Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि की तीसरे दिन करें मां चंद्रघण्टा की पूजा, मन को मिलेगी अलौकिक शांति

Maa Chandraghanta
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चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है। जब देवी ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त कर लिया था तब वह आदिशक्ति के रूप में प्रकट होकर चंद्रघण्टा का बन जाती हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान के पूजा करने से मन को अलौकिक शांति की प्राप्ति होती है।

चैत्र नवरात्रि का आज यानि की 24 मार्च को तीसरा दिन है। आज मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। मां दुर्गा का चंद्रघंटा स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। मां चंद्रघंटा के मस्तक में घण्टे के आकार का अर्द्धचंद्र सुशोभित है। जिस कारण देवी के इस स्वरूप का नाम चंद्रघण्टा पड़ा। बता दें कि मां चंद्रघण्टा तृतीय चक्र पर विराजमान हो कर ब्रह्माण्ड से दसों प्राणों व दिशाओं को संतुलित करती हैं। साथ ही यह महाआकर्षण प्रदान करती हैं। इनकी विधिवत पूजा-अर्चना से भक्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाकर परमपद के अधिकारी बन जाते हैं।

मां चंद्रघण्टा स्वरूप

नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघण्टा का शरीर स्वर्ण के समान चमकीला है। वह सिंह की सवारी करती हैं। माता के दस हाथ हैं। जिनमें मां चंद्रघण्टा कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि जैसे अस्त्र और शस्त्र लिए हुए हैं। मणिपुर चक्र को तंत्र साधना में नियंत्रित करती हैं। मां के गले में श्वेत पुष्प की माला और शीर्ष पर रत्नजड़ित मुकुट विराजमान है। वह हमेशा युद्ध की मुद्रा में विराजमान रहती हैं।

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पूजा से मिलती है शांति

मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से मन को शांति मिलती है। मां चंद्रघण्टा की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है। बता दें कि मां चंद्रघण्टा की पूजा में दूध का प्रयोग करना चाहिए। जब देवी भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त कर लेती हैं तो वह आदिशक्ति में परिवर्तित हो जाती हैं और चंद्रघण्टा बन जाती है। देवी पार्वती के जीवन में तीसरी सबसे बड़ी घटना के रूप में उन्हें प्रिय वाहन बाघ की सवारी प्राप्त होती है। मां को लाल रंग अतिप्रिय है। इसलिए पूजा में लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।

मां चंद्रघंटा का मंत्र

पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।

सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

पूजा विधि

सबसे पहले ब्रह्ममुहुर्त में उठकर स्नानादि कर माता का ध्यान करें। इसके बाद मां चंद्रघण्टा के स्वरूप का ध्यान करते हुए पांच घी के दीपक जलाने चाहिए। पूजा के दौरान मां को सफेद या लाल रंग के फूल अर्पित करें। इसके बाद मां को रोली, अक्षत और पूजा की सामग्री आदि अर्पित करें। सुबह और शाम को कपूर से आरती करें आरती के दौरान शंख जरूर बजाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। मां को भोग में खीर या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। इसके बाद मां चंद्रघंटा की कथा, दुर्गा चालिसा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती आदि का पाठ करना चाहिए। इसके बाद परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।

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