क्या है किशोरियों के लिए योजना (एसएजी) और क्या हैं इसके मुख्य उद्देश्य

एसएजी योजना का व्यापक उद्देश्य 11 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों को पोषण प्रदान करना और सामाजिक और आर्थिक स्थिति में वृद्धि करना है। इसका उद्देश्य किशोरियों को शिक्षित और सशक्त बनाकर उन्हें देश की आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बनाना है।
किशोरावस्था मनुष्य के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण होता है, विशेषकर महिलाओं के लिए। इस स्तर पर एक लड़की में विभिन्न भावनात्मक और शारीरिक परिवर्तन होते हैं और महत्वपूर्ण हस्तक्षेप उनके स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद कर सकते हैं। पौष्टिक भोजन की कमी से एक लड़की के विकास में बाधा आ सकती है और उसे अपनी क्षमता को पूरी तरह से प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसी मंशा से एसएजी की परिकल्पना की गई थी। किशोर लड़कियों के लिए योजना (एसएजी) सरकार की एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो 11 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों को लक्षित करती है।
किशोरियों के लिए योजना (एसएजी) 2010 में 11-14 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों के लिए विशेष रूप में तैयार की गई थी ताकि देश में किशोरी बालिकाओं के पोषण और लिंग के नुकसान के अंतर-पीढ़ी के जीवन चक्र को तोड़ने और आत्म-विकास बढ़ाने के लिए एक सहायक वातावरण प्रदान किया जा सके। इसके मुख्य फीचर्स इस प्रकार हैं:
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- एसएजी उक्त आयु वर्ग की स्कूल न जाने वाली किशोरियों पर केंद्रित है।
- यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत 2011 में शुरू की गई थी।
- इस योजना को पहले किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना-RGSEAG या SABLA के रूप में जाना जाता था।
- इस योजना ने किशोरियों के लिए पोषण कार्यक्रम (एनपीएजी) और किशोरी शक्ति योजना (केएसवाई) की जगह ले ली।
- यह योजना आंगनवाड़ी केंद्रों (AWCs) के माध्यम से अम्ब्रेला ICDS योजना की आंगनवाड़ी सेवाओं का उपयोग करके कार्यान्वित की जाती है।
- यह राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- योजना को चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जा रहा है जिसमें प्रत्येक चरण के साथ लाभार्थी जिलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- मार्च 2021 में इस योजना को मिशन पोषण 2.0 के तहत शामिल किया गया था।
एसएजी योजना के उद्देश्य
इस योजना का व्यापक उद्देश्य 11 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों को पोषण प्रदान करना और सामाजिक और आर्थिक स्थिति में वृद्धि करना है। इसका उद्देश्य किशोरियों को शिक्षित और सशक्त बनाकर उन्हें देश की आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बनाना है।
इसके उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- किशोरियों को आत्म-विकास और सशक्तिकरण के लिए सक्षम बनाना।
- किशोरियों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाना।
- स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना।
- स्कूल से बाहर की किशोरियों को औपचारिक स्कूली शिक्षा या ब्रिज लर्निंग/कौशल प्रशिक्षण में सफलतापूर्वक वापस लाने के लिए सहायता।
- उनके घर-आधारित कौशल और जीवन कौशल का उन्नयन करना।
- मौजूदा सार्वजनिक सेवाओं जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीण अस्पताल/सीएचसी, डाकघर, बैंक, पुलिस स्टेशन आदि के बारे में जानकारी/मार्गदर्शन प्रदान करना।
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एसएजी योजना में प्रदान की गईं सेवाएं
योजना के तहत लाभार्थियों को निम्नलिखित सेवाएं प्रदान की जाती हैं। सेवाओं को पोषण और गैर-पोषण घटकों में विभाजित किया गया है।
1. पोषण प्रावधानः स्कूल से बाहर पंजीकृत प्रत्येक लाभार्थी को आईसीडीएस के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के समान पूरक पोषण प्रदान किया जाएगा, जिसमें वर्ष में 300 दिनों के लिए 600 कैलोरी, 18-20 ग्राम प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्व शामिल होंगे। यह पोषण टेक होम राशन या गर्म पके भोजन के रूप में प्रदान किया जाएगा।
2. आयरन और फोलिक एसिड (आईएफए) सप्लीमेंट: आईएफए टैबलेट के साथ, किशोरियों को फूड फोर्टिफिकेशन, आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से निपटने के लिए आईएफए टैबलेट्स के सप्लीमेंट्स के फायदे और डाइटरी डायवर्सिफिकेशन के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
3. स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाएं: तीन महीने में कम से कम एक बार सभी किशोरियों की सामान्य स्वास्थ्य जांच की जाएगी।
4. पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा (एनएचई): स्वास्थ्य और पोषण पर निरंतर जानकारी लाभार्थियों और उनके परिवारों के सामान्य स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करेगी, जो कुपोषण के दुष्चक्र को तोड़ने में मदद करेगी। यह आंगनवाड़ी केंद्र में आईसीडीएस और स्वास्थ्य कर्मियों और गैर सरकारी संगठनों/समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) के संसाधन व्यक्तियों/क्षेत्र प्रशिक्षकों द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाता है। दी गई जानकारी में मिथकों को दूर करते हुए स्वस्थ पारंपरिक प्रथाओं को बढ़ावा देने वाली जानकारी, अच्छी स्वच्छता प्रथाएं, सुरक्षित पेयजल की आदतें, स्वस्थ भोजन और खाना पकाने की आदतें, मासिक धर्म का प्रबंधन, व्यक्तिगत स्वच्छता आदि शामिल हैं।
5. स्कूल से बाहर की लड़कियों को औपचारिक स्कूली शिक्षा, ब्रिज कोर्स/कौशल प्रशिक्षण में शामिल करने के लिए मुख्यधारा में लाना: इसके तहत स्कूल से बाहर किशोरियों की पहचान की जाती है और उन्हें मुख्यधारा के स्कूल में दाखिला लेने या फिर से शुरू करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है। परिवारों को औपचारिक शिक्षा के लाभों के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। इसके तहत लड़कियों के अनुकरण के लिए महिला रोल मॉडल को भी हाइलाइट किया जाता है।
6. जीवन कौशल शिक्षा, गृह प्रबंधन, आदि: लाभार्थियों को जीवन कौशल और गृह प्रबंधन (घर का रखरखाव, बजट, बचत, घर चलाना, लिंग संवेदनशीलता, बच्चों की स्कूली शिक्षा, आदि) पर मार्गदर्शन की पेशकश की जाती है ताकि वे बड़े होने पर समाज के उत्पादक सदस्य बन सकें।
7. सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँचने पर परामर्श/मार्गदर्शन: पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों, गैर सरकारी संगठनों/सीबीओ, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों, बैंक अधिकारियों, डाकघर के अधिकारियों, स्कूल अधिकारियों आदि के सहयोग से जागरूकता वार्ता और दौरों की व्यवस्था की जाती है।
किशोरी हेल्थ कार्ड
एसएजी योजना के तहत प्रदान की जाने वाली अन्य सेवाओं के साथ-साथ किशोरियों की ऊंचाई, वजन, बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) को रिकॉर्ड करने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) में राज्यों द्वारा किशोरी स्वास्थ्य कार्ड का रखरखाव किया जाता है। कार्ड में योजना के तहत उपलब्धियों या परिणामों का विवरण भी होता है।
- जे. पी. शुक्ला
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