भारत की इस महिला ने मचाया पाकिस्तान में हड़कंप, लाल किले पर दिखी शाहिदा परवीन हैं कौन?

Shahida Parveen
ANI
अभिनय आकाश । Nov 14 2025 8:59AM

शाहिदा परवीन गांगुली 1997 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने एक निडर कानून प्रवर्तन अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक साधारण मुस्लिम परिवार में जन्मी शाहिदा आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों से पार पाकर राज्य की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनीं।

दिल्ली धमाके के बाद भारत की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने पाकिस्तान के परखच्चे उड़ा दिए हैं। भारत में हो रहे एक्शन से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। तो वहीं कट्टरपंथी ब्रिगेड की टांगे तोड़ने के लिए भारत ने तैयारी भी शुरू कर दी है। जिनसकी बानगी दिखते ही 25 करोड़ पाकिस्तानी और उनके आका खौफ में है। एक महिला जिसने मुनीर और शहबाज से लेकर जैश के आतंकियों की नींदें उड़ा दी है। यह महिला लश्कर के आतंकियों की काल है। लाल किले के पास विस्फोट वाली जगह पर इन्वेस्टिगेशन कर रही इस महिला का नाम शाहिदा परवीन गांगुली है। ये जम्मू कश्मीर की पहली महिला आईपीएस अधिकारी और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट है। बता दें कि शाहिदा को एक लेडी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से जम्मू कश्मीर में जाना जाता है। साथ ही साथ जम्मू कश्मीर में इन्हें लेडी सिंघम के नाम से भी जाना जाता है।

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शाहिदा परवीन गांगुली कौन हैं?

शाहिदा परवीन गांगुली 1997 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने एक निडर कानून प्रवर्तन अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक साधारण मुस्लिम परिवार में जन्मी शाहिदा आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों से पार पाकर राज्य की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनीं। "लेडी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट" और "जम्मू-कश्मीर की लेडी सिंघम" के नाम से मशहूर, उन्हें आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनके साहस और घाटी में आतंकी मॉड्यूल को ध्वस्त करने में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है।

मुश्किलों के बावजूद उठ खड़ा होना

लगभग 1970 में जन्मी, शाहिदा छह भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। उनके पिता, जो एक स्थानीय व्यवसायी थे, का निधन जब वह सिर्फ़ चार साल की थीं, तब हो गया, जिससे परिवार आर्थिक तंगी में आ गया। उनकी माँ के दृढ़ संकल्प ने सीमित संसाधनों के बावजूद, उनके सभी छह बच्चों को शिक्षा दिलाने में मदद की। आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में पली-बढ़ी, शाहिदा को अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। पुलिस में अपना करियर बनाने के दृढ़ संकल्प के साथ, उन्होंने 1994 में गुप्त रूप से सब-इंस्पेक्टर के पद के लिए आवेदन किया। उधमपुर पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण के बाद, वह 1995 में जम्मू और कश्मीर पुलिस में शामिल हो गईं, जहाँ उनकी पहली पोस्टिंग संघर्षग्रस्त राजौरी क्षेत्र में हुई।

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घटना स्थल पर पहुंची

दिल्ली ब्लास्ट केस में उनकी घटना स्थल पर मौजूदगी यह दर्शा रही है कि इस केस की जांच में शाहिदा परवीन आगे आने वाले दिनों में एक अहम भूमिका निभाने वाली है क्योंकि इस ब्लास्ट में जम्मू कश्मीर के पुलवामा से जुड़े संदिग्ध डॉक्टर उमर नबी भी शामिल था। ऐसे में वह घटना स्थल का मुआयना कर रही है। इतना ही नहीं फॉरेंसिक टीम के साथ-साथ जम्मू कश्मीर के पुराने आतंकी मॉड्यूल्स से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकती है। दरअसल वह वर्तमान में एक सुरक्षा और आतंकवाद विशेषज्ञ के तौर पर कार्य कर रही है। धमाके की खबर मिलने के बाद वह व्यक्तिगत रूप से घटना स्थल पर पहुंची ताकि वह जांच एजेंसियों के लिए तथ्यों का विश्लेषण कर सके और सुरक्षा एजेंसियों की पड़ताल को समझ सके। वो कई टीवी चैनल्स और पडकास्ट पर आतंकवाद और सुरक्षा के मुद्दों पर अपनी राय भी प्रकट करती रही है। देखना यह होगा कि अब उनकी भूमिका आगे आने वाले दिनों में कितनी महत्वपूर्ण साबित होती है। 

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