जापान के प्रधानमंत्री Fumio Kishida ने फुकुशिमा संयंत्र का दौरा किया

Kishida
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उन्हें उम्मीद है कि उनके मंत्री अगले सप्ताह एक बैठक में पानी छोड़े जाने की शुरुआत करने की तारीख तय करने से पहले सोमवार को मछली पकड़ने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात करेंगे। इस बात की उम्मीद है कि अगस्त के आखिर में इसकी शुरुआत होगी।

तोक्यो। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने रविवार को सुनामी से क्षतिग्रस्त फुकुशिमा परमाणु संयंत्र का दौरा किया और कहा कि प्रशांत महासागर में उपचारित रेडियोधर्मी अपशिष्ट जल छोड़ने का आसन्न कार्य स्थगित नहीं किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुरक्षित कदम है, लेकिन उनकी सरकार दशकों पुरानी परियोजना के दौरान मछली पकड़ने वाले समुदायों को नुकसानदायक अफवाहों के संभावित प्रभावों से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।

जापान के प्रधानमंत्री ने कैंप डेविड स्थित ‘अमेरिकी प्रेशिडेंशियल रिट्रीट’ में अमेरिका एवं दक्षिण कोरिया के नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेकर वापस लौटने के कुछ ही घंटे बाद फुकुशिमा संयंत्र का दौरा किया। वाशिंगटन से रवाना होने से पहले शुक्रवार को किशिदा ने कहा था कि उपचारित पानी छोड़ने को लेकर विवाद की वजह से उसकी तारीख तय नहीं की गयी है, लेकिन अब तारीख निर्धारित करने पर फैसला लेने का यह उपयुक्त समय है। किशिदा ने रविवार को अपशिष्ट जल को फिल्टर करने और तनुकरण (डायल्यूशन) की सुविधाओं का मुआयना किया तथा संयंत्र एवं कंपनी के अधिकारियों से मुलाकात की तथा इस काम को सुरक्षित रूप से करने की उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके मंत्री अगले सप्ताह एक बैठक में पानी छोड़े जाने की शुरुआत करने की तारीख तय करने से पहले सोमवार को मछली पकड़ने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात करेंगे। इस बात की उम्मीद है कि अगस्त के आखिर में इसकी शुरुआत होगी। किशिदा ने कहा कि पानी छोड़ना एक दीर्घकालिक परियोजना है और वह मछली पकड़ने वाले स्थानीय समूहों की चिंताओं और जरूरतों की पहचान करने के महत्व से अवगत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि मैं सरकार की स्थिति सीधे मत्स्य पालन प्रतिनिधियों को बता सकूंगा।’’ जापान सरकार ने दो साल पहले पानी छोड़े जाने की योजना की घोषणा की थी। उसके बाद से ही सरकार को जापान के मछुआरों के संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। दक्षिण कोरिया और चीन के समूहों ने भी इसे राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दा बनाते हुए चिंता जताई है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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