मुद्दा गंभीर लेकिन, शाहिद- श्रद्धा नहीं चला पाये अपनी एक्टिंग का मीटर

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[email protected] । Sep 22 2018 3:48PM

सामाजिक मुद्दे पर आधारित अक्षय कुमार की फिल्म ''टॉयलेट एक प्रेम कथा'' का बनाने के बाद निर्देशक श्री नारायण सिंह एक बार फिर से देश में चल रह, बिजली के बिल की समस्या पर आधारित फिल्म '' बत्ती गुल मीटर चालू'' लेकर आये हैं।

 कलाकार- शाहिद कपूर ,श्रद्धा कपूर , यामी गौतम ,दिव्येंदु शर्मा ,एना एडोर , अश्रुत जैन 

निर्देशक- श्रीनारायण सिंह 

मूवी टाइप- कॉलेडी, ड्रामा

अवधि- 2 घंटे 41 मिनट 

सामाजिक मुद्दे पर आधारित अक्षय कुमार की फिल्म 'टॉयलेट एक प्रेम कथा'  का बनाने के बाद निर्देशक श्री नारायण सिंह एक बार फिर से देश में चल रह, बिजली के बिल की समस्या पर आधारित फिल्म ' बत्ती गुल मीटर चालू'  लेकर आये हैं। ये 21 सितंबर को सिनेमाघर में रिलीज हुई। इस फिल्म में शाहिद कपूर , श्रद्धा कपूर , यामी गौतम लीड रोल में नजर आ रहें है। अगर आप भी ये फिल्म देखने जा रहे हैं तो जान ले श्री नारायण सिंह की फिल्म में क्या हैं खास।

 फिल्म की कहानी की बात करें तो यह सुशील कुमार पंत (शाहिद कपूर )के इर्द -गिर्द चलती रहती है। सुशील,  ललिता नौटियाल उर्फ़ नौटी (श्रद्धा कपूर )और सुन्दर मोहन त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा ) तीनो जिगरी दोस्त होते हैं। ये तीनों उत्तराखंड के टिहरी के रहने वाले हैं। यह कहानी उत्तराखंड के टिहरी के बिजली संकट से ग्रस्त व्यक्ति की है। सुशील यानी शाहिद कपूर छोटे-मोटे केस लड़ने वाले वकील है। साथ ही में वह झूठे केस में फ़साने की धमकी देकर पैसा कामने का भी काम करता हैं। नौटी एक फैशन डिज़ाइनर है और त्रिपाठी प्रिंटिंग प्रेस चलाता है। फिल्म शाहिद कपूर का दोस्त सुन्दर मोहन त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा) प्रिंटिंग प्रेस चलाते हैं। एक दिन त्रिपाठी का 54  लाख का बिजली का बिल आता हैं इसके खिलाफ त्रिपाठी अपनी शिकायत दर्ज करवाता है लेकिन कहीं भी उसकी शिकायत नहीं सुनी जाती इसी के कारण वह निराश हो जाता है और बेबसी में आत्महत्या कर लेता है। यह हादसा सुशील और नौटी को हिला कर रख देता है, दोनों इंडस्ट्रियल इलाके में बिजली कंपनियों की मन मर्ज़ी के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला करते है। वही कोर्ट में सुशील का मुकाबला गुलनार (यामी गौतम ) जो कि बिजली कंपनी की वकील से होता है। आगे कोर्ट में क्या होता हैं इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी। 

रिव्यु- लेखक और निर्देशक ने कोर्ट रूम को थोड़ा मज़ाकिया स्टाइल में प्रस्तुत किया है, जो की इस मुद्दे को गंभीर बनाने से रोक रहा है और नॉर्मल बॉलीवुड के सिनेमा में बदल देती है। इससे यह साफ़ हो जाता है के फिल्म देखने के बावजूद भी दर्शक अपनी लड़ाई के लिए आवाज़ नहीं उठाने वाला। फिल्म में शाहिद में छोटे शहर के लड़के जैसी बात नज़र नहीं आयी वही श्रद्धा भी यह किरदार कुछ खास नहीं निभा पायी और वह वही मेट्रो गर्ल जैसी ही नज़र आयी। वही दिव्येंदु शर्मा ने अपनी भूमिका को बेहतरीन नज़र आये। मुद्दा गंभीर है लेकिन ज्यादा खींचता हुआ नज़र आया इसलिए कई बार बोर भी हुए। फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड के टिहरी में हुयी। पहाड़ की कुछ लोकेशन बेहद खूबसूरत लगी।

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