चीन की सेना को लेकर अमेरिका के टॉप जनरल ने दी चेतावनी, 5 प्वाइंट्स में PLA के स्ट्रैटजिक लक्ष्य के बारे में जानें
जनरल मार्क मिले अमेरिका के संयुक्त प्रमुखों के अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने पेंटागन के लिए कांग्रेस से अधिक धन की मांग की थी।
अमेरिका के शीर्ष जनरल ने कहा है कि चीन और रूस "नियम-आधारित वर्तमान वैश्विक व्यवस्था" को बदलने पर आमादा हैं। जनरल मार्क मिले अमेरिका के संयुक्त प्रमुखों के अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने पेंटागन के लिए कांग्रेस से अधिक धन की मांग की थी। उन्होंने कहा कि ये पैसा एक ऐसे युग के लिए है जहां प्रमुख शक्तियों के बीच बड़े पैमाने पर युद्ध की संभावना है। हम एक ऐसी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं जो अधिक अस्थिर होती जा रही है, और महान शक्तियों के बीच महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संघर्ष की संभावना बढ़ रही है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार मिले ने कहा, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से न केवल यूरोपीय शांति और स्थिरता बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता को खतरा है, जिसकी रक्षा के लिए मेरे माता-पिता और अमेरिकियों की एक पीढ़ी ने बहुत संघर्ष किया। कई रिपब्लिकन और कुछ उदारवादी डेमोक्रेट सांसदों ने अमेरिका के शीर्ष जनरल मार्क मिले के बयान का समर्थन किया है। रक्षा विभाग को मुद्रास्फीति के हिसाब से और अधिक बजट दिए जाने की बात कही है। यूक्रेन में युद्ध और मिले की चेतावनियाँ केवल अमेरिकियों को सुरक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगी।
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चीनी सेना की तैयारियों के छह प्रमुख बिंदु
चीन का लक्ष्य है अमेरिका
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने खुद को हिंद-प्रशांत में प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है। जिसके लिए उसे पहले से इस पोजीशन पर कायम अमेरिका को विस्थापित करना होगा। चीन इस काम में अपनी सेना को ऐसा करने के प्राथमिक साधनों में से एक के रूप में देखता है। चीन अपनी नौसेना के अपग्रेडेशन के सभी प्रयास कर रहा है। उसने नए सतही लड़ाकू विमानों के निर्माण, पनडुब्बियों को उन्नत करने और एयरक्रॉफ्ट करियर कार्यक्रम विकसित करने में लगाए हैं।
सैन्य बजट बढ़ाने पर जोर
कुल खर्च के मामले में चीन अभी भी अमेरिका से काफी पीछे है (इस अनुमान के अनुसार आधे से भी कम)। लेकिन एक महत्वपूर्ण चेतावनी यह है कि अमेरिका वैश्विक उपस्थिति बनाए रखता है और पूरी दुनिया में सैन्य संपत्ति रखता है। चीन की सेना स्थानीय तौर पर अपने ही क्षेत्र में एक्टिव है। चीन लगातार अपने रक्षा बजट में भी इजाफा कर रहा है।
चीन की सेना के पास अमेरिकी सेना की तरह युद्ध के अनुभव की कमी
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से लगातार अमेरिकी सेना दुनिया भर में संघर्षों में शामिल रही है। जबकि चीन की सेना का युद्ध का कई दशकों से कोई अनुभव नहीं है। इसलिए तकनीक और सैन्य खर्च वास्तव में महत्वपूर्ण हो जाता है। लेकिन एक जगह जहां चीन वास्तव में आगे नहीं बढ़ सकता, वो है फील्ड अनुभव की कमी। जबकि अमेरिका सेना के लगभग सभी जनरल किसी न किसी युद्ध के दौरान फील्ड पर काम कर चुके हैं। इसके मुकाबले चीन के कई जनरल तो बिना कोई गोली चलाए रिटायर भी हो चुके हैं।
चीन और रूस सहयोगी नहीं
चीन और रूस अमेरिका के खिलाफ भले ही साझेदार के रूप में एक साथ काम करते हो, लेकिन दोनों देश प्राकृतिक सहयोगी नहीं हैं। उस तरह से सहयोगी नहीं हैं जैसे हम पारंपरिक रूप से अमेरिकी प्रणाली में सहयोगियों के बारे में सोचते हैं। इसकी कुछ झलक यूक्रेन युद्ध के दौरान भी देखने को मिल रही है। -यूक्रेन पर रूस के खिलाफ पश्चिमी देश प्रभावी रूप से एकजुट हो गए हैं, लेकिन चीन इस मामले में रूस से एक हाथ की दूरी पर बना हुआ है।
चीन की नौसेना के विकास पर नजर
चीन अपनी नौसेना को तेजी से ताकतवर बना रहा है। चीन जल्द ही अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर लॉन्च करने जा रहा है। इस कैरियर में विमानों के उड़ान भरने के लिए स्कीजंप की जगह कैटापल्ट सिस्टम होगा। चीन अपने एयरक्राफ्ट कैरियरों को ताकत देने के लिए न्यूक्लियर रिएक्टर विकसित कर रहा है।
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