नवरात्रि में जाना हो घर से बाहर, तो ऐसे करें स्थापना

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मिताली जैन । Apr 5 2019 6:56PM

वैसे तो नवरात्रि के दिनों में अखंड ज्योति जलाने का विधान है, लेकिन जिन लोगों को नवरात्रि के दिनों में बाहर जाना हो, उन्हें अखंड ज्योति नहीं जलानी चाहिए क्योंकि इसका खंडित होना बिल्कुल भी शुभ नहीं होता। ऐसे लोग सुबह व शाम पूजा के समय एक घी का दीपक जला सकते हैं।

नवरात्रि आते ही हर व्यक्ति मां को अपने घर में बुलाने के लिए आतुर हो उठता है। हर व्यक्ति बेहद हर्षोल्लास से माता की प्रतिमा की स्थापना करता है और पूरे श्रद्धा भाव से उनकी अराधना करता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो माता को अपने घर में बुलाना तो चाहता है, लेकिन खुद उन्हें नवरात्रि के दिनों में बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में नवरात्रि व उसमें रखे जाने वाले व्रत के नियम प्रभावित होते हैं। मसलन, नवरात्रि में लोग अखंड ज्योति भी जलाते हैं, लेकिन अगर आपको बाहर जाना है तो आप ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि इस ज्योति का खंडित होना बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता। तो चलिए जानते हैं नवरात्रि के दिनों में अगर आपको बाहर जाना हो तो किस तरह करें माता की स्थापना−

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शुभ मुहूर्त में हो स्थापना

कोई भी कार्य जब शुभ मुहूर्त में किया जाता है तो इससे कार्य भी सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं। इसलिए आप भी स्थापना 6 अप्रैल के दिन प्रातरू काल 6 बजकर 18 मिनट से लेकर 9 बजकर 37 मिनट के बीच में ही कर लें। इसी वेला में कलश की स्थापना भी कर लें। स्थापना करने के लिए पहले एक लाल चौकी लेकर उसके उपर लाल कपड़ा बिछाएं। अब इस पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। इसके बाद उस पर कलश रखकर उसमें गंगाजल, पांच हल्दी की गांठें, एक सुपारी, एक पूर्ण पात्र जैसे मिट्टी के बर्तन में चावल भरकर रखें। इसके साथ ही आम या अशोक के पल्लव, उसके उपर नारियल व उसके उपर चुनरी रख दें। साथ ही माता को श्रृंगार का सामान भी अवश्य चढ़ाएं। आप चाहें तो प्रतिदिन एक श्रृंगार का सामान भेंट कर सकते हैं। लेकिन अगर आपको बाहर जाना है तो स्थापना के दिन ही सोलह श्रृंगार का सामान माता को अर्पित कर दें। 


न जलाएं अखंड ज्योति

वैसे तो नवरात्रि के दिनों में अखंड ज्योति जलाने का विधान है, लेकिन जिन लोगों को नवरात्रि के दिनों में बाहर जाना हो, उन्हें अखंड ज्योति नहीं जलानी चाहिए क्योंकि इसका खंडित होना बिल्कुल भी शुभ नहीं होता। ऐसे लोग सुबह व शाम पूजा के समय एक घी का दीपक जला सकते हैं। 

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सूखा नारियल है उत्तम

नवरात्रि में माता की पूजा के अंतिम दिन बलि से ही समापन किया जाता है और कलश पर रखा पानी वाला नारियल उस बलि का ही प्रतीक माना जाता है। जहां तामसी लोग बकरे की बलि देते हैं, वहीं सात्विक लोग उद्यापन के दिन उस नारियल को फोड़कर बलि देते हैं और पूजा संपन्न करते हैं। लेकिन अगर आप बाहर जा रहे हैं और आपके लिए अष्टमी−नवमी का पूजन करना संभव नहीं है तो आप पानी वाले नारियल के स्थान पर सूखा गोला या श्रीफल रखें। और जब भी आप वापिस आएं तो उस नारियल व चुनरी का विसर्जन कर दें। 

इसका रखें ध्यान

नवरात्रि में नियमित रूप से माता की अराधना करें। अगर आप घर पर नहीं हैं तो भी आसपास के मंदिर में जाकर यथावत पूजन करें। 

जिन लोगों ने व्रत रखा है लेकिन वह घर पर उद्यापन नहीं कर पा रहे हैं, वह मंदिर में भी कन्या पूजन कर सकते हैं व वहां के पंडित की सहायता से यथावत पूजन करें व माता को भोग लगाएं और कन्याओं को कोई न कोई उपहार अवश्य दें। 

मिताली जैन

ज्योतिषाचार्य विकास शास्त्री से बातचीत पर आधारित

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