प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना क्या है? इसका क्या उद्देश्य है? इससे देश कितना लाभान्वित होगा?
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, डीआरडीओ द्वारा चलाई जा रही प्रौद्योगिकी विकास निधि यानी टीडीएफ योजना, एमएसएमई और स्टार्ट-अप द्वारा उत्पादों, प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास का समर्थन करती है।
प्रौद्योगिकी विकास निधि यानी टीडीएफ योजना भारत को आत्म-निर्भरता के पथ पर स्थापित करने के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कुछ नया करने और इसे विकसित करने के लिए उद्योग जगत को प्रोत्साहित करके रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में कुछ बड़ा उत्साह भरने की एक सुनियोजित प्रक्रिया है। जिसके तहत सम्बन्धित योजना की कुल परियोजना लागत के 90 प्रतिशत तक की सुविधा प्रदान करती है और उद्योग को अन्य उद्योग व शिक्षाविदों के साथ मिलकर काम करने की अनुमति देती है।
इस प्रकार बढ़े हुए वित्त पोषण के साथ, उद्योग और स्टार्टअप मौजूदा और भविष्य की हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों के लिए अधिक जटिल तकनीकों को विकसित करने में सक्षम होंगे। इसलिए टीडीएफ योजना के तहत अब तक 56 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।
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सवाल है कि स्टार्टअप्स के लिए टीडीएफ योजना के लिए कौन आवेदन कर सकता है? इसके तहत कौन-कौन सी प्रौद्योगिकियां मान्यता प्राप्त हैं? इस योजना के लिए मान्य दस्तावेज कौन-कौन से हैं, यह सब भी निर्धारित कर दिया गया है। यही नहीं, प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना के तहत स्टार्टअप्स की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है। इसके अलावा प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना को लागू करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी बनाई गई है।
बता दें कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, डीआरडीओ द्वारा चलाई जा रही प्रौद्योगिकी विकास निधि यानी टीडीएफ योजना, एमएसएमई और स्टार्ट-अप द्वारा उत्पादों, प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास का समर्थन करती है। यह योजना देश में रक्षा निर्माण के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी क्षमता बढ़ाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती है।
गौरतलब है कि 'मेक इन इंडिया' पहल के एक हिस्से के रूप में रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) की स्थापना की गई है। यह डीआरडीओ द्वारा निष्पादित एमओडी (रक्षा मंत्रालय) का एक कार्यक्रम है जो त्रि-सेवाओं, रक्षा उत्पादन और डीआरडीओ की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
दरअसल यह योजना रक्षा अनुप्रयोग के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी क्षमता बढ़ाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए सार्वजनिक/निजी उद्योगों विशेष रूप से एमएसएमई की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
इस योजना के तहत 135 प्रौद्योगिकियों (आर एंड डी के तहत) का स्वदेशीकरण किया जा रहा है, जिसके लिए 147 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। इस योजना में डीआरडीओ के साथ बोर्ड के 1236 विशेषज्ञ लगे हुए हैं, जो 3563 कंपनियों को समुचित दिशा-निर्देश प्रदान कर रहे हैं।
इस योजना का उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भरता के पथ पर स्थापित करने के लिए, रक्षा प्रौद्योगिकियों पर नवाचार करने के लिए उद्योग को प्रोत्साहित करके रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करना है। स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए सहायता अनुदान प्रदान करने के अलावा, यह योजना उद्योग को विभिन्न लाभ भी प्रदान करती है।
डीआरडीओ के साथ आईपीआर का संयुक्त स्वामित्व, उपठेकेदारों के रूप में बिक्री का अवसर, व्यावसायिक लाभ के लिए उत्पाद/प्रौद्योगिकी का लाइसेंस, निर्यात के अवसर, दोहरे उपयोग प्रौद्योगिकी और स्पिन-ऑफ के विकास के लिए निजी बाजार में बिक्री का सीधा चैनल आदि टीडीएफ योजना के मुख्य आकर्षण हैं।
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में रक्षा मंत्रालय की प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना के तहत वित्त पोषण को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये प्रति परियोजना करने को मंजूरी दे दी है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा चलाई जा रही टीडीएफ योजना एमएसएमई और स्टार्ट-अप द्वारा घटकों, उत्पादों, प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास का समर्थन करती है।
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बता दें कि केंद्रीय बजट 2022-23 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत निजी उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षाविदों के लिए रखा गया था। बढ़ा हुआ वित्त पोषण बजट घोषणा के अनुरूप है और यह ‘रक्षा में आत्म-निर्भर’ बनने की सोच दृष्टिकोण को और बढ़ावा देगा।
टीडीएफ योजना, उत्पादन लागत को कम करके, मेक इन इंडिया को बढ़ावा देकर कार्यक्षमता और गुणवत्ता में सुधार करके और रक्षा अनुप्रयोगों के साथ भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास द्वारा मौजूदा उत्पादों व प्रणालियों, प्रक्रियाओं और इसके अनुप्रयोगों को उन्नत करने के लिए वित्तीय सहायता और विशेषज्ञता प्रदान करती है। यह योजना सेवा मुख्यालयों के उत्पादों/सिस्टमों और भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकियों को परियोजनाओं के रूप में अपग्रेड करने की आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करती है जिसके लिए पात्र हितधारक इस मंच के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
एक बार महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था कि अपने सपने सच होने से पहले आपको सपने देखने होंगे। इसलिए उन्हीं से प्रेरणा लेकर रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचारों के लिए व्यक्तियों और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए डेयर टू ड्रीम इनोवेशन कॉन्टेस्ट योजना भी चलाई गई है। यह योजना डीआरडीओ के मातहत उभरती प्रौद्योगिकियों में कुछ प्रमुख चुनौतियों को हल करने के लिए स्टार्ट-अप और नवप्रवर्तनकर्ताओं के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करता है, जो भारत की रक्षा और एयरोस्पेस क्षमताओं को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इससे देश को काफी लाभ मिलेगा।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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