Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर दान से पितृ होते हैं प्रसन्न

Vaishakh Amavasya
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अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण किया जाता है, पंडितों का मानना है कि इसी दिन त्रेतायुग का भी प्रारम्भ हुआ था। वैशाख महीने का महत्व इसलिए क्योंकि यह बहुत पवित्र महीना माना जाता है। इस दिन शनि भगवान की पूजा कर पीपल के पेड़ में जल अर्पित किया जाता है।

वैशाख माह में पड़ने वाली अमावस्या को वैशाख अमावस्या कहते हैं। वैशाख मास की अमावस्या को सतुवाई अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन पूजा करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं, तो आइए हम आपको वैशाख अमावस्या व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं। 

वैशाख अमावस्या के बारे में जानें  

अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण किया जाता है, पंडितों का मानना है कि इसी दिन त्रेतायुग का भी प्रारम्भ हुआ था। वैशाख महीने का महत्व इसलिए क्योंकि यह बहुत पवित्र महीना माना जाता है। इस दिन शनि भगवान की पूजा कर पीपल के पेड़ में जल अर्पित किया जाता है। वैशाख अमावस्या पर कुंडली में मौजूद कालसर्प जैसे हानिकारक दोषों को दूर किया जा सकता है। इस अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों की मुक्ति के लिए विभिन्न प्रकार के श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। वैशाख अमावस्या तिथि पितरों की पूजा के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही तर्पण और पिंडदान आदि कार्य किए जाते हैं। पंडितों के अनुसार ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही साधक को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है।

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वैशाख अमावस्या से जुड़ी पौराणिक कथा 

वैशाख अमावस्या से सम्बन्धित एक पौराणिक कथा प्रचलित है। उस कथा के अनुसार प्राचीन काल में धर्मवर्ण नामक का एक ब्राह्मण रहता था। वह बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का था। अपने स्वभाव के कारण वह साधु-संतों का बहुत आदर करता था। उसने किसी से सुना कि कलयुग में विष्णु भगवान का स्मरण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह बात सुनकर उसने सन्यास ले लिया और यहां-वहां भ्रमण करने लगा। इस प्रकार भ्रमण करते हुए वह पितृलोक पहुंच गया। पितृलोक पहुंचने के बाद उसने देखा कि उसके पितृ बहुत दुखी है और परेशान हो रहे हैं। इस पर उसने अपने पितरों से दुख का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वह धर्मवर्ण के संन्यास लेने के कारण बहुत दुखी है। अगर धर्मवर्ण सन्यास छोड़ कर गृहस्थ बन जाए तो और बच्चे पैदा करे तो उन्हें मुक्ति मिल जाएगी। इसके अलावा धर्मवर्ण अगर वैशाख अमावस्या पर श्राद्ध तथा तपर्ण करें तो वह सुखी रहेंगे। तब धर्मवर्ण ने उनकी बात मानकर गृहस्थ जीवन अपनाया और वैशाख  अमावस्या पर दान-पुण्य किया।  

वैशाख अमावस्या के दिन करें ये उपाय 

इस दिन करें दान-पुण्य के कार्य

वैशाख अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी क्षमतानुसार कपड़े, चीनी, अनाज और धन का दान करें। पंडितों का मानना है कि ऐसा करने से जातक पर पितरों की कृपा हमेशा बनी रहती है।

करें पशु-पक्षियों की सेवा

अमावस्या तिथि के दिन पशु-पक्षियों के सेवा करना और उन्हें दाना खिलाना बेहद शुभ माना गया है। पंडितों का मानना है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

इस मंत्र का जाप करें

वैशाख अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए ऊँ कुल देवताभ्यों नमः मंत्र का जाप करना लाभकारी साबित हो सकता है।

वैशाख अमावस्या का महत्व 

हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव माने गए हैं। इसलिए अमावस्या के अवसर पर पितरों की आत्मा की शांति हेतु श्राद्ध कर्म तथा दान-पुण्य किया जाता है। वैसे तो अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान कर दान करने की परंपरा प्रचलित है।

वैशाख अमावस्या पर पितृदोष मुक्ति के उपाय

वैशाख अमावस्या पर परिवार के सभी सदस्यों से बारबार मात्र में सिक्के एकत्रित करें और उन्हें मंदिर में दान करें। वैशाख अमावस्या पर प्रातःकाल और संध्या के समय घर में पूजा करते समय कपूर जलाएं। इस उपाय को करने से पितृदोष दूर होता है। अमावस्या के दिन कौवा, चिड़िया, कुत्ते और गाय को भोजन कराएं। अमावस्या के दिन पीपल या बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाएं। इसके बाद माथे पर केसर का तिलक लगाएं और श्री हरि विष्णु का जाप करें। वैशाख अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को अन्न, नमक, गुड, छाता, सफेद कपड़े आदि दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

वैशाख अमावस्या पर जरूर करें ये शुभ काम

पंडितों का मानना है कि वैशाख अमावस्या पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। वैशाख अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। स्नान के बाद नदी किनारे दान-पुण्य जरूर करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री जैसे धूप बत्ती, घी, तेल, हार-फूल, भोग के लिए मिठाई, कुमकुम, गुलाल, भगवान के लिए वस्त्र आदि का दान करें। संभव हो तो जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल और छाते का दान भी करें।

पितरों को करें धूप दान

पितरों को धूप दान करने के लिए उपले जलाएं और जब उपलों से धुआं निकलना बंद हो जाए तब पितरों का ध्यान करते हुए गुड़ और घी से धूप अर्पित करें। इस प्रक्रिया के दौरान घर के पितरों का ध्यान करते रहना चाहिए। जल अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से जल चढ़ाना चाहिए। 

- प्रज्ञा पाण्डेय

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