भारतीय मूल के पादरी को इंग्लैंड में बिशप नियुक्त किया गया

Church Bishop

केरल में जन्मे साजू ने बेंगलुरु में दक्षिणी एशिया बाइबिल कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने विक्लिफ हॉल, ऑक्सफोर्ड में मिनिस्ट्री के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने ब्लैकबर्न सूबे में सेंट थॉमस, लैंकेस्टर में अपनी सेवा दी जिसके बाद 2009 में इंग्लैंड के चर्च में उन्हें पादरी नियुक्त किया गया।

लंदन| दक्षिण भारत के सीरियन ऑर्थोडॉक्स चर्च में पले-बढ़े भारतीय मूल के एक पादरी को मध्य इंग्लैंड में लॉफबोरो का नया बिशप नियुक्त किया गया है। रेवरेंड मलयिल लुकोस वर्गीस मुथलली दक्षिणी इंग्लैंड के रोचेस्टर में स्थित सेंट मार्क गिलिंगम चर्च के पादरी हैं।

उन्हें साजू के नाम से जाना जाता है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान के मुताबिक लीसेस्टरडायोसी के रूप में साजू की नियुक्ति को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा अनुमोदित किया गया है।

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डाउनिंग स्ट्रीट की ओर से जारी बयान के मुताबिक महारानी ने सेंट मार्क गिलिंगम चर्च के पादरी रेवरेंड मलयिल लुकोस वर्गीस मुथलली (साजू) को लॉफबोरो का नया बिशप नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।

केरल में जन्मे साजू ने बेंगलुरु में दक्षिणी एशिया बाइबिल कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने विक्लिफ हॉल, ऑक्सफोर्ड में मिनिस्ट्री के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने ब्लैकबर्न सूबे में सेंट थॉमस, लैंकेस्टर में अपनी सेवा दी जिसके बाद 2009 में इंग्लैंड के चर्च में उन्हें पादरी नियुक्त किया गया।

साजू इंग्लैंड के किसी चर्च में बिशप नियुक्त होने वाले सबसे युवा बिशप होंगे, जब अगले वर्ष 42 साल की उम्र में उनकी नियुक्ति होगी।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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