उजड़ा चमन का मुद्दा तो संवेदनशील लेकिन फिल्म की कहानी ने कर दिया प्रभावहीन

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रेनू तिवारी । Nov 1 2019 3:38PM

तब बस सीरत को भूल कर सुंदर चेहरे के आकर्षण में खो जाते हैं। अब आप सोच रहे होंगे फिल्म उजड़ा चमन और सूरत-सीरत का क्या मेल? तो आपको बता दें कि सनी सिंह की फिल्म उजड़ा चमन खूबसूरती और स्मार्ट दिखने पर ही आधारित है।

एक कहावत है कि इंसान की सूरत नहीं सीरत देखनी चाहिए... लेकिन जब असल जिंदगी की बात होती है तो सब इस कहावत के विलोम को चुन लेते हैं। तब बस सीरत को भूल कर सुंदर चेहरे के आकर्षण में खो जाते हैं। अब आप सोच रहे होंगे फिल्म उजड़ा चमन और सूरत-सीरत का क्या मेल? तो आपको बता दें कि सनी सिंह की फिल्म उजड़ा चमन खूबसूरती और स्मार्ट दिखने पर ही आधारित है।

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फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी की शुरूआत होती है तो फिल्म में ल्ली के प्रोफेसर चमन कोहली की कहानी दिखाई गई है जिनके सिर में बाल काफी कम हैं। प्रोफेसर चमन कोहली नाम सुनकर आप भी ये सोच रहे होंगे की हम किसी 50-60 साल के प्रोफेसर की बात कर रहे है, लेकिन ये प्रोफेसर काफी कम उम्र का ये जिसके दिमाग में तो बहुत कुछ है लेकिन दिमाग के ऊपरी विभाग में पर बाल नहीं हैं। इस वजह से प्रोफेसर साहब काफी परेशान रहते है। बालों की कमी के कारण वो भरी जवानी में ज्यादा उम्र के दिखाई देते हैं जिसके कारण उनकी शादी भी नहीं हो पा रही है। प्रोफेसर साहब भी फिल्म में कम डिमांडिंग नहीं है उनकी ख्वाहिश है कि जिस भी लड़की से शादी हो वो हो बला की खूबसूरत। अब उसकी ये ख्वाहिश पूरी होती है या नहीं उसके लिए तो आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

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डायरेक्शन/स्क्रिप्ट

फिल्म के डायरेक्टर अभिषेक पाठक है और फिल्म की कहानी राज बी. शेट्टी ने लिखी है। ये फिल्म कन्नड़ फिल्म ओंडू मोट्टेया काथे का हिंदी रिमेक है। फिल्म के निर्माता कुमार मंगत और अभिषेक पाठक है। डायरेक्शन की बात करें तो अभिषेक पाठक की इस फिल्म का सब्जेक्ट तो काफी संजीदा और नया था, मगर अभिषेक से गलती यह हुई कि बॉडी शेमिंग के इस संवेदनशील मुद्दे को सिनेमा के चश्मे से देखना शुरू किया और इसीलिए जो प्रभाव पढ़ना चाहिए था, वो बिल्कुल नहीं पड़ा। फिल्म की कहानी बस खूबसूरत लड़की के आगे पीछे घूमती है। फिल्म का सारा जौर बालों से हटाकर लड़की की खूबसूरती पर टिका दिया गया है। फिल्म का कॉनसेप्ट है कि कम बाल वालों को समाज मेंक्या-क्या झेलना पड़ता है लेकिन फिल्म में बस ये दिखाया कि कम बाल वाले को खूबसूरत लड़की नहीं मिल रही। यहां कहानी लिखने वाले को ये तो पता है कि गंजेपन को मुद्दा बनाना है लेकिन उसे खत्म कहां करना है ये नहीं पता। 

कलाकारी 

फिल्म में लीड रोल सनी सिंह का है जिन्होनें आधे गंधे प्रोफेसर का किरदार निभाया है। सनी इस रोल से पहले काफी डेशिंग लड़के का किरदार फिल्म प्यार का पंचनामा और सोनू के टीटू की स्वीटी निभा चुके है। सनी ने अपने पुराने किरदारों से बिलकुल अलग रोल इस फिल्म में किया है और उसे बखूबी निभाया भी है। इस लिए सनी की तारीफ तो बनती है। इसमें करिश्मा शर्मा और मानवी गागरू भी हैं। करिश्मा शर्मा के पास ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं है। वो कॉलेज स्टूडेंट की भूमिका में हैं। वो स्क्रीन पर कुछ देर के लिए आती हैं और फिर चली जाती हैं। सौरभ शुक्ला छोटे से किरदार में आते हैं, मगर छा जाते हैं। मानवी गगरू का संवेदनशील अभिनय फिल्म को थोड़ा बहुत दर्शनीय बनाता है। टॉपिक नया है तो आप इसे देख सकते हैं लेकिन इस कॉमेडी फिल्म को देखने वक्त हंसी नहीं आती. इसमें मजेदार पंच लाइन्स भी नहीं हैं। 

कलाकार- सनी सिंह, मानवी गगरू, सौरभ शुक्ला, करिश्मा शर्मा आदि।

निर्देशक- अभिषेक पाठक

निर्माता- कुमार मंगत पाठक, अभिषेक पाठक।

स्टार- ** 2/2 (दो स्टार) 

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