ईरान ने संवर्धित यूरेनियम जखीरे की सीमा लांघी, ट्रम्प ने कहा-वह आग से खेल रहा है
ईरान ने मई में घोषित अपनी योजना के आधार पर 300 किलोग्राम की सीमा पार कर ली है।” अमेरिका ने पिछले साल परमाणु सौदे से खुद को अलग कर लिया था और ईरान के महत्वपूर्ण तेल निर्यात तथा वित्तीय लेन-देन और अन्य क्षेत्रों पर सख्त प्रतिबंध फिर से लगा दिए थे।
तेहरान। ईरान ने सोमवार को कहा कि उसने 2015 के परमाणु समझौते के तहत अपने संवर्धित यूरेनियम भंडार पर तय की गई सीमा पार कर ली है। अमेरिका द्वारा “अत्याधिक दबाव” बनाने के चलते यह समझौता खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। रूस ने इस बात पर खेद जताया है, लेकिन कहा कि यह अमेरिकी दबाव का नतीजा है। वहीं, ब्रिटेन ने ईरान से अपील की है कि वह ऐतिहासिक समझौते से, “इतर और कोई कदम न उठाए।’’ ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने अर्ध सरकारी संवाद समिति आईएसएनए से कहा, “ईरान ने मई में घोषित अपनी योजना के आधार पर 300 किलोग्राम की सीमा पार कर ली है।” अमेरिका ने पिछले साल परमाणु सौदे से खुद को अलग कर लिया था और ईरान के महत्वपूर्ण तेल निर्यात तथा वित्तीय लेन-देन और अन्य क्षेत्रों पर सख्त प्रतिबंध फिर से लगा दिए थे।
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ईरान ने समझौते को बचाने के लिए इसके अन्य साझेदारों पर दबाव बढ़ाने की कोशिश के तहत आठ मई को घोषणा की थी कि वह संवर्धित यूरेनियम और भारी जल भंडार पर लगाई गई सीमा को अब नहीं मानेगा। इसने साथ ही धमकी दी थी कि वह अन्य परमाणु प्रतिबद्धताओं को भी नहीं मानेगा जब तक कि समझौते के शेष साझेदार- ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी और रूस इन प्रतिबंधों से उसे छुटकारा नहीं दिलाते, खासकर तेल की बिक्री पर लगे प्रतिबंध से। सोमवार को प्रकाशित अपनी टिप्पणियों में जरीफ ने कहा कि ईरान ने अपनी मंशा मई में “बहुत स्पष्ट” तौर पर जाहिर कर दी थी। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने सोमवार को पुष्टि की कि ईरान ने वह सीमा लांघ ली है जो समझौते ने उसके कम संवर्धित यूरेनियम के भंडार पर लगाई थी।
प्रवक्ता ने कहा कि आईएईए ने, “एक जुलाई को पुष्टि की कि ईरान का संवर्धित यूरेनियम का कुल भंडार 300 किलोग्राम से अधिक हो गया है।” वियना में एक राजनयिक ने कहा कि ईरान ने अपने जखीरे में सीमा से दो किलोग्राम अधिक का इजाफा किया है। वैश्विक शक्तियों ने इस पर शीघ्र ही प्रतिक्रिया दी। रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि ईरान का कदम “खेदजनक” है लेकिन यह अमेरिका की ओर से बनाए गए “अभूतपूर्व दबाव” और “हालिया घटनाओं का नैसर्गिक परिणाम” है। रूसी संवाद समितियों ने रयाबकोव के हवाले से कहा, “किसी को भी स्थिति को नाटकीय नहीं बनाना चाहिए।”
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रूस ईरान का करीबी सहयोगी है और पूर्व में उसने समझौते के यूरोपीय हस्ताक्षरकर्ताओं से अमेरिका के अलग हो जाने के बावजूद समझौते का सम्मान करने की अपील की थी। ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेरेमी हंट ने ट्विटर पर कहा कि लंदन “अत्यंत चिंतित” है। उन्होंने ईरान से 2015 के परमाणु समझौते की शर्तों से इतर कोई भी कदम नहीं उठाने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिटेन क्षेत्रीय तनाव को कम करने के लिए सभी कूटनीतिक तरीकों का उपयोग कर समझौते को बरकरार रखने को लेकर प्रतिबद्ध है। मैं ईरान से इसके इतर और कोई कदम नहीं उठाने की तथा ‘अनुपालन की ओर लौटने’ की अपील करता हूं।” यूरोपीय संघ ने सौदे को बचाने के मकसद से की गई बैठक के बाद शुक्रवार को कहा कि प्रतिबंधों से पार पाने में ईरान की मदद के लिए स्थापित विशेष भुगतान प्रक्रिया जिसे ‘इनस्टेक्स’ के नाम से जाना जाता है, वह अंतत: शुरू कर दी गई है। इसने यह भी कहा कि पहले अंतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
जरीफ ने कहा कि लेकिन, “यूरोपीय संघ के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, इसलिए ईरान अपने घोषित कदमों के साथ आगे बढ़ेगा।’’ उन्होंने कहा, “इनस्टेक महज उनकी प्रतिबद्धताओं की शुरुआत है, जिसे अब तक पूरी तरह लागू नहीं किया गया है। वर्ष 2015 में हुए इस सौदे के तहत ईरान ने कभी भी परमाणु बम नहीं रखने, उसके परमाणु कार्यक्रम पर लगाई गई कठोर सीमाओं को मानने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को आंशिक रूप से हटाए जाने के बदले में आईएईए को निरीक्षण करने देने की प्रतिबद्धता जताई थी। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के आठ मई, 2018 को समझौते से पीछे हट जाने और बाद में प्रतिबंध लगाने से ईरान को वे फायदे नहीं मिले जिसकी उसे अपेक्षा थी और वह मंदी में डूब गया। अमेरिका के अलग होने के ठीक एक साल बाद ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि ईरान कम संवर्धित यूरेनियम और भारी जल के अपने भंडार पर लगी सीमा को अस्थायी रूप से हटा रहा है। साथ ही ईरान ने धमकी दी कि वह सात जुलाई से 3.67 प्रतिशत की अधिकतम संवर्धन स्तर पर बनी सहमति से ऊपर के स्तर पर यूरेनियम संवर्धन शुरू करेगा।
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