पंजाब की हालिया कुछ घटनाएं साधारण अपराध नहीं बल्कि राज्य को आतंक की राह पर धकेलने का प्रयास हैं

Amritpal Singh
ANI

देखा जाये तो लगभग एक दशक पुरानी आम आदमी पार्टी के बारे में पहले से ही यह माना जा रहा था कि इस महत्वपूर्ण सीमायी राज्य से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को वह ठीक से नहीं संभाल पायेगी। वह सभी आशंकाएं एक तरह से सच होती जा रही हैं।

पंजाब के अजनाला में एक दिन पहले जो दृश्य दिखे वह आरआरआर फिल्म या बाहुबली पार्ट-3 फिल्म का ट्रेलर नहीं था। वह दृश्य था कस्बे में थाने पर खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के जत्थेदार अमृतपाल सिंह के हजारों हथियारबन्द समर्थकों के कब्जा करने का। यह हथियारबंद लोग अपने साथी लवप्रीत सिंह तूफान को मुक्त करवाने के लिए पंजाब सरकार और पुलिस को झुकाने में सफल भी हो गए। देखा जाये तो यह पूरा घटनाक्रम कानून व्यवस्था के साथ-साथ पूरे राज्य के लिए गम्भीर चुनौती है इसलिए इसको हल्के में नहीं लिया जा सकता। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे एक वीडियो के बारे में दावा किया जा रहा है कि यह पंजाब का है जहां पुलिस में शिकायत करने के चलते एक व्यक्ति की सरेआम तालिबानी अंदाज में उंगलियां काट दी गयीं। यह घटनाएं साधारण आपराधिक घटनाएं नहीं हैं बल्कि देश को चिंता में डालने वाली घटनाएं हैं। पंजाब बड़ी मुश्किल से आतंकवाद के चंगुल से बाहर निकला था लेकिन आज फिर से इस खुशहाल प्रदेश के हालात बिगाड़ने की साजिशें हो रही हैं और राज्य सरकार कुछ कर नहीं पा रही है।

देखा जाये तो लगभग एक दशक पुरानी आम आदमी पार्टी के बारे में पहले से ही यह माना जा रहा था कि इस महत्वपूर्ण सीमायी राज्य से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को वह ठीक से नहीं संभाल पायेगी। वह सभी आशंकाएं एक तरह से सच होती जा रही हैं। हम आपको याद दिला दें कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कई विशेषज्ञों ने विधानसभा चुनावों के समय ही चेता दिया था कि पंजाब जैसा संवेदनशील राज्य जो पाकिस्तान पोषित आतंकवाद का शिकार हो, उसे अनुभवहीन नेतृत्व के हाथों में दिया जाना खतरे से खाली नहीं है। जिस तरह बंदूकों और तलवारों से लैस कट्टरपंथियों की भीड़ ने थाने में उत्पात मचाया उससे स्पष्ट हो रहा है कि पंजाब की कानून व्यवस्था की हालत क्या है।

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इस पूरे प्रकरण में कई गंभीर सवाल उठे हैं। जिस तरह हथियारबंद लोगों के सामने घुटने टेके गये हैं क्या उससे अराजक तत्वों के हौसले नहीं बढ़ेंगे? जिस तरह पुलिसवालों पर हमला किया गया और आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्या उससे पुलिसकर्मियों का मनोबल कम नहीं होगा? जहां तक अमृतपाल सिंह की बात है तो यह जानते हुए भी कि वह सिख युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर धकेल रहा है, फिर भी उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? सवाल यह भी उठता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही खालिस्तानी तत्व क्यों हावी हो रहे हैं? हथियारबंद भीड़ ने सिर्फ अजनाला में पुलिस थाने पर हमला बोला हो, ऐसा नहीं है। मोहाली में भी पिछले दिनों इसी तरह कैदियों की रिहाई के लिए हिंसा देखने को मिल चुकी है ऐसे में सवाल उठता है कि राज्य सरकार हालात को संभालने के लिए क्या सिर्फ आत्मसमर्पण ही करती रहेगी? लवप्रीत तूफान तमाम आरोपों के बावजूद जिस तरह क्लीन चिट पाकर रिहा हो गया है क्या उससे आगे भी नियमों को तोड़ने का उसका हौसला नहीं बढ़ेगा?

बहरहाल, पंजाब में इस तरह की बढ़ती घटनाएं अब राजनीतिक मुद्दा भी बन चुकी हैं। विपक्षी भाजपा ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरा है। पंजाब भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अनिल सरीन ने भगवंत मान सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार राज्य के हालात को नहीं संभाल पा रही है। वहीं भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता मनजिंदर सिंह सिरसा का आरोप है कि केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं के लालच में पंजाब को तालिबान राज की तरफ़ धकेल दिया है। उनका कहना है कि पंजाब में क़ानून व्यवस्था बिलकुल ख़त्म है और अब प्रदेश में पूरा जंगल राज है। उन्होंने एक वीडियो साझा करते हुए कहा है कि इस भयावह वीडियो को देख कर पंजाब के भविष्य को लेकर अब डर लगने लगा है।

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