म्यांमा संकट को दूर करने के लिए एकीकृत रणनीति और अधिक धन की आवश्यकता : गुतारेस

Antonio Guterres
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गुतारेस ने कहा, ‘‘मैं म्यांमा में तेजी से बिगड़ते राजनीतिक, मानवीय और मानवाधिकार हालात को लेकर चिंतित हूं जिसमें राखिने राज्य की स्थिति और खराब अवस्था में रह रहे शरणार्थियों की पीड़ा शामिल है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने आसियान नेताओं द्वारा 2021 में बनायी गयी पांच सूत्रीय शांति योजना का समर्थन भी किया।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने गहराते म्यांमा संकट को दूर करने के लिए बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकीकृत रणनीति बनाने का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि घटती वित्तीय सहायता को बढ़ाकर उसके पुराने स्तर पर पहुंचाने की आवश्यकता है ताकि विश्व संगठन इस गहराते संकट से निपट सके। उन्होंने कहा कि 2022 में आसियान के नेताओं के साथ उनकी बैठक के बाद से म्यांमा में स्थिति और खराब हुई है। उन्होंने संकट से जूझ रहे देश की सैन्य सरकार से राजनीतिक बंदियों को तत्काल रिहा करने और लोकतांत्रिक शासन की वापसी के लिए मार्ग प्रशस्त करने की अपील की है।

म्यांमा की सेना ने ‘आंग सान सू ची’ की निर्वाचित सरकार से एक फरवरी, 2021 को सत्ता छीन ली और सू ची सहित उनकी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की सरकार के शीर्ष सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया।पार्टी ने 2020 के आम चुनावों में अभूतपूर्व जीत दर्ज करके नयी सरकार बनायी थी। गुतारेस ने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आसियान की बैठक में शामिल होने से पहले म्यांमा पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बात बृहस्पतिवार को उठायी। गुतारेस ने देशों के आपस में उलझने के कारण उत्पन्न विभिन्न मुद्दों पर चिंता जतायी।

उन्होंने कहा, ‘‘तमाम संकटों के कारण हमारी दुनिया टूटकर बिखरने की कगार पर पहुंच गई है... बिगड़ती जलवायु आपातकाल और बढ़ते युद्धों और संघर्षों से लेकर बढ़ती गरीबी, बढ़ती असमानताओं और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, आदि समस्याएं हैं।’’ गुतारेस ने कहा, ‘‘मैं म्यांमा में तेजी से बिगड़ते राजनीतिक, मानवीय और मानवाधिकार हालात को लेकर चिंतित हूं जिसमें राखिने राज्य की स्थिति और खराब अवस्था में रह रहे शरणार्थियों की पीड़ा शामिल है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने आसियान नेताओं द्वारा 2021 में बनायी गयी पांच सूत्रीय शांति योजना का समर्थन भी किया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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