भारत पर 500% टैरिफ वाला बिल ला रहा अमेरिका? ढाल बनकर खड़ा हुआ रूस, कहा- जो करना है कर लो

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अभिनय आकाश । Aug 1 2025 2:00PM

मकसद साफ था कि भारत को डराना, दवाब बनाना और रूस से उसके रणनीतिक साझेदारी को तोड़ना। लेकिन ट्रंप यहीं नहीं रुके सूत्रों की माने तो अमेरिकी कांग्रेस ने 500 प्रतिशत तक के टैरिफ वाला बंकर बस्टर बिल लाने की तैयारी चल रही है। लेकिन इस बात भारत ने झुकने की बजाए खामोशी के साथ मैदान तैयार किया और दोस्त आया मैदान में नाम रूस है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमीत्री पेस्कोव ने कह दिया कि हम इतने वर्षों से प्रतिबंध झेलते आ रहे हैं कि अब हमारी अर्थव्यवस्था को इसकी आदत हो गई है। ये वाक्य नहीं अमेरिका की ट्रेड रणनीति के चेहरे पर करारा तमाचा था। इसके बाद रूस की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाकारोवा ने कह दिया कि अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी इतने दोहराए जा चुके कदम उठा रहे हैं कि वो ऊबाउ लगने लगे है।

अमेरिका ने भारत पर 25 % का  टैरिफ लगाकर ये सोच लिया था कि इससे शायद भारत घुटनों के बल आ जाएगा। लेकिन कहानी का असली ट्विस्ट तो तब आया जब रूस ने बिना नाम लिए भारत के लिए ढाल बनकर खड़ा हो गया और दुनिया को कह दिया कि जो करना है कर लो। अब फर्क नहीं पड़ता। इस एक बयान ने अमेरिका को हिला कर रख दिया। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने एक और धमाका कर दिया। भारत पर 25 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने का ऐलान कर दिया। मकसद साफ था कि भारत को डराना, दवाब बनाना और रूस से उसके रणनीतिक साझेदारी को तोड़ना। लेकिन ट्रंप यहीं नहीं रुके सूत्रों की माने तो अमेरिकी कांग्रेस ने 500 प्रतिशत तक के टैरिफ वाला बंकर बस्टर बिल लाने की तैयारी चल रही है। लेकिन इस बात भारत ने झुकने की बजाए खामोशी के साथ मैदान तैयार किया और दोस्त आया मैदान में नाम रूस है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमीत्री पेस्कोव ने कह दिया कि हम इतने वर्षों से प्रतिबंध झेलते आ रहे हैं कि अब हमारी अर्थव्यवस्था को इसकी आदत हो गई है। ये वाक्य नहीं अमेरिका की ट्रेड रणनीति के चेहरे पर करारा तमाचा था। इसके बाद रूस की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाकारोवा ने कह दिया कि अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी इतने दोहराए जा चुके कदम उठा रहे हैं कि वो ऊबाउ लगने लगे है।

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बिना भारत का नाम लिए रूस ने अमेरिका को दो टूक कहा कि हम उनके साथ खड़े हैं। इसे ही कूटनीति की भाषा में स्ट्रैटजिक मैसेजिंग विद आउट एट्रिब्यूशन यानी न दोस्ती का डोल न बयानबाजी पर बस सीधा संकेत कि भारत को अकेला मत समझो। ट्रंप का टैरिफ आ गया लेकिन भारत शांत है। कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस या कोई ट्वीट वॉर नहीं। भारत ने पिछले तीन सालों में एक साइलेंट शील्ड तैयार कर ली है। रुपे-रुबल ट्रांसजक्शन के जरिए डॉलर को दरकिनार कर दूसरी मुद्रा में व्यापार करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा बहुस्तरीय ट्रेड नेटवर्क के जरिए भारत अब यूएई-सऊदी अरब, अफ्रीका, मध्य एशिया के साथ गहरे व्यापारिक रिश्ते बना चुका है। यानी कोई एक दरवाजा बंद होगा तो दस नए दरवाजे खुलेंगे। स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व यानी रूस से सस्ते खरीदे गए तेल भारत अपने एसपीआर में स्टोर कर रहा। युद्ध जैसे हालात में भी 60 दिनों की एनर्जी सिक्योरिटी, 14 टेक्नोलॉजी डील और जहां अमेरिका रोक लगा रहा है वहीं भारत जापान, फ्रांस, रूस, यूएई  के साथ मिलकर डील कर रहा है। 

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रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ के प्रस्ताव वाला बिल अमेरिकी संसद में लंबित है। यह बिल रिपब्लिकन लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेटिक रिचर्ड ब्लूमेंथल बिल लाए हैं। इसे 100 में से 85 सीनेटरों का समर्थन है। इस पर सितंबर या अक्टूबर में वोटिंग होगी। रिब्लिकन और डेमोक्रेटिक सीनेटर रूस के साथ ट्रेड करने वाले देशों पर कड़े प्रतिबंधों के पक्षधर हैं। इसे सेकंडरी टैरिफ का नाम दिया जा रहा है। यानी टैरिफ के अतिरिक्त दंडात्मक रूप से टैरिफ लगाया जाना प्रस्तावित है। पहली बार ट्रम्प ने पुतिन पर कड़ा फैसला कियाः एशिया पैसेफिक फाउंडेशन के सीनियर फेलो माइकल कुगलमैन ने कहा, भारत और रूस के बीच सैन्य साजोसामान और तेल की खरीद पर ट्रम्प ने पहली बार कोई कड़ा फैसला किया है। ट्रम्प ने रूस फैक्टर के मद्देनजर भारत पर पैनल्टी लगाई है। इस मौके पर ट्रम्प की यह घोषणा एक तरीके से भारत के लिए बड़े झटके के समान है, क्योंकि भारत और अमेरिका पिछले कुछ समय से और नजदीक आ रहे हैं। खासतौर पर तब जबकि ट्रम्प के पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बीच बेहद नजदीकी संबंध थे। 

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