कोरोना को हल्के में लेना बड़ा नुकसान पहुँचा सकता है, पूर्व के अनुभवों से सीख लेनी चाहिए

coronavirus
Prabhasakshi

समूची दुनिया में यह माना जा चुका है कि कोरोना से बचाव के लिए कोरोना प्रोटोकाल की पालना एक कारगर माध्यम है। आज हम मास्क पहनना भूल गए हैं तो सैनेटाइजर का उपयोग भी लगभग बंद ही हो गया है। इसी तरह से दो गज की दूरी की बात भी इन दिनों तो बेमानी हो चुकी है।

कोरोना की दहशत ने एक बार फिर कोरोना प्रोटोकाल की पालना के प्रति गंभीर होने के लिए चेता दिया है। ऐसे में कोरोना प्रोटोकाल को लागू करने या लोगों को पालना के प्रति सचेत करने का समय आ गया है। यह इसलिए भी जरूरी हो गया है कि देश में कोरोना प्रोटोकाल की पालना लगभग नहीं की स्थिति में पहुंच गई है तो लोगों की गंभीरता भी नहीं रही है। देश में एक तरफ जहां दिन प्रतिदिन कोरोना के मामलों में उछाल आता जा रहा हैं वहीं कोरोना प्रोटोकाल की पालना करीब करीब समाप्त हो चुकी है। पिछले दिनों में औसतन प्रतिदिन देश में पांच हजार से अधिक कोरोना पोजिटिव मरीज आ रहे हैं और कोरोना के कारण भले ही कम हो, पर मौत के मामले भी आने लगे हैं। एक सप्ताह में ही कोरोना के कारण 68 मौत के समाचार हैं। हालांकि केन्द्र व राज्य सरकारें सजग तो होने लगी हैं व 10 और 11 अप्रैल को समूचे देश में दो दिन की मॉक ड्रिल कर कोरोना से निपटने की तैयारियों या यों कहें कि दवाओं व संसाधनों की उपलब्धता को जांचा परखा जा सके। पर जिस तरह से देश के पांच राज्यों में कोरोना मामलों की बढ़ोतरी ने चिंता में डाल दिया है उसे देखते हुए सतर्कता और सजगता जरूरी हो गयी है।

लगभग समूची दुनिया में यह माना जा चुका है कि कोरोना से बचाव के लिए कोरोना प्रोटोकाल की पालना एक कारगर माध्यम है। आज हम मास्क पहनना भूल गए हैं तो सैनेटाइजर का उपयोग भी लगभग बंद ही हो गया है। इसी तरह से दो गज की दूरी की बात भी इन दिनों तो बेमानी हो चुकी है। मास्क के उपयोग को लेकर पिछले दिनों लोकल सर्कल द्वारा कराए गए सर्वे ने तो चिंता में ही डाल दिया है। सर्वे में सामने आया है कि केवल और केवल 6 प्रतिशत लोग ही मास्क के प्रति थोड़े गंभीर दिख रहे हैं। यानी की 6 प्रतिशत लोग ही मास्क का उपयोग कर रहे हैं। हालात तो यह हैं कि कोरोना तो दूर वायरस जनित बीमारियों के फैलाव के बावजूद देश के किसी भी क्षेत्र के किसी भी अस्पताल में चल जाएं कोई इक्के दुक्के लोग ही मास्क लगाए हुए दिखाई देते हैं। यह तो अस्पतालों के हालात हैं जहां बीमार या उनके तीमारदार ही जाते हैं। ऐसे में यह अपने आप में गंभीर हो जाता है। बाजार, सार्वजनिक परिवहन साधनों, मॉल्स, सिनेमागृहों, राजनीतिक रैलियों, धार्मिक स्थलों आदि पर खोजने से भी मास्क लगाए कोई लोग नहीं दिखते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण के नए मामलों के आना चिंता का सबब बन ही जाता है। खासतौर से केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और तमिलनाडु में जिस तरह से कोरोना संक्रमण का अधिक फैलाव देखा जा रहा है यह चिंतनीय है।

इसे भी पढ़ें: Covid-19 In Delhi: दिल्ली में बढ़ते कोरोना मामले पर स्वास्थ्य मंत्री का आया बयान, कही यह बड़ी बात

दरअसल कोरोना काल के अनुभव आज भी रूह कंपा देने के लिए काफी है। लंबा लॉकडाउन, सब कुछ बंद, प्रवासी श्रमिकों की हाईवे पर रेला, वेंटिलेटरों और ऑक्सिजन बेड की तलाश में भटकते लोगों और कोरोना संक्रमण से मौत के ग्रास बनते लोगों के चित्र आंखों के समाने घूमने लगते हैं तो सिहर जाते हैं। दवाओं की कमी, दवाओं की अनुपलब्धता और ऑक्सीजन की कमी को भूले नहीं हैं। ऐसे में कोरोना काल के अनुभवों को देखते हुए इन दिनों बढ़ते कोरोना संक्रमण को हल्के से लेने की भूल नहीं करनी होगी। सरकार को जनहित में जहां जागरूकता अभियान तो चला ही देना ही चाहिए वहीं सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने की अनिवार्यता सख्ती से लागू करने की पहल कर देनी चाहिए। खासतौर से चिकित्सालयों में तो सख्ती से पालना होनी ही चाहिए। इसी तरह से सार्वजनिक स्थानों पर सैनेटाइजर के डिस्पेंसर लगा दिए जाएं तो सरकार के लिए यह कोई महंगा सौदा नहीं होगा। सरकार ही क्यों स्वयं सेवी संस्थाओं और दानदाताओं को भी आगे आकर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सचेत करने का समय आ गया है। केवल सरकार के भरोसे नहीं रहकर सभी सजग लोगों और संस्थाओं को आगे आना चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि इन साधनों के उपयोग पर होने वाले खर्च से कई गुणा नुकसान हम लोग व सरकार लॉकडाउन और अन्य कार्यों पर भुगतते रही हैं। सबकुछ बंद हो उससे बेहतर सुरक्षा साधनों के प्रति जागरूकता और सुविधाएं उपलब्ध कराने से अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। उद्यमियों को भी आगे आना चाहिए और अपने पास से नहीं अपितु सीएसआर के तहत उपलब्ध राशि से ही इस तरह के कार्यक्रमों का संचालन किया जता है तो यह अच्छी पहल मानी जा सकती है। कोरोना में हमने अपने या अपनों में से लोगों को खोया है। ऐसे में गंभीर हो जाना चाहिए वहीं अस्पतालों को अपनी व्यवस्थाओं को समय रहते चाक चौबंद कर लेना चाहिए।

-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़