अमेरिका में एक दिन में 1,900 से अधिक कोरोना मरीजों की मौत, वैक्सीन न लेने वालों को बना रहा निशाना

Cases of corona increase in America

अमेरिका में कोरोना वायरस से मार्च के बाद से पहली बार एक दिन में औसतन 1,900 से अधिक मरीजों की मौत हुई है। देश के राष्ट्रपति जो बाइडन कोविड-19 की इस जानलेवा लहर से निपटने में मदद के लिए लोगों से घर पर संक्रमण की जांच करने का अनुरोध कर रहे हैं।

वाशिंगटन। अमेरिका में कोरोना वायरस से मार्च के बाद से पहली बार एक दिन में औसतन 1,900 से अधिक मरीजों की मौत हुई और विशेषज्ञों का कहना है कि यह संक्रमण एक अलग समूह यानी टीके की खुराक न लेने वाले 7.1 करोड़ अमेरिकियों को अपना निशाना बना रहा है। देश के राष्ट्रपति जो बाइडन कोविड-19 की इस जानलेवा लहर से निपटने में मदद के लिए लोगों से घर पर संक्रमण की जांच करने का अनुरोध कर रहे हैं। महामारी के कारण अस्पताल क्षमता से अधिक भरे पड़े हैं और देशभर में स्कूलों के बंद होने का खतरा पैदा हो गया है। स्प्रिंगफील्ड-ब्रैनसन इलाके में कॉक्सहेल्थ अस्पतालों में एक हफ्ते में ही 22 लोगों की मौत हो गयी। पश्चिमी वर्जीनिया में सितंबर के पहले तीन हफ्तों में 340 लोगों की मौत हो चुकी है। जॉर्जिया में हर दिन 125 मरीज जान गंवा रहे हैं जो कैलिफोर्निया या किसी अन्य घबी आबादी वाले राज्य से अधिक है।

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जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक, अब अमेरिका की करीब 64 प्रतिशत आबादी ने कोविड-19 रोधी टीके की कम से कम एक खुराक ले ली है। पिछले दो हफ्तों में हर दिन औसतन जान गंवाने वाले मरीजों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले और जान गंवाने वाले लोगों की बड़ी तादाद टीका न लगवाने वाले लोगों की है। अमेरिका के कई हिस्सों में दवा की दुकानों में जांच किट खत्म होती दिखायी दे रही है और दवा निर्माताओं ने आगाह किया कि इसका उत्पादन बढ़ाने में उन्हें हफ्तों का वक्त लगेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मियों के बाद से जांच की कम होती भूमिका, संक्रमण के कम होते मामलों और टीकाकरण की बढ़ती दर ने लोगों को लापरवाह कर दिया। साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह सलाह दी कि टीका लगवा चुके लोग जांच से बच सकते हैं।

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अधिकारियों ने डेल्टा स्वरूप के कारण संक्रमण और मौत के मामले बढ़ने पर इस सलाह को वापस ले लिया था। अमेरिका ने घर पर रैपिड जांच करने की तकनीक को अपनाने में अधिक जांच परख कर कदम उठाया है जबकि ब्रिटेन जैसे देशों ने इसे व्यापक रूप से लागू किया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने ऐसी करीब छह जांचों को मंजूरी दी है। एफडीए समेत कई विशेषज्ञ अब भी प्रयोगशाला में होने वाली जांच को अधिक उपयुक्त मानते हैं क्योंकि इससे संक्रमण के कम से कम स्तर का भी पता चल जाता है। बहरहाल, बाइडन ने इस महीने अपने भाषण में रैपिड जांच पर जोर देते हुए कहा था कि सरकार 28 करोड़ जांच किट खरीदेगी और साथ ही उन्होंने सभी स्कूलों से नियमित जांच कार्यक्रम चलाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संघीय सरकार रक्षा उत्पादन अधिनियम का इस्तेमाल करेगी ताकि दवा निर्माताओं को जांच किट बनाने के लिए आवश्यक कच्चा माल मिल सकें।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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