श्रीलंका में जिनपिंग का जासूस, 11 अगस्त को हंबनटोटा में तैनात होगा चाइनीज शिप, ड्रैगन की समुंद्री चाल से भारत अलर्ट

Chinese ship
अभिनय आकाश । Jul 30 2022 1:29PM

श्रीलंका के हंबनटोटा में चीनी साजिश को लेकर जानकारी सामने आई है। चीनी प्रोजेक्ट पर नजर रखने वाले संगठन बीआरआईएसएल ने दावा किया है कि चीन का शिप हंबनटोटा पहुंचने वाला है। हालांकि श्रीलंका ने इससे इनकार किया है।

जासूसी के मामले में माओ का मुल्क पीछे नहीं है। दुनिया में सबसे ज्यादा जासूस चीन के फैले हुए हैं। करीब हर मुल्क में चीन के जासूस हैं। मोबाइल से, सैटेलाइट से, जमीन से, आसमान से चीन हर तरह से जासूसी करता है। इसी तर्ज पर बीजिंग की एक और गुस्ताखी सामने आई है। चीन अपने जासूसी जहाज को श्रीलंका भेज रहा है। 11 अगस्त को चाइनीज शिप श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचेगा। चीन का दावा है कि इसका मकसद हिंद महासागर में रिसर्च और डेटा एकट्ठा करना है। लेकिन ड्रैगन की कथनी और करनी में फर्क के बारे में सभी को पता है। एलएसी के हर मोर्चे पर मात खाने के  बाद बीजिंग ने साजिशों का नया-ताना बाना बुनना शुरू कर दिया है। 

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श्रीलंका के हंबनटोटा में चीनी साजिश को लेकर जानकारी सामने आई है। चीनी प्रोजेक्ट पर नजर रखने वाले संगठन बीआरआईएसएल ने दावा किया है कि चीन का शिप हंबनटोटा पहुंचने वाला है। हालांकि श्रीलंका ने इससे इनकार किया है। वहीं हिन्दुस्तान की तरफ से शिप पर नजरें बनी हुई है। भारत की आपत्ति को लेकर चीन की तरफ से प्रतिक्रिया भी सामने आई है। चीन ने  कहा कि उसे उम्मीद है कि "प्रासंगिक पक्ष" उसकी वैध समुद्री चिंता गतिविधियों में हस्तक्षेप करने से परहेज करेंगे। बता दें कि नई दिल्ली ने भारत के दक्षिणी पड़ोसी श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी सैन्य जहाज की योजनाबद्ध यात्रा को लेकर आपत्ति जताई थी। 

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भारत को चिंता है कि चीन द्वारा निर्मित और पट्टे पर दिए गए हंबनटोटा बंदरगाह का इस्तेमाल चीन भारत के पिछवाड़े में सैन्य अड्डे के रूप में करेगा। 1.5 अरब डॉलर का बंदरगाह एशिया से यूरोप के मुख्य शिपिंग मार्ग के पास है। Refinitiv Eikon के शिपिंग डेटा से पता चला है कि चीनी अनुसंधान और सर्वेक्षण पोत युआन वांग 5 हंबनटोटा के रास्ते में था और 11 अगस्त को हंबनटोटा आना वाला है। ऐसे समय में जब श्रीलंका सात दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। भारत ने अकेले इस वर्ष श्रीलंका को लगभग 4 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की है। 

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