Vamana Jayanti 2025: वामन अवतार लेकर श्रीहरि ने राजा बलि के अहंकार का किया था अंत, जानिए मुहूर्त और पूजन विधि

Vamana Jayanti 2025
Creative Commons licenses/Wikimedia Commons

वामन जयंती के दिन भगवान श्रीहरि ने वामन रूप का अवतार लेकर राजा बलि के अभिमान का अंत किया था और उनको मोक्ष प्रदान किया था। इस दिन भगवान वामन देव की पूजा करने और व्रत करने से भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।

हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान श्रीहरि विष्णु के 5वें अवतार वामन देव की जयंती मनाई जाती है। इस साल 04 सितंबर 2025 को यह पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीहरि ने वामन रूप का अवतार लेकर राजा बलि के अभिमान का अंत किया था और उनको मोक्ष प्रदान किया था। इस दिन भगवान वामन देव की पूजा करने और व्रत करने से भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि वामन जयंती की तिथि, मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...

तिथि और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक 4 सितंबर 2025 की सुबह 04:21 मिनट पर द्वादशी तिथि की शुरूआत हुई है। वहीं अगले दिन यानी की 05 सितंबर 2025 की सुबह 04:08 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। ऐसे में वामन जयंती 04 सितंबर को मनाई जा रही है।

इसे भी पढ़ें: Pitru Paksha 2025: 7 सितंबर से 21 सितंबर तक चलेगा पितृपक्ष

पूजन विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और फिर पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद भगवान विष्णु या वामन अवतार की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा शुरू करने से पहले व्रत का संकल्प लें और वामन देव की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान वामन को पीले फूल, चंदन, पीले वस्त्र, तुलसी दल और नैवेद्य आदि अर्पित करें। भगवान वामन की पूजा में दही और मिश्री का भोग लगाएं। इस दौरान वामन जयंती की कथा का पाठ करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। वहीं पूजा के अंत में भगवान वामन की आरती करें और अंत में सभी को प्रसाद वितरित करें।

महत्व

यह पर्व भगवान श्रीहरि विष्णु के वामन अवतार की महिमा को दर्शाता है। जिसमें भगवान वामन ने राजा बलि के अंहकार को समाप्त कर तीनों लोकों को वापस देवताओं को दिलाया था। यह पर्व हमें सिखाता है कि अंहकार का अंत निश्चित है और भगवान वामन ने अपनी लीला से राजा बलि को यह ज्ञान दिया कि किसी भी शक्ति या संपत्ति पर घमंड नहीं करना चाहिए। वामन जयंती का पर्व दान के महत्व को दर्शाती है। इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

All the updates here:

अन्य न्यूज़