पाकिस्तान में पश्तूनों पर हो रहे अत्याचार पर दुनिया का ध्यान कब जायेगा ?

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पाकिस्तानी मदरसों में छात्रों को पाकिस्तानी फौज की शह पर आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है। यहां से निकलने के बाद इन छात्रों को आत्मघाती हमलावर बनने का प्रशिक्षण दिया जाता है और भेज दिया जाता है कश्मीर और काबुल में आतंक मचाने के लिए।

पाकिस्‍तान में लगातार मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। अल्पसंख्यकों का तो पाकिस्तान ने जीना ही दुश्वार कर रखा है जब तब वहां हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों पर तरह-तरह के अत्याचार की खबरें आती ही रहती हैं। यही नहीं बलूचिस्तान में जो अत्याचार हो रहे हैं वह भी किसी से छिपे नहीं हैं। यही नहीं पाकिस्तान में करीब 3 करोड़ की आबादी वाले पश्तून समुदाय पर होने वाले अत्याचार आजकल दुनिया भर में सुर्खियां पा रहे हैं। इन पश्तूनी कबायलियों का नरसंहार करती आ रही पाकिस्तानी सेना ने अपने ही लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है। पिछले काफी समय से पश्तून लोगों के साथ अत्याचार, उन्हें गायब कर देने और उनके साथ बुरे बर्ताव की खबरें आम रही हैं। अब पश्तूनी नेता मंजूर पश्तीन का मामला ही देखिये, पश्तीन मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और पश्तूनों के अधिकारों के लिए मुखर रहते हैं और पश्तूनों के प्रति पाकिस्तान की दमनकारी सरकारी नीति के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहते हैं। पाकिस्तान ने अब इन मंजूर पश्तीन को कथित तौर पर षड्यंत्र रचने तथा राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है जिससे पाकिस्तान के कबायली इलाके में तो जोरदार विरोध प्रदर्शन देखने को मिल ही रहे हैं साथ ही विदेशों में भी जहाँ-जहाँ पश्तून रहते हैं, वह लोग वहाँ-वहाँ की राजधानियों में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले सप्ताह लंदन और पेरिस में इसी तरह के प्रदर्शन देखने को मिले।

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पाकिस्तानी सेना ने तालिबानी आतंकवादियों की मदद से 70 हजार पश्तूनों का कत्लेआम करवाया और 90 हजार घरों को बर्बाद कर दिया लेकिन किसी के कानों पर जूँ नहीं रेंगी। पाकिस्तान के मदरसों में जितने लोग पढ़ने आते हैं उन सभी को पाकिस्तानी फौज की शह पर आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है। यहां से निकलने के बाद इन छात्रों को आत्मघाती हमलावर बनने का प्रशिक्षण दिया जाता है और भेज दिया जाता है कश्मीर और काबुल में आतंक मचाने के लिए।

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पाकिस्तान में जब तब पश्तूनी लोग लाखों की संख्या में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहते हैं और गायब किये गये पश्तूनी लोगों के बारे में सवाल करते रहते हैं। पश्तूनी लोग पाकिस्तान के साथ कितनी भी मजबूती से खड़े रहें लेकिन वहां की सरकार इन्हें गद्दार मानती है और उसी तरह का व्यवहार करती है और संघ प्रशासित कबायली इलाके जिसे फाटा भी कहा जाता है, में अकसर कर्फ्यू लगा रहता है। इस इलाके में स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बनाने की बात तो छोड़ दीजिये बेचारे लोगों के घर-बार तोड़ दिये जाते हैं, उनके सामान पर कब्जा कर लिया जाता है और उन्हें सड़कों पर जीवन बिताने के लिए छोड़ दिया जाता है। क्या संयुक्त राष्ट्र या अन्य किसी का ध्यान पाकिस्तान में लगातार हो रहे इन मानवाधिकार हनन की ओर जायेगा ? क्या 70 सालों से अपने ही देश में दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह व्यवहार झेल रहे लोगों की समस्याओं का हल निकल पायेगा ?

-नीरज कुमार दुबे

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