मिसाइल पर बांध दिए बम के गुच्छे और फिर...दुनिया में जो किसी ने नहीं किया वो ईरान ने कर दिया

हाइफा पर ईरानी सेना ने एक के बाद एक कई मिसाइल दागे। इन हमलों में हाइफा में 23 लोग घायल हुए और तीन की हालत गंभीर है। हालांकि इजरायली सेना का दावा है कि उसने 16 ईरानी मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर मार गिराया। ईरान ने पहली बार इस जंग में क्लस्टर बम का उपयोग किया और इजराइल के रिहाइशी इलाकों में इस बम लैंस मिसाइल दागी। आईडीएफ ने इस बम के इस्तेमाल की पुष्टि की है।
ईरान ने इजरायल पर वैसे तो कई हमले किए हैं। लेकिन सबसे तगड़ा हमला 20 बैलेस्टिक मिसाइलों से किया। इजरायली डिफेंस फोर्स के मुताबिक 19 जून को ईरान ने अजोर शहर पर 20 बैलेस्टिक मिसाइस से हमला किया। इसमें से एक मिसाइल के वॉरहेड में क्लस्टर बम थे। ये जमीन से हवा में छूटा और उसमें से 20 छोटे छोटे बम निकले जो लगभग 8 किलोमीटर के दायरे में फैल गए। ये ऐसे बम हैं जो इजरायल में तबाही मचा रहे हैं। इनके बारे में कहा जा रहा है कि ये तुरंत नहीं फटते बल्कि सालों बाद भी फट जाते हैं।
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ईरान ने इजरायल में मचाई तबाही
हाइफा पर ईरानी सेना ने एक के बाद एक कई मिसाइल दागे। इन हमलों में हाइफा में 23 लोग घायल हुए और तीन की हालत गंभीर है। हालांकि इजरायली सेना का दावा है कि उसने 16 ईरानी मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर मार गिराया। ईरान ने पहली बार इस जंग में क्लस्टर बम का उपयोग किया और इजराइल के रिहाइशी इलाकों में इस बम लैंस मिसाइल दागी। आईडीएफ ने इस बम के इस्तेमाल की पुष्टि की है।
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क्लस्टर बम क्या है, कितना है खतरनाक ?
क्लस्टर बम एक ऐसा खतरनाक हथियार है, जिसे कई छोटे बमों को एक बड़े इलाके में छोड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। यह बम लक्ष्य पर अन्य मिसाइल बमों की तरह सीधे जाकर फटने की बजाय बीच हवा में खुल जाता है और पूरे इलाके पर छोटे छोटे बम गिराकर बड़ी तबाही मचाता है। क्लस्टर बमों को ज्यादातर ऊंचाई पर ही विस्फोट किया जाता है, ताकि ज्यादा बड़े इलाके में नुकसान हो। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में यह और भी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं।
क्लस्टर बम दूसरे बमों से क्यों अलग हैं?
क्लस्टर बम से उन आम नागरिकों या घायलों की मदद करने वालों को भी नुकसान पहुंचता है, जो युद्ध में शामिल नहीं हैं। दरअसल, कई क्लस्टर बम हमले के समय नहीं फटते हैं, लेकिन जब कोई भी व्यक्ति गिरने के बाद इन बमों से छेड़छाड़ करता है तो बम फट सकते हैं। युद्ध की स्थिति में कई बम बिना फटे रह जाते हैं और जब आम नागरिक या बचाव दल उनके संपर्क में आते हैं तो बम फट जाते हैं। इससे उन लोगों को नुकसान होता है, जो युद्ध में शामिल नहीं हैं या युद्ध में घायल हुए लोगों की मदद के लिए आए हैं।
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