Vishwakhabram: Bolsonaro को माफी देने से Lula ने किया इंकार तो US ने किया पलटवार, Brazil पर Tariffs लगा कर Trump ने बढ़ाया तनाव

US president donald trump
ANI

2022 में जब वामपंथी नेता लूला ने बोलसेनारो को हराकर सत्ता में वापसी की, तो यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं था बल्कि एक वैचारिक पलटवार भी था। लूला ने पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक संस्थानों की मजबूती को अपनी प्राथमिकता बनाया।

अमेरिका द्वारा ब्राज़ील पर नए टैरिफ लगाए जाने के घटनाक्रम ने वैश्विक राजनीति में निजी संबंधों और वैचारिक द्वंद्व की अहमियत को एक बार फिर उजागर कर दिया है। यह व्यापारिक निर्णय उस संदर्भ में और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब इसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्रपति जैयर बोलसेनारो के संबंधों तथा वर्तमान ब्राज़ीली राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा की राजनीतिक सोच से जोड़कर देखा जाए। हम आपको बता दें कि तमाम आरोपों का सामना कर रहे बोलसेनारो भागे भागे फिर रहे हैं। ट्रंप ने अपने मित्र का बचाव करने के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति से जो आग्रह किया उसे ठुकरा दिया गया तो अमेरिकी राष्ट्रपति आग बबूला हो गये और टैरिफ लगा दिये।

हम आपको बता दें कि ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्रपति जैयर बोलसेनारो और डोनाल्ड ट्रंप के बीच वैचारिक और व्यक्तिगत संबंध जगजाहिर हैं। दोनों दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थक रहे हैं और दोनों ने अपनी-अपनी सरकारों में वैश्वीकरण, पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं और वामपंथी आंदोलनों का मुखर विरोध किया। ट्रंप ने बोलसेनारो को "ट्रॉपिकल ट्रंप" तक कहा था और ब्राज़ील में उनके शासनकाल के दौरान अमेरिका-ब्राज़ील संबंधों को घनिष्ठ बनाने का प्रयास किया गया।

2022 में जब वामपंथी नेता लूला ने बोलसेनारो को हराकर सत्ता में वापसी की, तो यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं था बल्कि एक वैचारिक पलटवार भी था। लूला ने पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक संस्थानों की मजबूती को अपनी प्राथमिकता बनाया। उन्होंने 2023 की शुरुआत में हुई ब्राज़ील की राजधानी में बोलसेनारो समर्थकों द्वारा लोकतंत्र पर हमले को ट्रंप समर्थित अमेरिकी विद्रोह की तर्ज पर देखा और इस संबंध में कड़ी कार्रवाई की।

जब अमेरिका की ओर से दबाव आया कि ब्राज़ील, बोलसेनारो को राजनीतिक या कानूनी संरक्षण दे, तो लूला ने स्पष्ट शब्दों में माफी या विशेष राहत देने से इंकार कर दिया। इसके तुरंत बाद अमेरिका ने ब्राज़ील से आयातित स्टील और अन्य उत्पादों पर टैरिफ (शुल्क) बढ़ा दिया। यह कदम औपचारिक रूप से व्यापारिक कारणों से उठाया गया बताया गया, लेकिन समय और संदर्भ को देखते हुए यह एक राजनीतिक दंड जैसा प्रतीत होता है।

देखा जाये तो यह टैरिफ विवाद, दरअसल ट्रंप और लूला के बीच की गहरी वैचारिक खाई का विस्तार है। जहां ट्रंप दुनिया में राष्ट्रवादी और संरक्षणवादी विचारों को बढ़ावा देते हैं, वहीं लूला बहुपक्षीय सहयोग और सामाजिक न्याय के वैश्विक एजेंडे का नेतृत्व करते हैं। ऐसे में अमेरिका और ब्राज़ील के बीच यह व्यापारिक तनाव केवल आर्थिक न होकर राजनीतिक दबाव की रणनीति का हिस्सा भी बनता है।

इस घटनाक्रम से जो महत्वपूर्ण संकेत निकलते हैं वह यह हैं कि व्यक्तिगत रिश्ते अब कूटनीति का नया आयाम बन चुके हैं। साथ ही सरकारों के बीच रिश्ते अब केवल संस्थागत नहीं रहे, नेताओं की वैचारिक संगति या टकराव इन रिश्तों को दिशा दे रही है।

