोगों का मानना हैं कि आज के व्यवसायिक समय में माता लक्ष्मी की कृपा के बिना किसी भी प्रकार के भौतिक व सांसारिक कार्यों का होना अब असंभव हो गया है, इसलिए इनकों हमेशा प्रसंन्न रखना है। दीपावली पर हम उस कृपालु परम पिता परमेश्वर की विशेष आराधना करते है। उसके बाद दीपक व विभिन्न प्रकार की आधुनिक व प्राचीन दीपमालाओं की झिलमिलाती मनमोहक रोशनी को देखकर अपने जीवन को सकारात्मक उर्जा से भरने का कार्य करते हैं। बच्चे, बड़े व बुजुर्ग सभी इस पावन पर्व पर जमकर पटाखे चलाकर व एक दूसरे को उपहार देकर खुशियाँ मनाते हैं। जीवन में इन ढ़ेरों खुशियों की जगमग-जगमग करती दीपमाला को लाने का पावन पर्व ही दीपावली है।

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दीपावली का पर्व हर वर्ष शरद ऋतू की शुरुआत में आता है। यह पावन त्योहार भारतीय संस्कृति का प्रमुख पर्व है और इसको प्रतिवर्ष पवित्र कार्तिक मास की अमावस्या को बहुत ही जोशोखरोश के साथ देश व विदेशों तक में मनाया जाता है। दीपावली सनातन धर्म की गौरवशाली परंपराओं के अनुसार हिंदुओं का सबसे पवित्र और सबसे बड़ा पावन पर्व माना जाता है। हमारी धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली मनाने की कई कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन दीपावली के दिन लंका युद्ध में रावण का वध करके, भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या नगरी वापस आए थे, तब अयोध्या के सभी वासियों ने भगवान श्रीराम के वापस आने की खुशी में अयोध्या को साफ-सुथरा करके दीपों से, फूलो से, जगह-जगह रंगोली बनाकर, पूरी अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सज़ा दिया था। तब से लेकर आज तक दीपावली मनाने की यह पावन गौरवशाली परंपरा लगातार चली आ रही है। इस दिन हम सभी कार्तिक मास की अमावस्या के गहन अन्धकार को दूर करने के लिए दीपों को प्रज्वलित करके अपने-अपने घर-आंगन, गांव-शहर ओर हर जगह को टिमटिमाती हुई  जगमग-जगमग करने वाली दीपावली के दियों की रोशनी से जगमगा देते हैं। जो इस त्योहार की अनोखी छटा को चार चाँद लगाते हुए भव्यता व दिव्यता देता है। इस पर्व पर आजकल हम लोग माता लक्ष्मी-गणेश पूजन करने के बाद, अपने मित्रों, पड़ोसियों व रिश्तेदार व नातेदारों के यहाँ जाकर मिठाई व उपहार आदि देते हैं। इस त्योहार में एक ऐसी दिव्य शक्ति है कि वह हम लोगों में आपसी प्यार, सौहार्द के साथ परिवार की तरह रहने के लिए प्रेरित करती है तथा यह त्योहार हम सभी के जीवन में एक नई सकारात्मक उर्जा का संचार कर देता है। इस त्योहार को हम लोग दीपावली या आम-बोलचाल की भाषा में दीवाली के नाम से भी पुकारते हैं। दीपावली हम सभी के जीवन में खुशियों के नये रंग भरने वाला बहुत ही शानदार त्योहार है। जो देश व समाज में हर तरफ प्रकाश की नवज्योति फैलाते हुए लोगों के जीवन को हर्षोल्लास, आनंद से परिपूर्ण कर देता है। 

सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति को मानने वाले व्यक्ति के जीवन में दीपावली का एक बहुत बड़ा  महत्व होता हैं। शास्त्रों के अनुसार यह त्योहार व्यक्ति के जीवन को 'अंधेरे से ज्योति' अर्थात प्रकाश की ओर लेकर जाता है। इस त्योहार पर प्रत्येक सनातनी मनुष्य अपने जीवन के गम के अंधेरों को भुलाकर, जीवन को एक नये उजाले की ओर ले जाने का ठोस प्रयास करता है। मेरा मानना हैं कि आज के भागदौड़ भरे आपा-धापी वाले इस व्यवसायिक दौर में सही में दीपावली वह है जब व्यक्ति अपने मन के अंधेरों को प्रण लेकर स्थाई रूप से खत्म करके, जीवन में प्रकाशमयी सकारात्मक उर्जा के साथ लोगों के साथ मिलजुलकर प्यार मोहब्बत से जीवन की अद्भुत लीलाओं भरपूर आनंद ले। तब ही जीवन में प्रकाश व खुशियों की दीपमाला को झिलमिलाने वाले पावन पर्व दीपावली के त्योहार का असली उद्देश्य पूर्ण होता है। मैं दीपावली के पावन पर्व की इस श्रृंखला पर सभी देशवासियों को बहुत-बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं और सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह हम सभी देशवासियों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें।

- दीपक कुमार त्यागी

अधिवक्ता, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
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