वसंती पंचमी पर क्या है सरस्वती देवी की पूजा का मुहूर्त, जानें पूजा विधि
शास्त्रों में पूर्वाह्न से पूर्व सरस्वती पूजन का विधान है। शास्त्रों में पूर्वाह्न से पूर्व सरस्वती पूजन करने से देवी प्रसन्न होती हैं। इस वर्ष सुबह 6 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक सरस्वती पूजन करना शुभ व मंगलकारी होगा।
भोपाल। माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी मनाई जाएगी, जो कि इस बार 10 फरवरी 2019 को है। इस वर्ष वसंत पंचमी की तिथि दो दिन लग रही है। कुछ स्थानों पर इसे चतुर्थी तिथि की दोपहर से मनाया जाएगा, क्योंकि विद्वानों के अनुसार चतुर्थी तिथि 9 फरवरी की दोपहर ही समाप्त होकर पंचमी तिथि का प्रवेश हो रहा है। जिसकी वजह से इसे दो दिन मनाए जाने का विधान बन रहा है, हालांकि ज्यादातर स्थानों पर इसे 10 को ही मनाया जाएगा। यहां हम आपको वसंत पंचमी से जुड़ी कुछ खास बातें व मुहूर्त बताने जा रहे हैं।
मिलता है विशेष वरदान
यह दिन मां सरस्वती की पूजा का श्रेष्ठ व अति उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन के बारे में कामदेव की पूजा को लेकर भी मान्यता है। कहा जाता है कि सरस्वती पूजन से जहां विद्या, कला का वरदान मिलता है वहीं कामदेव पूजन से रति सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन देवी सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था। इसलिए इसे देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति का धरती पर आगमन होता है और जो भी उन्हें प्रसन्न कर लेता है वे उसे असीमित ऐश्वर्य का वरदान प्रदान करते हैं।
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पूजा का नियम एवं शुभ मुहूर्त
विद्वानों के अनुसार शास्त्रों में पूर्वाह्न से पूर्व सरस्वती पूजन का विधान है। शास्त्रों में पूर्वाह्न से पूर्व सरस्वती पूजन करने से देवी प्रसन्न होती हैं। इस वर्ष सुबह 6 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक सरस्वती पूजन करना शुभ व मंगलकारी होगा।
भोग में रखें ये विशेष चीजें
देवी सरस्वती ज्ञान और आत्मिक शांति का प्रतीक बताई गई हैं। इनकी प्रसन्नता के लिए पूजा में सफेद और पीले रंग के फूलों और वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। इन्हें प्रसाद स्वरूप बूंदी, बेर, चूरमा, चावल की खीर का भोग लगाना अति उत्तम है। इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन होता है। इसलिए देवी को गुलाब अर्पित कर एक-दूसरे को गुलाल का टीका लगाना अति शुभकारी है।
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इनकी पूजा का भी शास्त्रों में उल्लेख
देवी सरस्वती और कामदेव पूजा के बारे में प्रायः बताया जाता है, किंतु शास्त्रों में इस दिन राधा कृष्ण की पूजा का भी विधान बताया गया है। दरअसल, राधा-कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना गया है और इस दिन कामदेव का पृथ्वी पर आगमन होता है। प्रेम में कामुकता पर नियंत्रण और सादगी के लिए राधा-कृष्ण की पूजा का विधान सदियों से चला आ रहा है। यह भी मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन पहली बार राधा-कृष्ण ने एक-दूसरे को गुलाल लगाया था। जिसकी वजह से ही इस दिन गुलाल लगाने की भी परंपरा है।
-कमल सिंघी
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