हर बार मिली हार पर तेवर बरकरार, पाक पूरी तरह खुदा भरोसे ही है

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पाकिस्तान भारत से अभी तक 4 बार 1948, 1965, 1971 व 1999 का कारगिल युद्ध लड़ चुका है मगर चारों ही युद्ध में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा है। 1971 में तो पाकिस्तान को अपने पूर्वी हिस्से को भी गंवाना पड़ा था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में अनुच्छेद 370 व 35 ए को हटाया है तब से ही पाकिस्तान बुरी तरह तिलमिलाया हुआ है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पूरी दुनिया में भारत के खिलाफ इसको लेकर अभियान छेड़ रखा है। इमरान खान ने दुनिया के सभी देशों से भारत के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर समर्थन मांगा। लेकिन चीन को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश ने पाकिस्तान की बात का समर्थन नहीं किया।

मुस्लिम देशों ने भी जम्मू-कश्मीर के मसले को भारत की अंदरूनी बात कह कर पाकिस्तान का साथ देने से इंकार कर दिया। इससे पाकिस्तान और अधिक बौखला गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत के प्रति विरोध जताया। जिसका भारत सरकार ने उसी समय उचित मंच से करारा जवाब दिया। पाकिस्तान का निर्माण प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पाले मोहम्मद अली जिन्ना की जिद्द के कारण 1947 में भारत से एक हिस्से को अलग कर किया गया था। 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बनने के बाद से ही पाकिस्तान के हुक्मरानों का एक ही एजेंडा रहा कि हर जगह भारत का विरोध किया जाये। पाकिस्तान ने 1948 में भारत के जम्मू-कश्मीर में कबालियों के वेश में अपने सैनिकों को भेज कर हमला करवाया था। कई दिनों तक लड़ाई चलने के बाद युद्ध विराम हुआ। उस समय भारतीय सेना ने बहादुरी से पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था। लेकिन भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के एक हिस्से पर उसी समय से पाकिस्तान ने अनाधिकृत कब्जा जमा लिया था जो आज भी पाकिस्तान के नियंत्रण में है जिसे पीओके अर्थात् पाक अधिकृत कश्मीर कहा जाता है। उस भूभाग पर भारत शुरू से ही अपना हक जताता रहा है और पाकिस्तान के कब्जे को भारत ने कभी स्वीकार भी नहीं किया है।

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पाकिस्तान भारत से अभी तक 4 बार 1948, 1965, 1971 व 1999 का कारगिल युद्ध लड़ चुका है मगर चारों ही युद्ध में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा है। 1971 में तो पाकिस्तान को अपने पूर्वी हिस्से को भी गंवाना पड़ा था। भारतीय सेना ने वहां बांग्लादेश नामक एक नया देश बनवा दिया था। 1971 के युद्ध में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना के जनरल अब्दुल्ला खान नियाजी के साथ 95 हजार पाक सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था।

युद्ध में लगातार चार बार हारने के उपरांत भी पाकिस्तान को अभी तक अक्ल नहीं आई है। आज भी पाकिस्तान भारतीय सीमा पर निरंतर युद्ध के हालात बनाए रखता है। युद्ध विराम का उल्लंघन करता रहता है। पाकिस्तान अपने यहां के कैम्पों में लगातार भारत विरोधी आतंकवादियों को प्रशिक्षण देता रहता है और जब भी मौका मिलता है उनको भारत में भेज देता है। मुंबई में 26/11 को हुये आंतकवादी हमले की घटना में पाकिस्तान का हाथ साबित हो चुका है। गत दिनों भारतीय सेना ने पाकिस्तान में एक बार सर्जिकल स्ट्राइक व एक बार एयर स्ट्राइक कर वहां चल रहे कई आतंकवादी कैंपों को भी नष्ट किया था। इसके उपरांत भी पाकिस्तान निरंतर भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहता है।

भारत व पाकिस्तान दोनों देश एक ही दिन अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुए। मगर आज दोनों की परिस्थितियों में जमीन आसमान का अंतर है। अंग्रेजों से आजाद होते ही भारत ने जहां विकास, शान्ति, धर्मनिरपेक्षता के मार्ग को अपनाया, वहीं पाकिस्तान ने भारत विरोध का मार्ग चुना। पाकिस्तान लगातार भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न होता रहा उसी का प्रतिफल है कि आज भारत विकास के मामले में पूरी दुनिया में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत की विकास दर तेजी से बढ़ रही है। भारत हर क्षेत्र में तरक्की करता जा रहा है। पूरी दुनिया भारत की काबिलियत का लोहा मान रही है।

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वहीं पाकिस्तान आज विकास के मामले में दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में शामिल है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत बहुत खराब है। वहां महंगाई, भ्रष्टाचार चरम पर है। वहां के शासन पर सेना का पूरा नियंत्रण रहता है। इस कारण वहां आम आदमी की आवाज को दबा दिया जाता है। मौजूदा समय में पाकिस्तान विनाश के रास्ते पर तेजी से बढ़ रहा है। पाकिस्तान की विकास दर दुनिया के सर्वाधिक पिछड़े देशों से भी कम है। इसके उपरांत भी पाकिस्तान के हुक्मरान वास्तविकता से मुंह चुराकर भारत विरोधी एजेंडे पर चल रहे हैं। जो पाकिस्तान के लिए एक आत्मघाती कदम साबित होने वाला है।

