यंगस्टर्स को पुराने दिनों की याद कराएगी ''दिल जंगली''
इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म ''दिल जंगली'' की कहानी बड़ी सामान्य सी है लेकिन दिखाती है कि किस तरह एक जगह पढ़ने वाले एक दूसरे पर जब मोहित हो जाते हैं तो क्या-क्या होता है।
स्कूल-कॉलेज के दिनों में आपकी भी कोई ना कोई लव स्टोरी रही होगी या फिर आप किसी की लव स्टोरी को उस समय देखकर उससे अपने आपको भी जोड़ते रहे होंगे। इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'दिल जंगली' आपको एक बार फिर अपने उस समय को जीने का मौका देती है। फिल्म की कहानी बड़ी सामान्य सी है लेकिन दिखाती है कि किस तरह एक जगह पढ़ने वाले एक दूसरे पर जब मोहित हो जाते हैं तो क्या-क्या होता है। इस प्यार में ना तो अमीरी गरीबी आड़े आती है और ना ही त्वचा का रंग आड़े आता है। निर्देशक अलेया सेन की यह फिल्म आपको जरूर भाएगी।
फिल्म की कहानी कोरोली नायर (तापसी पन्नू) और सुमित उप्पल (साकिब सलीम) के इर्दगिर्द घूमती है। तापसी बड़े बाप की बेटी है लेकिन उसके सपने छोटे ही हैं। वह पिता के बिजनेस में कोई रुचि नहीं रखती और बस यही चाहती है कि एक दिन उसके सपनों का राजकुमार आये और उसे अपने साथ शादी करके ले जाए और फिर वह बच्चों की मां बन कर अपने परिवार पर ध्यान दे। वह दिल्ली के ब्रिटिश काउंसिल में पढ़ाती है। यहीं पर अंग्रेजी सीखने के लिए सुमित उप्पल भी आता है जोकि बॉलीवुड में स्टार बनने की ख्वाहिश रखता है। वह जिम में इंस्ट्रक्टर है। उसकी मुलाकात जब टीचर के रूप में कोरोली से होती है तो दोनों एक दूसरे को देख कर मुसकुराते हैं लेकिन जल्द ही यह रिश्ता गहरा होता जाता है। अचानक एक दिन ऐसी घटना होती है कि इनके रिश्तों में नया मोड़ आ जाता है।
अभिनय के मामले में साकिब का जवाब नहीं। वह अपने रोल में खूब जमे हैं। तापसी का काम भी दर्शकों को पसंद आयेगा। उन्होंने एकदम बदली हुई सी भूमिका निभाई है। अन्य सभी कलाकार सामान्य रहे। फिल्म का गीत संगीत सामान्य है और कहानी की गति को आगे बढ़ाने वाला है। निर्देशक की कहानी पर पूरी तरह पकड़ रही है और शुरू से लेकर अंत तक फिल्म पटरी से उतरी नहीं है। यदि अपने कॉलेज के दिनों को फिर से जीना चाहते हैं तो एक बार यह फिल्म देखी जा सकती है।
कलाकार- तापसी पन्नू, साकिब सली और निर्देशक अलेया सेन।
प्रीटी
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