किसी अन्य देश के राज्येत्तर तत्व से निपटने के लिए पहले ही हमला किया जा सकता है : भारत

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फरवरी भारत ने संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में कहा कि कोई देश किसी अन्य देश के राज्येत्तर तत्व की ओर से आसन्न सशस्त्र हमले को विफल करने के लिए ‘‘ पहले ही हमला’’ करने के लिए बाध्य हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में कहा कि कोई देश किसी अन्य देश के राज्येत्तर तत्व की ओर से आसन्न सशस्त्र हमले को विफल करने के लिए ‘‘ पहले ही हमला’’ करने के लिए बाध्य हो सकता है। भारत ने इसके साथ ही पुलवामा सहित कई आतंकवादी हमलों का जिक्र किया जो पड़ोसी देश की जमीन से उस पर किए गए हैं। भारत का इशारा पाकिस्तान की ओर था। संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के उप स्थाई प्रतिनिधि राजनयिक के. नागराज नायडू ने मेक्सको द्वारा आयोजित ‘अरिया फॉर्मूल’बैठक में यह बात कही।

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उन्होंने कहा कि राज्येत्तर तत्व जैसे कि आतंकवादी संगठन मेजबान देश के दूर दराज के इलाकों से अन्य देशों पर अक्सर हमला करते हैं। नायडू ने कहा कि इस पर बड़ी संख्या में देशों का मानना है कि अन्य देश से गतिविधि को अंजाम दे रहे किसी राज्येत्तर तत्व के खिलाफ बल का इस्तेमाल किया जा सकता है अगर ‘‘ राज्येत्तर तत्व ने देश के खिलाफ लगातार हमले किए हैं, यदि उसे समर्थन दे रहा देश राज्येत्तर तत्व के खतरों से निपटने की इच्छा नहीं रखता हो, या देश उसका साथ दे रहा हो या उसे प्रायोजित कर रहा हो।’’

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उन्होंने बुधवार को कहा, ‘‘दूसरे शब्दों में कोई देश किसी अन्य देश से राज्येत्तर तत्व की ओर से आसन्न सशस्त्र हमले को विफल करने के लिए ‘‘ पहले ही हमला’’ करने के लिए बाध्य हो सकता है।’’ ‘आरिया फॉर्मूला’ बैठकें ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर के समग्र सुरक्षा तंत्र को बरकरार रखने ‘अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बल के इस्तेमाल, राज्येत्तर तत्वों, और वैध आत्मरक्षा’’ पर सुरक्षा परिषद की औपचारिक बैठकें है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव 1368 (2001) और 1373 (2001) ने औपचारिक रूप से यह पक्ष रखा है कि आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए आत्मरक्षा में कदम उठाए जा सकते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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