तख्तापलट की आशंका या खराब सेहत है वजह, पिछले 650 दिनों से जिनपिंग ने क्यों नहीं रखा देश से बाहर कदम?

Jinping
अभिनय आकाश । Nov 6 2021 4:29PM

पिछले हफ्तों जब दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओँ के नेता रोम में जी20 की शिखर बैठक के लिए मिले तो चीन के राष्ट्रपति इस बैठक से नदारद थे। इसके ठीक बाद ब्रिटेन के शहर ग्लासगो में क्लाइमेट समिट में भी उन्हें नहीं देखा गया।

एक ऐसा राष्ट्रपति जो अपने देश को भविष्य में सुपरपावर के रूप में देखता है और दो साल पहले तक 12 महीनों में दुनिया के 13-14 देशों की यात्रा कर लेता था। अभी बाहर निकलने से गुरेज कर रहा है। कई महीने से चीन नहीं छोड़ने पर जिनपिंग को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 21 महीने से देश से बाहर नहीं गए हैं। ग्लासगो वर्चुअल समिट में भी शामिल नहीं होने के लिए बहाना बनाया। शी जिनपिंग कहां हैं ये हर कोई जानना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति के समिट में शामिल नहीं होने को लेकर बचकाना जवाब सामने आया कि उन्हें वीडियो लिंक नहीं मिला, हालांकि फिर चीन को सफाई भी देनी पड़ी। बाद में साफ हो गया कि वीडियो लिंक तो भेजा गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जिनपिंग गंभीर रूप से बीमार हैं। उन्हें चलने और बैठने में दिक्कत है। कहा जा रहा है कि मुल्क के कई अरबपति बिजनेसमैन के खिलाफ कार्रवाई की वजह से वो निशाने पर हैं।

ग्लासगो  के क्लाइमेट समिट से भी नदारद

पिछले हफ्तों जब दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओँ के नेता रोम में जी20 की शिखर बैठक के लिए मिले तो चीन के राष्ट्रपति इस बैठक से नदारद थे। इसके ठीक बाद ब्रिटेन के शहर ग्लासगो में क्लाइमेट समिट में भी उन्हें नहीं देखा गया। ग्लासगो समिट पर्यावरण के बारे में था। लेकिन इस मंच से चीन का सर्वोच्च नेता गायब था। चीन का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री वांग ये ने किया। 

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जी 20 से किनारा

शी जिनपिंग ने कोरोना का बहाना लेकर जी20 शिखर सम्मेलन में वर्चुअली शामिल होने का फैसला लिया। जिनपिंग ने कहा कि चीन में रहकर वर्चुअली कोरोना वायरस पर फोकस करना चाहते हैं। लेकिन सच्चाई जिनपिंग के बयान से काफी अलग है। जी 20 की बैठक में ग्लोबल कारपोरेट टैक्स, ग्लोबल सप्लाई चेन की मरम्मत, कोरोना वायरस वैक्सीन सप्लाई और पर्यावरण को नष्ट होने से बचाने के कदमों पर विचार हुए। 

कितनी हकीकत, कितना अफवाह

पार्टी में बढ़ रहा विरोध: अपनी ही पार्टी में जिनपिंग विरोधियों के निशाने पर हैं जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें गद्दी छिनने का डर है। ये भी जानकारी आ रही है कि कोरोना को लेकर उनका विरोध कहीं न हो जाए, जहां भी वो जाए। इस विरोध से बचने के लिए वो कहीं जाना नहीं चाह रहे। जिनपिंग की पार्टी की इसी महीने एक बड़ी बैठक होने वाली है। अलीबाबा के जैक मा और दूसरे कई अरबपति बिजनेसमैन के खिलाफ कार्रवाई की वजह से वो निशाने पर हैं। माना जा रहा है कि जिनपिंग का पार्टी में ही विरोध बढ़ता जा रहा है। जिस वजह से सियासी रूप से भी वो कमजोर होते जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तख्तापलट के डर से जिनपिंग 650 दिनों से देश से बाहर नहीं गए और बीजिंग में ही डेरा जमाए हुए हैं। जिनपिंग ने 18 जनवरी 2020 के बाद से देशनहीं छोड़ा है। जनवरी में जिनपिंग आखिरी दौरे पर म्यांमार गए थे।

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बीमार हैं जिनपिंग: कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि 2019 में जिनपिंग के इटली, मोनाको और फ्रां दौरे के दौरान खराब सेहत की झलक नजर आई थी। जिसके पीछे ये दलील दी गई कि गार्ड ऑफ ऑनर के निरीक्षण के वक्त जिनपिंग लड़खड़ाते दिखे थें। वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति संग वार्ता के दौरान भी बैठने के लिए कुर्सी को पकड़ कर सहारा लिया था। इसके साथ ही इकोनॉमिक जोन की स्थापना कार्यक्रम में उन्हें बार-बार खांसते और पानी पीते नजर आए। 

टेलीफोन वार्ता पर जोर

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीनी राष्ट्रपति काफी लंबे वक्त से किसी विदेशी राजनेता से नहीं मिले हैं। ऐसे किसी विदेशी राजनेता का दौरा नहीं हो रहा है जिनका जिनपिंग से मुलाकात का कार्यक्रम हो। किसी दूसरे देश के नेता चीन आ भी रहे हैं तो बीजिंग को छोड़ दूसरे शहर पहुंच रहे हैं। ऐसे में चीन का कोई दूसरा मंत्री उनसे मुलाकात करता है और राष्ट्रपति को उनका सामना नहीं करना पड़ता है। मौजूदा समय में चीनी राष्ट्रपति का ज्यादा जोर टेलीफोन वार्ता पर है। आखिरी विदेश दौरे के बाद से उन्होंने व्लादिमीर पुतिन, एंजेला मर्कैल, इमैनुअल मैक्रो समेत करीब सात राष्ट्राध्यक्षों से फोन पर बात की है। मौजूदा वर्ष में चीनी राष्ट्रपति ने कई अंतरराष्ट्रीय बैठकों में हिस्सा लिया है। लेकिन ये सारी की सारी वर्चुअल बैठके थीं। 

बिना कारण टाली बैठकें 

जिनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से फोन पर ही बात की थी। ब्रिक्स देशों की बैठक में भी वो वर्चुअल ही शामिल हुए थे। पिछले कुछ समय में चीन के राष्ट्रपति अमेरिकी विदेश मंत्री, सिंगापुर के प्रधानमंत्री और डेनमार्क के प्रधानमंत्री के साथ प्रस्तावित बैठकें स्थगित कर चुके हैं। बिना कोई कारण बताए उनकी तरफ से इस तरह बैठकों को स्थगित किया जाना भी उनकी खराब तबीयत की अटकलों को बल दे रहा है। 

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