इसके अलावा, लूला दक्षिण अमेरिका में अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के लिए जाने जाते हैं और वह अमेरिकी दबाव के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं। लूला ने ट्रंप के आग्रह को ठहराते हुए दो टूक कहा था कि ब्राजील के आंतरिक मामलों में किसी भी विदेशी नेता का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं होगा। यह वक्तव्य न केवल ब्राजील की संप्रभुता के प्रति लूला की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि वह लोकतंत्र और कानून व्यवस्था से कोई समझौता नहीं करेंगे।

इसके अलावा, हाल ही में कुछ अमेरिकी और दक्षिणपंथी मीडिया रिपोर्टों में यह चर्चा थी कि ट्रंप प्रशासन से जुड़े कुछ प्रभावशाली लोगों ने ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति बोलसेनारो के पक्ष में बयानबाज़ी की और उन्हें "राजनीतिक उत्पीड़न" का शिकार बताया। इस संदर्भ में लूला का कड़ा बयान यह स्पष्ट करता है कि ब्राजील के कानूनी संस्थानों और राजनीतिक प्रक्रिया को बाहरी दबाव में नहीं चलने दिया जाएगा। उन्होंने दोहराया कि जो व्यक्ति (बोलसेनारो) लोकतंत्र को कमजोर करने का दोषी है, उसे कानून के अनुसार दंड मिलेगा, चाहे उसके समर्थन में कोई भी अंतरराष्ट्रीय नेता क्यों न बोले।

हम आपको बता दें कि बोलसेनारो, जो ब्राजील के दक्षिणपंथी नेता और पूर्व राष्ट्रपति हैं, वह वर्तमान में कई आपराधिक जांचों का सामना कर रहे हैं। उन पर सबसे बड़ा आरोप यह है कि 2022 के चुनाव में हार के बाद बोलसेनारो ने चुनाव परिणामों को स्वीकार नहीं किया। इसके बाद 8 जनवरी 2023 को ब्रासीलिया स्थित संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन पर उनके समर्थकों ने हिंसक हमला किया, जो अमेरिका में हुई कैपिटल हिल घटना की याद दिलाता है। बोलसेनारो पर इस हमले को भड़काने और लोकतांत्रिक व्यवस्था को अस्थिर करने की साजिश रचने का आरोप है।

इसके अलावा, एक अन्य आरोप है कि COVID-19 महामारी के दौरान बोलसेनारो ने वैक्सीनेशन को लेकर गलत जानकारी फैलाई। उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने वैक्सीनेशन रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा किया, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय यात्रा की अनुमति मिल सके। बोलसेनारो और उनकी पत्नी पर यह आरोप भी लगा है कि उन्होंने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान सऊदी अरब से मिले बेशकीमती गहनों को निजी संपत्ति मानते हुए ब्राजील से बाहर ले जाने की कोशिश की। इन सभी आरोपों के चलते बोलसेनारो पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। वह कुछ समय तक अमेरिका में शरण लिए हुए थे, जिससे यह संदेश गया कि वह गिरफ्तारी से बचना चाहते हैं। हालांकि अभी तक उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया है, परंतु न्यायालय और संघीय जांच एजेंसियां उन पर लगातार कार्रवाई कर रही हैं।

बहरहाल, अमेरिका द्वारा ब्राज़ील पर लगाए गए टैरिफ केवल एक व्यापारिक विवाद नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में बदलते समीकरणों का प्रतीक हैं। ट्रंप और बोलसेनारो की नजदीकी तथा लूला की वैचारिक दृढ़ता इस संघर्ष को केवल दो राष्ट्रों का नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं का संघर्ष बना देती है। आने वाले दिनों में इस बात पर नजर बनी रहेगी कि क्या ब्राज़ील इस दबाव के सामने झुकेगा या फिर यह टकराव वैश्विक शक्ति-संतुलन को नई दिशा देगा। वैसे यह तो स्पष्ट हो ही चुका है कि ब्राजील अब संप्रभुता, लोकतंत्र और न्याय के मार्ग पर किसी भी प्रकार की बाहरी दखलअंदाज़ी को बर्दाश्त नहीं करेगा।

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
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