Sawan Durga Ashtami 2025: सावन दुर्गाष्टमी पर इस विधि से करें मां दुर्गा की पूजा, जानिए मुहूर्त और महत्व

Sawan Durga Ashtami 2025
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सावन महीने में पड़ने वाली मासिक दुर्गाष्टमी का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि यदि जातक के जीवन में किसी तरह की समस्या आ रही है, तो सावन मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत करने से लाभ मिलता है और कार्यक्षेत्र में भी सफलता मिलती है।

हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। यह दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है। वहीं जातक मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए यह व्रत करते हैं। लेकिन सावन महीने में पड़ने वाली मासिक दुर्गाष्टमी का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि यदि जातक के जीवन में किसी तरह की समस्या आ रही है, तो सावन मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत करने से लाभ मिलता है और कार्यक्षेत्र में भी सफलता मिलती है। इस बार 01 अगस्त 2025 को सावन दुर्गाष्टमी मनाई जा रही है। तो आइए जानते हैं सावन दुर्गाष्टमी की तिथि, मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...

तिथि और मुहूर्त

वैदिग पंचांग के मुताबिक सावन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 01 अगस्त 2025 को सुबह 04:58 मिनट पर होगी। वहीं अगले दिन यानी की 02 अगस्त की सुबह 07:23 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। ऐसे में उदयातिथि के हिसाब से 01 अगस्त 2025 को सावन दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा निशा काल में की जाती है।

पूजन विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें। फिर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करें। वहीं साथ में कलश की भी स्थापना करें। अब मां दुर्गा को श्रृंगार का सामान अर्पित करें, जिसमें सिंदूर, लाल चुनरी, अक्षत, लाल फूल, रोली और चंदन आदि अर्पित करें। फिर देवी दुर्गा को मिठाई, फल या अन्य सात्विक भोग लगाएं। मां दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं। वहीं संभव हो तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और पूजा के अंत में आरती करें।

महत्व

बता दें कि मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन नकारात्मक शक्तियों को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिहाज से काफी शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत करने और विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। वहीं कुंवारी कन्याएं उत्तम वर प्राप्ति के लिए यह व्रत कर सकती हैं।

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