Vishwakhabram: अंतरिक्ष में NASA के दबदबे को खत्म करने का संकल्प पूरा करने के करीब पहुँच चुका है China

xi jinping
Prabhasakshi

हम आपको यह भी बता दें कि चीन के सरकारी मीडिया ने पिछले साल कहा था कि तियांगोंग पूरी तरह से चालू हो गया है। चीन ने यह भी कहा था कि ऐसे में जबकि आईएसएस अपना जीवनकाल समाप्त होने की ओर बढ़ रहा है तब चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों में कोई ढील नहीं देगा।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के नेतृत्व वाला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन अपने जीवनकाल के अंत के करीब पहुँच चुका है। ऐसे में अब चीन की नजर अंतरिक्ष का बादशाह बनने पर लग गयी है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को निर्देश दे रखे हैं कि हर हाल में आने वाले समय में चीन को अंतरिक्ष की दुनिया का सरताज बनाना है। इसलिए चीनी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने अपने प्रयास तेज कर दिये हैं। अजरबैजान के बाकू में आयोजित 74वीं अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री कांग्रेस में चीन की अंतरिक्ष एजेंसी चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (CAST) ने जो कुछ बताया है वह पूरी दुनिया को सावधान करने के लिए काफी है। हम आपको बता दें कि चीन की ओर से कहा गया है कि वह आने वाले वर्षों में अपने अंतरिक्ष स्टेशन को तीन से छह मॉड्यूल तक विस्तारित करने की योजना बना रहा है, जिससे अन्य देशों के अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के निकट वाले मिशनों के लिए एक वैकल्पिक मंच उपलब्ध हो सकेगा। चीन ने कहा है कि चूंकि नासा के नेतृत्व वाला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) का कार्यकाल समाप्त होने वाला है इसलिए दुनिया को अंतरिक्ष में अपने मिशनों के लिए एक विकल्प की जरूरत है जोकि वह उपलब्ध करायेगा। जरा सोचिये! चीन जब धरती पर रह कर ही दुनिया की इतनी जासूसी करता है तो ऐसे में यदि अंतरिक्ष में उसकी बादशाहत हो गयी तो वह अपना पूरा अमला ही दुनिया की निगरानी करने में लगा देगा।

जहां तक अंतरिक्ष में चीनी स्टेशन की बात है तो उसके बारे में बताया गया है कि चीनी अंतरिक्ष स्टेशन का परिचालन जीवनकाल 15 वर्ष से अधिक होगा। पहले इसका जीवनकाल मात्र 10 वर्षों का ही बताया गया था। हम आपको बता दें कि चीन का स्व-निर्मित अंतरिक्ष स्टेशन, जिसे तियांगोंग या चीनी में सेलेस्टियल पैलेस के रूप में भी जाना जाता है, वह 2022 के अंत से पूरी तरह चालू हो गया है। चीन का अंतरिक्ष स्टेशन 450 किमी (280 मील) की कक्षीय ऊंचाई पर है और अभी यहां अधिकतम तीन अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं। अभी चीन का जो अंतरिक्ष स्टेशन है वह आईएसएस के मुकाबले 40 प्रतिशत ही है क्योंकि नासा के नेतृत्व वाला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन एक साथ सात अंतरिक्ष यात्रियों को संभाल सकता है जबकि चीन का स्टेशन मात्र तीन अंतरिक्ष यात्रियों को ही एक साथ रख सकता है। इसीलिए चीन ने अब अपने अंतरिक्ष स्टेशन के छह मॉड्यूल तक विस्तार की योजना बनाई है। हम आपको बता दें कि दो दशकों से ज्यादा समय से अंतरिक्ष में मौजूद आईएसएस के 2030 के बाद निष्क्रिय होने की उम्मीद है। उससे पहले चीन का प्रयास है कि वह एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बन जाये।

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हम आपको यह भी बता दें कि चीन के सरकारी मीडिया ने पिछले साल कहा था कि तियांगोंग पूरी तरह से चालू हो गया है। चीन ने यह भी कहा था कि ऐसे में जबकि आईएसएस अपना जीवनकाल समाप्त होने की ओर बढ़ रहा है तब चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों में कोई ढील नहीं देगा। चीन का यह भी दावा है कि कई देशों ने अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चीनी स्टेशन पर भेजने के लिए आग्रह करना शुरू भी कर दिया है। हालांकि चीन के दावे पर एक तरह से सवाल उठाते हुए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने कहा है कि उसके पास चीनी अंतरिक्ष स्टेशन पर अपने यात्रियों को भेजने के लिए बजट ही नहीं था इसलिए यूरोपीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना को बहुत पहले ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

बहरहाल, जहां तक चीन की अंतरिक्ष कूटनीति की बात है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि वह वर्षों से इस दिन की प्रतीक्षा के लिए प्रयास कर रहा था और अब वह अंतरिक्ष में नासा के दबदबे को खत्म करने का संकल्प पूरा करने के करीब पहुँच चुका है। हालांकि विस्तारवादी चीन के खतरनाक मंसूबों ने अंतरिक्ष में एक नई दौड़ को जन्म दे दिया है। देखा जाये तो आईएसएस से अलग होने के बाद चीन अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने बढ़ते प्रभाव के चलते अमेरिका के लिए बहुत बड़ी चुनौती भी बन गया है। वैसे, अंतरिक्ष में सिर्फ चीन ही अपना सिक्का नहीं जमा रहा बल्कि भारत और रूस समेत अन्य देश भी अपनी योजनाएं बना रहे हैं। आईएसएस से अलग होने की घोषणा के बाद रूस ने भी अंतरिक्ष कूटनीति की कुछ योजनाएं बना कर काम शुरू कर दिया है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने पिछले साल कहा था कि वह छह मॉड्यूल वाला एक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की योजना बना रही है, जिसमें चार अंतरिक्ष यात्री रह सकेंगे। हम आपको यह भी बता दें कि ब्रिक्स समूह में रूस के भागीदार देश ब्राजील, भारत और दक्षिण अफ्रीका भी अपने अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक मॉड्यूल का निर्माण करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। खैर...अंतरिक्ष में चीन की बढ़ती ताकत दुनिया को नये खतरों का संकेत दे रही है।

-नीरज कुमार दुबे

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