आबादी में पाकिस्तान दुनियां में छठे स्थान पर व क्षेत्रफल में 36वें स्थान पर है। जब पाकिस्तान का गठन हुआ उस समय पाकिस्तान में अल्पसंख्यक आबादी 23 प्रतिशत थी जो आज घटकर मात्र दो प्रतिशत रह गयी है। इसका मुख्य कारण वहां अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जाना है। पाकिस्तान में रह रहे अधिकतर हिन्दु, सिख, ईसाइयों ने डर कर मुस्लिम धर्म अपना लिया जिससे वहां अल्पसंख्यक नाम मात्र के रह गये हैं। उनके साथ भी वहां दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। गत दिनों पाकिस्तान में एक सिख लड़की का अपहरण कर लिया गया था व मेडिकल की पढ़ाई कर रही एक सिंधी लड़की की सरेआम हत्या कर दी गयी थी। जिसको लेकर पाकिस्तान को दुनिया भर में काफी बदनामी झेलनी पड़ी थी। मगर उससे भी पाकिस्तान की सरकार ने कोई सबक नहीं लिया।

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने 25 सितंबर को अनुमान लगाया है कि पाकिस्तान की विकास दर मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 में दक्षिण एशिया में सबसे कम 2.8 फीसदी ही रह सकती है। एडीबी ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बीते साल के मुकाबले कम विकास करेगी। दक्षिण एशिया के हर देश की विकास दर इससे अधिक रहने का अनुमान है। बैंक की एशियन डेवलपमेंट आउटलुक रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में मौजूदा वित्त वर्ष में विकास में कमी देखी गई है। नीतियों को लेकर अनिर्णय व वित्तीय तथा बाह्य आर्थिक असंतुलनों की वजह से निवेश में कमी हुई है।

एडीबी ने कहा कि दक्षिण एशिया में मौजूदा वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान के बाद सबसे कम जीडीपी अफगानिस्तान (3.4 फीसदी) की रह सकती है। इसके बाद श्रीलंका (3.5 फीसदी), भूटान (6 फीसदी), मालदीव और नेपाल (दोनों की अनुमानित जीडीपी 6.3 फीसदी), भारत (7.2 फीसदी) और बांग्लादेश (8 फीसदी) का नंबर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 में पाकिस्तानी रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 24 फीसदी तक कम हो गई। महंगाई भी बहुत अधिक 7.3 फीसदी रही जो 2018 में 3.9 फीसदी पर थी।

नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने करारा झटका दिया है। आईएमएफ ने दिसंबर में अपना कर्ज कार्यक्रम लागू होने के बाद के दूसरी तिमाही की समीक्षा होने तक पाकिस्तान की तरफ से किसी भी तरह की सरकारी गारंटी दिए जाने पर रोक लगा दी है। आईएमएफ की तरफ से सरकार को करीब 200 अरब रुपये का एक और इस्लामिक बांड जारी करने के लिए भी सरकारी गारंटी दिए जाने से रोक दिया है। आईएमएफ के साथ कर्ज समझौते के अनुसार पाकिस्तान अपनी जीडीपी के 3.6 प्रतिशत की विशिष्ट सीमा से अधिक सरकारी गारंटी ऋण पर नहीं दे सकता है। आईएमएफ यह समीक्षा पाकिस्तान को तीन साल में 6 अरब डॉलर कर्ज मुहैया कराने के जुलाई में हुए समझौते के तहत कर रहा है।

पाकिस्तान का यह दुर्भाग्य ही रहा है कि वहां के सभी हुक्मरानों ने सरकारी संपत्ति को जमकर लूटा है। इसी कारण वहां के अधिकतर शासक भ्रष्टाचार के आरोप में कानूनी कार्यवाही का सामना करते रहे हैं। आज इमरान खान भी पाकिस्तानी जनता में व्याप्त असंतोष को सिर्फ भारत विरोधी एजेंडे के नाम पर दबाए रखना चाहता है। लेकिन अब यह स्थिति ज्यादा दिन चलने वाले नहीं है। पाकिस्तान आज गृह युद्ध के कगार पर पहुंच चुका है। सिंध बलूचिस्तान में पाकिस्तान से आजाद होने की मांग जोर पकड़ रही है। यदि समय रहते पाकिस्तान की सरकार नहीं चेती व देश में विकास की रफ्तार नहीं बढ़ायी तो आने वाले समय में पाकिस्तान में बांग्लादेश की तरह बलूचिस्तान व सिंध देश जैसे अलग देश बन जाये ता किसी को कोई आश्चर्य नहीं होगा।

-रमेश सर्राफ धमोरा

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