चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत यात्रा पर आएंगे, सीमा विवाद पर हो सकती है बात

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[email protected] । Dec 5 2019 2:29PM

चीन के विदेश मंत्री एवं स्टेट काउंसिलर वांग यी सीमावार्ता करने इस महीने भारत की यात्रा पर आएंगे।चीन के नेता वांग यी भारत को आरसीईपी से बाहर होने के अपने निर्णय की समीक्षा के लिए मनाने का प्रयास करेंगे। वह इसके साथ ही भारत को प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर उसकी चिंताओं के समाधान की पेशकश कर सकते हैं।

नयी दिल्ली। चीन के विदेश मंत्री एवं स्टेट काउंसिलर वांग यी सीमावार्ता करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक में हुए प्रमुख निर्णयों के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए इस महीने भारत की यात्रा पर आएंगे। यह जानकारी कूटनीतिक सूत्रों ने बुधवार को पीटीआई को दी। सूत्रों ने बताया कि वांग की विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत के दौरान चीन समर्थित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर भारत की प्रमुख चिंताएं मुख्य तौर पर उठने की उम्मीद है।

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माना जा रहा है कि चीन के नेता वांग यी भारत को आरसीईपी से बाहर होने के अपने निर्णय की समीक्षा के लिए मनाने का प्रयास करेंगे। वह इसके साथ ही भारत को प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर उसकी चिंताओं के समाधान की पेशकश कर सकते हैं। मोदी और शी के बीच गत अक्टूबर में मामल्लापुरम में अनौपचारिक शिखर बैठक के साथ ही भारत के बैंकाक में हाल में आयोजित आरसीईपी बैठक के बाद भारत के आरसीईपी से बाहर होने के निर्णय के बाद चीन के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा होगी।

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एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि वांग की यात्रा का एजेंडा विस्तृत होगा। सूत्र ने बताया कि यात्रा की तिथि जल्द घोषित की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि वांग भारत की यात्रा मुख्य तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ सीमावार्ता करने के लिए कर रहे हैं। यद्यपि वह और जयशंकर के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और परस्पर हित के वैश्विक मुद्दों पर चर्चा भी करेंगे। डोभाल और वांग सीमावार्ता के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि हैं।

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सूत्रों ने कहा कि उम्मीद है कि दोनों पक्ष शिखर बैठक के दौरान किये गए निर्णयों के क्रियान्वयन की समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि जयशंकर और वांग के बीच बैठक के दौरान आरसीईपी को लेकर भारत की मूल चिंताओं पर चर्चा किये जाने की उम्मीद है क्योंकि समूह के कई देशों ने नयी दिल्ली को व्यापार समूह में वापस लाने के प्रयास तेज कर दिये हैं। वर्षों की चर्चा के बाद भारत पिछले महीने प्रस्तावित आरसीईपी से ‘‘मूल चिंताओं’’ का समाधान नहीं होने को लेकर बाहर हो गया था। भारत ने समूह की आयोजित बैठक में कहा था कि प्रस्तावित समझौते का वर्तमान स्वरूप भारतीयों के आजीविका और जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

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सूत्रों ने कहा कि वांग और जयशंकर अपनी बातचीत के दौरान मोदी..शी शिखर बैठक के दौरान लिये गए निर्णयों के क्रियान्वयन की समीक्षा भी करेंगे। दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक के महत्वपूर्ण परिणामों में व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक नये उच्च स्तरीय तंत्र की स्थापना, रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को बढावा देना और अतिरिक्त विश्वास बहाली उपायों पर काम करना शामिल था। वांग विशेष प्रतिनिधि वार्ता के लिए गत सितम्बर में भारत की यात्रा पर आने वाले थे लेकिन यात्रा तब टल गई थी।

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दोनों पक्षों के बीच विशेष प्रतिनिधि वार्ता रूपरेखा के तहत 20 से अधिक दौर की वार्ता पहले ही हो चुकी हैं। विशेष प्रतिनिधि वार्ता की शुरूआत सीमा विवाद का जल्द हल निकालने के लिए की गई थी। भारत..चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा शामिल है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है, भारत इसे खारिज करता है। दोनों पक्ष इस पर जोर दे रहे हैं कि सीमा मुद्दे का अंतिम हल होने तक सीमा क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है।

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