चिनफिंग ने किया आगाह: ताइवान के लिए चीन बल प्रयोग का विकल्प नहीं छोड़ेगा

Xi Jinping Warns
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उन्होंने कहा, ‘ताइवान का मुद्दा चीन का मामला है। यह ऐसा मामला है, जिसे चीनियों को ही सुलझाना चाहिए।’ अगस्त में अमेरिकी नेता नैन्सी पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने ताइवान द्वीप के इर्द-गिर्द गहन सैन्य अभ्यास किया और मिसाइलें दागीं, जिससे यह चिंता उत्पन्न हो गई थी कि चीन आक्रमण के लिए जमीन तैयार कर सकता है।

चीन की सत्ता में रिकॉर्ड तीसरी बार एवं संभवत: आजीवन रहने को तैयार राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रविवार को आगाह किया कि ताइवान को मुख्य भूभाग में फिर से मिलाने के लिए चीन ‘बल प्रयोग करने का विकल्प नहीं छोड़ेगा।’ इतना ही नहीं, उन्होंने राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकासात्मक हितों की रक्षा के लिए देश की सेना के आधुनिकीकरण को विश्व स्तर के मानकों के अनुरूप करने का संकल्प लिया। ताइवान खुद को एक संप्रभु देश मानता है, लेकिन चीन इस स्वशासित द्वीप को अपने देश का ही एक अलग हुआ हिस्सा मानता है और चीन ने ताइवान को अपने भूभाग में मिलाने के लिए बल के संभावित इस्तेमाल से इनकार नहीं किया है।

चिनफिंग ने सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी)के प्रत्येक पांच वर्ष में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर कहा, ‘‘हम बल प्रयोग का विकल्प नहीं छोड़ेंगे और सभी अलगाववादी आंदोलनों को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेंगे।’’ ऐसी संभावना है कि चिनफिंग को छोड़कर, दूसरे नंबर के नेता एवं प्रधानमंत्री ली क्विंग सहित पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं को कांग्रेस के दौरान बदल दिया जाएगा या उनमें फेरबदल किया जाएगा, क्योंकि चिनफिंग के नेतृत्व वाला प्रशासन 10 साल का कार्यकाल पूरा कर रहा है।

हालांकि, ऐसी उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस चिनफिंग के रिकॉर्ड तीसरी बार पद पर बने रहने का समर्थन करेगी, क्योंकि उन्हें पहले ही पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग के समान ‘मुख्य नेता’घोषित किया जा चुका है। जिस वक्त चिनफिंग ने ताइवान को चीन के मुख्य भूभाग में विलय का संकल्प लिया, कांग्रेस में हिस्सा ले रहे 2,300 से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि देर तक तालियां बजाते रहे। सीपीसी के महासचिव चिनफिंग ने कहा कि पार्टी को ताइवान मुद्दे को सुलझाने के लिए अपनी रणनीति पर दृढ़ रहना चाहिए और ताइवान के चीन में विलय को लेकर दृढ़ संकल्पित होना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘ताइवान का मुद्दा चीन का मामला है। यह ऐसा मामला है, जिसे चीनियों को ही सुलझाना चाहिए।’’ अगस्त में अमेरिकी नेता नैन्सी पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने ताइवान द्वीप के इर्द-गिर्द गहन सैन्य अभ्यास किया और मिसाइलें दागीं, जिससे यह चिंता उत्पन्न हो गई थी कि चीन आक्रमण के लिए जमीन तैयार कर सकता है। चिनफिंग ने कहा कि इतिहास का पहिया चीन के पुनर्मिलन और चीनी राष्ट्र के कायाकल्प की ओर बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम जलडमरूमध्य के दोनों ओर के लोगों को चीनी संस्कृति को बढ़ावा देने और घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।’’ चिनफिंग ने राष्ट्रीय रक्षा तथा सेना को और आधुनिक बनाने पर भी जोर दिया। अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान, चिनफिंग ने सेना को मजबूत करने के लिए व्यापक सुधार किए हैं। चिनफिंग ने कहा कि चीन पड़ोसी देशों के साथ दोस्ताना संबंध और आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा और सेना को और आधुनिक बनाने पर जोर दिया।

चिनफिंग ने कहा कि हर मामले में एक आधुनिक समाजवादी देश बनाने के लिहाज से वर्ष 2027 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की स्थापना के शताब्दी वर्ष के लक्ष्यों को हासिल करना और सेना को तेजी से विश्व स्तरीय बनाना एक राणनीतिक काम है। उन्होंने कहा कि सीपीसी निर्देशों का पालन कराने के लिए सेना पर अपने नियंत्रण को और मजबूत करेगी तथा पार्टी संस्थाओं और प्रणाली में सुधार करेगी ताकि अंतिम जवाबदेही केंद्रीय मिलिट्री आयोग (सीएमसी) के पास रहे।

चीन की 20 लाख मजबूत सेना की सर्वोच्च इकाई सीएमसी है और चिनफिंग राष्ट्रपति और पार्टी महासचिव होने के साथ-साथ सीएमसी के भी चेयरमैन हैं। चिनफिंग ने कहा कि चीन ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसी सहयोग प्रणाली को अधिक असरदार बनाने और उभरते बाजारों और विकासशील देशों के बेहतर प्रतिनिधित्व और इनकी वैश्विक मामलों में अधिक हिस्सेदारी के लिए काम कर रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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