Guru Purnima: आषाढ़ गुरु पूर्णिमा व्रत से भक्तों को होती है शुभ फलों की प्राप्ति

Guru Purnima
ANI

पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र जल में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही स्नान के बाद दान करने का भी विधान है।

10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा है, पूर्णिमा के दिन को हिंदू शास्त्रों में बेहद खास माना जाता है। इस दिन स्नान-दान के साथ ही धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य करना अत्यंत लाभदायक होता है। पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से भी शुभ फलों की प्राप्ति भक्तों को होती है तो आइए हम आपको आषाढ़ पूर्णिमा व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 

जानें आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के बारे में 

हर महीने की आखिरी तिथि पर पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस तिथि को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन श्रीहरि और पवित्र नदी में स्नान करने से साधक के सभी पाप कट जाते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का खास महत्व है और इनमें भी आषाढ़ पूर्णिमा का अपना एक अलग स्थान है। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह दिन पूजा-पाठ, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। पंडितों के अनुसार इस तिथि पर गुरु की उपासना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से भी शुभ फलों की प्राप्ति भक्तों को होती है। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसी दिन गुरु वेदव्यास जी का जन्म हुआ था।

इसे भी पढ़ें: Guru Purnima 2025: गुरु जीवनरूपी अंधेरों को मिटाकर उजाला करते हैं

जानें आषाढ़ गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त   

पंचांग गणना के आधार पर पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 09 जुलाई, 2025 को शाम 06 बजकर 54 मिनट से होगी। इसके साथ ही इसकी समाप्ति 10 जुलाई 2025 को शाम 05 बजकर 47 मिनट पर होगी, क्योंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है। इसलिए 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी।

आषाढ़ गुरु पूर्णिमा पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त 

ज्योषीय गणना के आधार पर इस साल आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत, स्नान-दान एक ही दिन यानी 10 जुलाई को मनाया जाएगा।

आषाढ़ गुरु पूर्णिमा पर जरूर करें ये अनुष्ठान, मिलेगा लाभ 

करें गुरु पूजा- आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस दिन अपने गुरुओं की पूजा जरूर करें और उनका आशीर्वाद लें।

इस दिन स्नान-दान का महत्व- पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र जल में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही स्नान के बाद दान करने का भी विधान है। इसलिए इस दिन अन्न, वस्त्र, धन या अन्य जरूरी चीजों का दान जरूर करें।

गुरु पूर्णिमा पर करें व्रत- आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मन शांत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

साधना और ध्यान का है खास महत्व- यह दिन साधना और ध्यान के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दिन ध्यान जरूर करें। ऐसा करने से मन एकाग्र और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

आषाढ़ गुरु पूर्णिमा पर करें दान, होंगे लाभन्वित

पंडितों के अनुसार आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर पूजा-अर्चना करें और इसके बाद मंदिर या फिर गरीब लोगों में अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्णिमा के दिन दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा से रुके हुए काम पूरे होते हैं।

आषाढ़ गुरु पूर्णिमा का महत्व 

आषाढ़ गुरु पूर्णिमा वह विशेष दिन है जब हम अपने जीवन के गुरुओं को सम्मानपूर्वक नमन करते हैं। ये गुरु हमारे शिक्षक हो सकते हैं, माता-पिता, आध्यात्मिक मार्गदर्शक या कोई भी ऐसा व्यक्ति, जिसने हमें जीवन का सही रास्ता दिखाया हो। इस पर्व का धार्मिक और भावनात्मक महत्व बेहद गहरा है। धार्मिक मान्यतों के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों, पुराणों और महाभारत जैसे ग्रंथों की रचना करके सनातन धर्म को एक गहरी बौद्धिक नींव दी। इसलिए इस दिन को वेदव्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के अगले ही दिन से सावन मास का शुभारंभ होता है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में शिवभक्ति और व्रतों के लिए पवित्र माना जाता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और वेदव्यास जी की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन लोग अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेते हैं, उन्हें उपहार अर्पित करते हैं, और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा केवल परंपरा नहीं, बल्कि उस सच्चे ज्ञान और मार्गदर्शन की पूजा है, जो जीवन को सार्थक बनाता है।

गुरु-शिष्य परंपरा का खास उदाहरण है गुरु पूर्णिमा  

गुरु पूर्णिमा को गुरु-शिष्य परंपरा का उत्सव माना जाता है। इस दिन लोग अपने आध्यात्मिक, सामाजिक या शैक्षिक गुरु का सम्मान करते हैं, उनका आशीर्वाद लेते हैं और उनके मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञता प्रकट करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, दान-पुण्य करना और गुरु का पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि उस ज्ञान की आराधना है जो जीवन के अंधकार को मिटाकर हमें सही राह दिखाता है। 

इसलिए है आषाढ़ गुरु पूर्णिमा खास 

आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के दिन न केवल देवी-देवताओं बल्कि गुरुओं की पूजा और सेवा भी की जाती है। सात चिरंजीवियों में से एक वेदव्यास जी का जन्मोत्सव भी इस दिन मनाया जाता है। गुरु-शिष्य परंपरा में इस दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करता है और गुरु अपने शिष्य को आशीर्वाद देते हैं।  इसीलिए आषाढ़ गुरु पूर्णिमा को बेहद खास माना जाता है। गुरु पूर्णिमा ज्ञान और श्रद्धा का पर्व है, जिसे आषाढ़ गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरु के प्रति सम्मान, पूजन और आभार प्रकट कर जीवन में मार्गदर्शन का स्मरण किया जाता है।

- प्रज्ञा पाण्डेय

All the updates here:

अन्य न्यूज़