साक्षात्कारः सांसद निरहुआ ने कहा- आजमगढ़ के विकास के लिए फिल्मों को त्याग सकता हूँ

dinesh lal yadav
ANI

निरहुआ ने कहा कि यूपीएससी भी पहली बार में क्लीयर नहीं होता, एकाध प्रयास करने के बाद ही सफलता मिलती है। हो सकता है 2019 में जनता मुझे पसंद ना करती हो, परखना चाहती हो, थोड़ा इंतजार कराना चाहती थी। शायद उस वक्त नसीब में जीतना भी नहीं लिखा था।

अपने दूसरे प्रयास में भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने आजमगढ़ में सफलता हासिल की है। उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद बीते महीने लोकसभा का उपचुनाव जीता है। जीतने के बाद वह कहते हैं कि सिनेमा से ज्यादा अब वह अपने संसदीय क्षेत्र के विकास पर ध्यान देंगे। उल्लेखनीय है कि 18 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू होगा। पहली बार संसद पहुंचने की कैसी है उनकी तैयारी, जैसे विभिन्न मुद्दों पर निरहुआ से डॉ. रमेश ठाकुर ने विस्तृत बातचीत की। पेश बातचीत के मुख्य हिस्से-

प्रश्नः सांसद बनकर कैसा महसूस कर रहे हैं आप?

उत्तर- जिम्मेदारियों का भारी बोझ कंधों पर लदा हुआ महसूस कर रहा हूं। निभाने की कोशिश करूंगा। मातारानी से दुआ है मुझे शक्ति दे। राजनीति में नया हूं, सीख रहा हूं, वरिष्ठ लोग सहयोग कर रहे हैं। उनके सहयोग से आगे बढ़ा हूं, चुनाव प्रचार के दौरान क्षेत्रवासियों ने तमाम समस्याओं को गिनाया है, सबसे पहले उन्हें दूर करूंगा। क्षेत्र का विकास मेरी पहली प्राथमिकताएं रहेंगी।

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प्रश्नः सिनेमा भी करते रहेंगे?

उत्तर- देखिए, ये सब तालमेल पर निर्भर करता है कि आप अपने कामों के साथ खुद को कैसे उपयुक्त बिठाते हैं। राजनीति समाज सेवा का वह माध्यम है जिसके बूते आप सब कुछ कर सकते हैं। सिनेमा सामाजिक बुराइयों को उजागर करता है। दोनों में खासा अंतर है। मैं नसीब वाला हूं मेरा देनों से नाता है। फिलहाल मेरा पूरा फोकस अपने संसदीय क्षेत्र में विकास करने पर रहेगा, जिसके लिए मैं सिनेमा क्या कुछ भी त्याग करने को तैयार हूं। जनता ने मुझे दूसरा मौका दिया है, पहली दफे हरा दिया था। इसलिए उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा।

प्रश्नः पहले प्रयास में कहां कमी रह गई थी?

उत्तर- यूपीएससी भी पहली बार में क्लीयर नहीं होता, एकाध प्रयास करने के बाद ही सफलता मिलती है। हो सकता है 2019 में जनता मुझे पसंद ना करती हो, परखना चाहती हो, थोड़ा इंतजार कराना चाहती थी। शायद उस वक्त नसीब में जीतना भी नहीं लिखा था। देखिए, मैं कर्म के साथ-साथ किस्मत पर भी विश्वास करता हूं। उस वक्त किस्मत ने साथ नहीं दिया, जबकि चुनाव में मेहनत खूब की थी।

प्रश्नः 18 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र आरंभ हो रहा है और आपकी एंट्री भी, कैसा लग रहा है?

उत्तर- जनता ने मुझे संसद पहुंचाया है जिसके लिए उनका मैं कर्जदार हूं और वह कर्ज मैं आजमगढ़ में विकास करके चुकाउंगा। वहां की हर छोटी-बड़ी समस्या को सदन में उठाया करूंगा। देखिए, मैं खुद को नेता नहीं मानता, पार्टी ने मौका दिया है, मैं उनका समर्पित छोटा-सा कार्यकर्ता हूं। जो आदेश-आज्ञा वहां से प्राप्त होगा, उसे निर्वाह करने का प्रयास करता करूंगा। प्रधानमंत्री का सपना है कि समूचा हिंदुस्तान फिर सोने की चिड़िया बने, उसे मेरे जैसे कार्यकर्ता पूरा करने में जी-जान से लगे हैं।

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प्रश्नः उत्तर प्रदेश सरकार के 100 दिन पूरे हुए हैं, कैसे देखते हैं इन दिनों को आप?

उत्तर- योगी जी ने विकास का जो खाका तैयार किया, उसके आकलन के लिए ये शुरुआती 100 दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनसे ये परखा जाएगा कि हमारी तैयारी तय किए हुए मिशन के हिसाब से चल रही है या नहीं? सभी मंत्रियों को टास्क दिया हुआ है। सभी मंत्रियों को लक्ष्य दिये गये हैं इसमें सहयोगी दल भी शामिल हैं। कृषि, रोजगार सृजन के क्षेत्र, व्यापार, कानून-व्यवस्था आदि क्षेत्रों में सरकार का ज्यादा फोकस है।

प्रश्नः इन 100 दिनों के दरमियान आपको सबसे अच्छी योजना कौन-सी दिखाई देती है?

उत्तर- सबसे अच्छी योजना तो मुझे यही लगती है कि योगी सरकार ने ‘फ्री राशन वितरण’ योजना को तीन महीने के लिए और आगे बढ़ाया है। इससे करोड़ों गरीब परिवार लाभान्वित होंगे। इसके अलावा मनरेगा योजना को पूरी तरह से पारदर्शी बनाया गया है। एक भी रुपए कोई नहीं खा सकता। जबकि, पूर्ववर्ती सरकारों में मनरेगा के पैसों में डाका डाला जाता था। उन पैसों की अधिकारियों-नेताओं में बंदरबांट होती है। इस सिंडिकेट को भी योगी सरकार ने तोड़ा है।

- डॉ. रमेश ठाकुर

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